पर्यावरण : भारत नई रोशनी बनकर उभरा
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में जलवायु परिवर्तन के खतरे से निपटने के लिए जो वैश्विक प्रयास चल रहे हैं, उनसे बेशक, भारत नई रोशनी बनकर उभरा है।
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पर्यावरण प्रदूषण के विकराल संकट के विरु द्ध बड़ी ताकत बन रहा है। हम न केवल पेरिस समझौते के लक्ष्यों को पूरा करने की दिशा में कार्य कर रहे हैं, बल्कि इससे भी आगे जाकर नये कदम उठा रहे हैं। भारत का संचयी और वर्तमान प्रति व्यक्ति उत्सर्जन वैश्विक कार्बन बजट के अपने उचित हिस्से से काफी नीचे और बहुत कम है।
पर्यावरण के मद्देनजर किए जाने वाले प्रयासों में अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन की स्थापना, आपदा प्रतिरोधी ढांचे के लिए गठबंधन, घरेलू नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्य को वर्ष 2030 तक 450 गीगा वॉट तक बढ़ाना और महत्त्वाकांक्षी राष्ट्रीय हाइड्रोजन मिशन की स्थापना के साथ ही अपने उत्सर्जन को आर्थिक विकास से अलग करने के निरंतर प्रयास शामिल हैं। इस कड़ी में भारत तेजी से अक्षय ऊर्जा के अपने लक्ष्य की ओर आगे बढ़ रहा है। पिछले सात सालों में अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में भारत की भागीदारी कई गुना बढ़ी है। इसी क्रम में भारत में इस समय दुनिया का सबसे बड़ा स्वच्छ ऊर्जा कार्यक्रम चलाया जा रहा है।
इस कार्यक्रम के तहत 175 गीगा वॉट की क्षमता हासिल करने का लक्ष्य है। इसके तहत वर्ष 2022 तक 100 गीगा वॉट और वर्ष 2030 तक 450 गीगा वॉट सौर ऊर्जा का उत्पादन लक्ष्य रखा गया है। कहना न होगा कि उत्साही सार्वजनिक प्रयासों से प्रेरित हम पेरिस संबंधी अपनी प्रतिबद्धताओं और लक्ष्यों को पार करने के रास्ते पर हैं। वर्ष 2005 के स्तर से सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की उत्सर्जन तीव्रता 33 से 35 प्रतिशत तक घटाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। इसके अलावा, भूमि क्षरण तटस्थता संबंधी अपनी प्रतिबद्धता को लेकर भी भारत लगातार प्रगति कर रहा है। भारत में नवीकरणीय ऊर्जा भी रफ्तार पकड़ रही है। कहने की जरूरत नहीं कि न्यायसंगत पहुंच के बगैर सतत विकास अधूरा है। इस दिशा में भी भारत ने अच्छी प्रगति की है। मार्च, 2019 में ही भारत ने लगभग सौ प्रतिशत विद्युतीकरण करने का लक्ष्य हासिल कर लिया था। ऐसा सतत तकनीक और नवाचार मॉडलों के जरिए ही संभव हुआ। उत्साहजनक बात है कि उजाला कार्यक्रम के माध्यम से 36.7 करोड़ एलईडी बल्ब लोगों के जीवन का अटूट हिस्सा बन गए हैं। इनके इस्तेमाल से भारत में सालाना 80 लाख टन कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन घटाया जा सका है। इसी प्रकार जल जीवन मिशन ने लगभग 18 महीनों में ही 3.40 करोड़ से ज्यादा परिवारों को नल कनेक्शन से जोड़ा है। पीएम उज्ज्वला योजना भी गरीबों का सशक्तिकरण कर रही है। इस महत्त्वाकांक्षी योजना के जरिए गरीबी रेखा से नीचे रहने को विवश 8 करोड़ से ज्यादा परिवारों को खाना पकाने के लिए स्वच्छ ईधन मुहैया कराया जा सका है। ऊर्जा संबंधी योजनाओं के परिणामोन्मुख परिणामों से उत्साहित भारत एनर्जी बास्केट में प्राकृतिक गैस की हिस्सेदारी को मौजूदा 6 से बढ़ाकर 15 प्रतिशत करने को तत्पर है। जिस तरह से प्रतिबद्धताओं को पूरा किया जा रहा है, उससे कहा जा सकता है कि भारत शुद्ध पर्यावरण की दिशा में अपने लक्ष्यों को अच्छे से पूरा कर सकेगा। जैसा कि मैंने पहले बताया कि वर्ष 2030 तक उत्सर्जन में 33 से 35 प्रतिशत की कमी के लक्ष्य के मुकाबले भारत वर्ष 2005 के उत्सर्जन स्तर से 28 प्रतिशत की कमी पहले ही हासिल कर चुका है। इस गति से वर्ष 2030 से पहले ही अपनी एनडीसी प्रतिबद्धताओं को पूरा करने के लिए पूरी तरह तैयार है। गौरतलब है कि भारत नवीकरणीय ऊर्जा में 38.5 प्रतिशत स्थापित क्षमता पहले ही हासिल कर चुका है। मौजूदा समय में यदि निर्माणाधीन नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता का भी हिसाब लगाया जाए तो कुल स्थापित क्षमता में नवीकरणीय ऊर्जा की हिस्सेदारी 48 प्रतिशत से अधिक हो जाती है, जो पेरिस समझौते के तहत की गई प्रतिबद्धताओं से काफी अधिक है।
राष्ट्रीय हाइड्रोजन मिशन की घोषणा के साथ-साथ हमारा उद्देश्य देश को हरित हाइड्रोजन के उत्पादन और निर्यात के लिए वैश्विक केंद्र बनाना है। जैसा कि प्रधानमंत्री मोदी ने लाल किले की प्राचीर से 75वें स्वतंत्रता दिवस पर राष्ट्र को संबोधित करते हुए कहा था, हरित हाइड्रोजन भारत को अपने लक्ष्यों को हासिल करने में ऊंची छलांग के साथ मददगार होगा। भारत सरकार के ऐसे कई महत्त्वपूर्ण प्रयास जलवायु परिवर्तन के खतरों से निपटने में मील के पत्थर साबित हो रहे हैं।
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