मन की बात : जन के मन की बात
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री बनने के बाद देश के विकास एवं गरीबों के उत्थान के लिए अनेक योजनाएं प्रारंभ कीं।
![]() मन की बात : जन के मन की बात |
देश की जनता ने जिस उत्साह के साथ उन्हें वोट दिया था, उनसे वैसी ही अपेक्षा थी। राजनीति के क्षेत्र में कार्य करने वाले सभी नेता राजनीतिक विषयों पर सदैव टिप्पणी करते हैं। नेताओं की टिप्पणियां अपने दल, उसकी नीतियों के समर्थन एवं विरोधी दलों के विरोध में ही होती हैं। वोट इस प्रकार के वक्तव्यों का आधार होता है। प्रधानमंत्री मोदी ने इन सबसे हटकर एक नई पहल प्रारंभ की, जो उनकी समाज के प्रति संवेदनशीलता, देश की जनता के मानस की सूक्ष्म अध्ययन दृष्टि एवं सामाजिक विषयों के प्रति समाज से अपेक्षित सक्रियता को प्राप्त करने के उद्देश्य को प्रकट करती है। इस पहल को देश ‘मन की बात’ के नाम से जानता है। आकाशवाणी पर प्रतिमाह के अंतिम रविवार को आने वाली ‘मन की बात’ अब देश एवं दुनिया में लोकप्रिय है। इसकी जनप्रियता का अनुमान इसी बात से लगाया जा सकता है कि तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति ओबामा 27 जनवरी 2015 को मोदी जी के साथ इसमें सहभागिता कर चुके हैं।
सतत आने वाली ‘मन की बात’ की हम 82 वीं श्रृंखला सुन चुके हैं। लाखों स्थानों पर करोड़ों लोग अपनी-अपनी भाषाओं में एकत्रित होकर मन की बात सुनते हैं। मृतप्राय हो चुकी रेडियो व्यवस्था एवं अप्रसांगिक जैसे लगने वाली आकाशवाणी को ‘मन की बात’ ने पुन: प्रासंगिक बना दिया है। बिना किसी राजनीतिक टिप्पणी, आलोचना, प्रत्यालोचना के ‘मन की बात’ ने देश भर में सकारात्मक वातावरण का निर्माण किया है। समाज के सम्मुख ज्वलंत समस्याओं का निदान, रचनाधर्मी पुरुषों एवं प्रकल्पों को आगे बढ़ाया है। समस्याओं से लड़ने वाला समाज भी सक्रिय किया है। समाज की सक्रियता ही जागृत लोकतंत्र की पहचान है। इसी के साथ इसने प्रधानमंत्री के बहुआयामी व्यक्तित्व का दर्शन भी कराया है। जिससे देश में उनके प्रति विश्वास बहुगुणित हो गया है।
जब हम अपने देश की तुलना विकसित देशों के साथ करते हैं तब एक सहज टिप्पणी आती है कि वहां के नागरिकों के दैनन्दिन जीवन में व्यवहार का विवेक एवं अनुशासन है। प्रसिद्ध वैज्ञानिक पूर्व राष्ट्रपति स्वर्गीय एपीजे अब्दुल कलाम ने भी अपने अनुभवों का इस संबंध में उल्लेख किया है। प्रधानमंत्री मोदी ने अपने देश के नागरिकों के व्यवहार में यह अनुशासन आए, स्वच्छता अभियान के माध्यम से इसका प्रयास किया, इसका आधार बनी ‘मन की बात’। दैनन्दिन जीवन में सफाई से प्रारंभ करके आर्थिक शुचिता एवं पारदर्शी व्यवहार, कालाधन आदि समस्याओं को ‘मन की बात’ के माध्यम से जन-जन तक पहुंचाया। समाज में दुर्व्यसन रोकने का माध्यम भी ‘मन की बात’ बनी।
कोरोना महामारी को रोकने में भारत ने ऐतिहासिक सफलता प्राप्त की है। भारत का टीकाकरण अभियान भी विश्व का सर्वश्रेष्ठ अभियान बना है। कोरोना के समय समाज का व्यवहार, कोरोना योद्धाओ का सम्मान, वैज्ञानिकों का प्रोत्साहन, कोरोना के विरुद्ध समाज को खड़ा करना, इन सभी विषयों को जनता तक ले जाने में ‘मन की बात’ कार्यक्रम सहायक बना है। कोरोना महामारी से उसकी समाप्ति तक सजग रहने का आह्वान करते हुए मोदी जी ने निम्न श्लोक का उल्लेख करते हुए कहा कि-
अग्नि: शेषं ऋण: शेषं शत्रु: शेषं तथैव च
पुन: पुन: प्रवर्धेत तस्मात शेषं न कारयेत
देशभर में नकारात्मक घटनाओं की चर्चा बहुत होती है। लेकिन समाज को खड़ा करने के लिए नकारात्मकता नहीं सकारात्मक वातावरण चाहिए। रचनाधर्मिंता से युक्त प्रयोग समाज के सामने जितने आएंगे उससे समाज का विश्वास बढ़ेगा। इसलिए अच्छी सूचनाएं अच्छे विचार एवं अच्छे कार्य को आगे लाना होता है। किसी कवि ने कहा है कि ‘अंधकार को क्यों धिक्कारें अच्छा है कि एक दीप जलाएं।’ इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए प्रधानमंत्री द्वारा देश भर में चलने वाले अच्छे प्रयोग, अच्छे कार्यक्रमों के माध्यम से सकारात्मक वातावरण बनाने का प्रयास किया गया। प्रतिमाह की ‘मन की बात’ उन अनेक प्रसंगों से भरी पड़ी है जो हमको भी अच्छा कार्य करने की प्रेरणा देते हैं।
‘मन की बात’ में प्रधानमंत्री आगामी माह में आने वाले उत्सवों का महत्व बताते हैं एवं शुभकामनाएं देते हैं। महापुरु षों के जन्मदिन की चर्चा करते हुए बधाई देते हैं एवं उस महापुरु ष का देश एवं समाज के प्रति क्या योगदान है इसकी चर्चा करते हैं। क्योंकि महापुरुष एवं उत्सव-त्यौहार किसी एक वर्ग के नहीं संपूर्ण समाज के हैं यह दृष्टि बोध होता है। महापुरुषों की चर्चा करते समय उनके कहे वाक्य, रचित काव्य की कुछ पंक्तियां एवं संस्कृत श्लोक, अंग्रेजी उक्ति सभी का उल्लेख करते हैं। जिसके कारण सभी भाषाओं के महापुरु षों, उत्सवों के प्रति श्रद्धा एवं सभी हमारे हैं, यह एकात्मता का भाव जगता है। यह एकात्मता ही देश को एक रखने में सहायक है। ‘मन की बात’ मे बिरसा मुंडा एवं सरदार पटेल के वाक्यों का उल्लेख इसके महत्त्व को दर्शाता है।
गरीब कल्याण, महिलाओं का सम्मान, दिव्यांगों को सहयोग, सरकार के कार्यक्रमों एवं महत्त्वपूर्ण योजनाओं की जानकारी एवं जनता से अपेक्षा, समाज के प्रति संवेदना, भविष्य की चुनौतियों से लड़ने योग्य समाज का दिशा-दर्शन, नए-नए प्रयोग खड़े करते हुए व्यवहारिक देशभक्ति युवा प्रकट करें, संस्कृति के प्रति गौरव जैसे गुणों को विकसित करने का माध्यम ‘मन की बात’ बनी है। अभी देश के लगभग 1.5 लाख स्थानों पर इसको सुना जाता है। देश के सभी ग्रामों- शहरों के मोहल्लों में लोग ‘मन की बात’ सुनें यह प्रधानमंत्री की अपेक्षा है। देश भर में सामूहिक रूप से एवं परिवार सहित सब इसे सुनें, सुनने के बाद चर्चा करें एवं प्रेरणा लेकर अपने क्षेत्र में इस प्रकार के उपक्रम चलाएं। इस सामूहिक शक्ति से जो ताकत बनेगी वह विश्व में भारत माता का जयघोष कराने में सहयोग करेगी। इसी में इस अभिनव प्रयोग ‘मन की बात’ की सार्थकता है।
| Tweet![]() |