हुंकार रैली : जिसने मोदी को जेपी जैसा यश दिया
आठ वर्ष पहले पटना के गांधी मैदान में संपन्न हुंकार रैली ने भाजपा के प्रधानमंत्री उम्मीदवार नरेन्द्र मोदी को महात्मा गांधी और लोकनायक जयप्रकाश नारायण जैसा यश दिया।
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बिहार की धरती से ही इन तीनों राजनेताओं के व्यक्तित्व के वैभव, कार्यक्षमता और नेतृत्व शक्ति को परखा गया, जिसका ऐतिहासिक महत्त्व है। बिहार की धरती ने हीं मोहनदास करमचंद गांधी को महात्मा बना दिया तो जयप्रकाश जी को लोकनायक और नरेन्द्र मोदी को राष्ट्र-नायक। पटना में संपन्न ‘हुंकार रैली’ के दौरान 7 बम ब्लास्ट के बावजूद रैली सफल रही, जिसने मोदी के धीर-वीर व्यक्तित्व को पहचाना।
मोदी का आगमन उस परिस्थिति में हुआ, जब देश में भ्रष्टाचार, परिवारवाद, उग्रवाद एवं अलगाववाद पराकाष्ठा पर था जिसके कारण राष्ट्रीय सुरक्षा, अखंडता एवं अस्मिता असुरक्षित लगने लगा। भारतीय नागरिकों को नरेन्द्र मोदी में वह क्षमता दिखने लगी कि भारत को इन परिस्थितियों से यही नेता बाहर निकाल सकते हैं। इस रैली के बाद ही भारत के छात्र-युवा, किसान, महिला, वैज्ञानिक, सरकारी अधिकारी-कर्मचारी, उद्योगपतियों में उत्साह जगा और विश्वास का वातावरण निर्मिंत हुआ। कांग्रेस के भ्रष्टाचार और तानाशाही के खिलाफ लोकनायक जयप्रकाश ने 5 जून, 1974 को संपूर्ण क्रांति की शुरुआत बिहार के पटना स्थित गांधी मैदान से की थी। तब उनकी आवाज पर वहां जुटी लाखों लोगों की भीड़ ने पूरे देश में कांग्रेस के खिलाफ बिगुल बजा दिया था। वह रैली इतिहास के स्वर्णिम पन्नों में दर्ज हो गई। भाजपा से प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार घोषित होने के बाद मोदी ने भी पटना के गांधी मैदान से ही परिवर्तन रैली के जरिए देश भर में अपने चुनाव प्रचार का शुभारंभ किया था। भाजपा बिहार ने इसे हुंकार रैली नाम दिया।
महात्मा गांधी और लोकनायक जयप्रकाश नारायण ने सत्ता से बाहर रहकर क्रमश: ग्राम स्वराज तथा संपूर्ण क्रांति का उद्घोष किया था, किंतु मोदी ने देश की आवश्यकता के कारण सत्ता में रहकर राष्ट्रीय सुरक्षा एवं अखंडता के आलोक में सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास की संकल्पना के साथ सर्वतोमुखी कल्याण की कामना की किंतु सत्ता की सर्वोच्च कुर्सी पर बैठकर भी उनका व्यक्तित्व संन्यासी का ही बना रहा। इस परिवर्तन रैली में उपस्थित लाखों की भीड़ का संदेश पूरे देश में मोदी लहर के तौर पर गया। बिहार की जनता ने मोदी को भरपूर प्यार और समर्थन दिया। गांधी मैदान में आयोजित वह हुंकार रैली तो वास्तव में नरेन्द्र मोदी के प्रति जनता के अगाध विश्वास की साक्षी है। रैली अभूतपूर्व रही। बम ब्लास्ट होते रहे, मोदी भाषण देते रहे और जनता तन्मयता से उनको सुनती रही। हुंकार रैली संपन्न होने के कुछ दिनों बाद मोदी पुन: बिहार आए और सभी मृतकों के घर उनके परिवार वालों से मिलने गए। उन्होंने बम ब्लास्ट में मारे गए सभी लोगों को ‘शहीद’ का सम्मान दिया और सब को 5-5 लाख की सहयोग राशि एवं स्मारक बनाने हेतु व्यवस्था दी। इस सीरियल ब्लास्ट के पूरे मामले की जांच एनआईए को सौंपी गई। एनआईए ने एक को मृत दिखाते हुए 12 आतंकवादियों के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया था, जिसमें एक नाबालिग था। बालिग होने के बाद उसे किशोर न्याय बोर्ड, पटना ने गांधी मैदान सीरियल बम ब्लास्ट और बोधगया सीरियल बम ब्लास्ट, दोनों मामलों में सजा सुना दी थी। एनआईए के अनुसार, पकड़े गए सभी आरोपित, प्रतिबंधित संगठन सिमी (स्टूडेंट इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया) के सदस्य थे। तमाम साजिशों और षड्यंत्रों के बाद भी हुंकार रैली सफल हुई।
बिहार में उस लोक सभा चुनाव में भाजपा 40 में से 22 सीटों तथा एनडीए गठबंधन के साथ 31 सीटों को जीत कर बिहार की बड़ी पार्टी के रूप में उभरी। इसके साथ ही भाजपा को राष्ट्रीय स्तर पर भी बड़ी जीत मिली। कुल 282 सीटों पर भाजपा विजयी हुई और भाजपा गठबंधन, राजग को कुल 336 सीटें प्राप्त हुई। जनता ने नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व को स्वीकार लिया था। जन-जन के प्रिय नरेन्द्र मोदी ने प्रधानमंत्री पद की 26 मई, 2014 को शपथ ग्रहण की और तब से अब तक वे दूसरी बार देश के प्रधानमंत्री बने हैं। 2019 के चुनाव में भी जनता ने उन पर अपना संपूर्ण विश्वास जताया। सत्ता के सर्वोच्च पद पर रहकर भी लोगों से सीधे संवाद करने वाले, हमेशा देश एवं आम आदमी के हित के बारे में सोचने वाले नेता नरेन्द्र मोदी भारत की जनता के मन में बसते हैं। लोगों का इतना प्यार और समर्थन बहुत कम नेताओं को मिला है। उन्होंने यह सब कुछ अपने कार्यों और परिश्रम से अर्जित किया है। आज पूरा देश उनकी वैश्विक स्वीकृति को मान रहा है।
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