Guru Purnima 2025: सदगुरुमाता मां विजया जी ने कहा- मानव-समुदाय को अपने संस्कारों की रक्षा करनी चाहिए
अंतर्राष्ट्रीय इस्सयोग समाज के तत्त्वावधान में, स्थानीय गौरसिटी के सरोवर प्रीमियर के भव्य सभागार में गुरुवार को गुरु-पूर्णिमा महोत्सव का भव्य आयोजन संपन्न हुआ, जिसमें देश-विदेश के हज़ारों इस्सयोगियों ने भक्ति-भाव से भाग लिया तथा श्रद्धा-पूर्वक ब्रह्म-निष्ठ सदगुरुमाता माँ विजया जी के चरणों में श्रद्धा-पुष्प निवेदित किए।
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सदगुरुमां के निदेशानुसार, संस्था के सचिव कुमार सहाय वर्मा ने दीप प्रज्वलित किया और इंग्लैण्ड से आयीं अप्रवासी भारतीय इस्सयोगी डॉ द्राशनिका पटेल ने सदगुरु एवं गुरुमां के चित्रों पर माल्यार्पण किया।
यह जानकारी देते हुए, संस्था के संयुक्त सचिव डॉ अनिल सुलभ ने बताया कि दीप प्रज्वलन के पश्चात आधे घंटे की सामूहिक 'आह्वान-साधना' की गई और उसके पश्चात विधि-पूर्वक गुरु-पूजन किया गया। संस्था के सचिव कुमार सहाय वर्मा, संयुक्त सचिव (मुख्यालय) ई उमेश कुमार एवं स्थानीय संयोजक राधेश्याम पाण्डेय ने सभी इस्सयोगियों की ओर से यज्ञमान के रूप में पूजन किया। दिल्ली के वरिष्ठ इस्सयोगी आचार्य दीनानाथ शास्त्री ने पुरोहित के रूप में सविधि गुरु-पूजन कराया।
पूजनोपरांत अपने आशीर्वचन में माताजी ने कहा कि मानव-समुदाय अपने संस्कारों को भूलता जा रहा है। हमारे संस्कार हमारे जीवन को निर्धारित करते हैं। हमारा जीवन मांगलिक, कल्याणकारी और आनन्द-प्रद हो, इसीलिए हमारे पूर्वज संतानोत्पत्ति की सविधि योजना करते थे, जिसमें गर्भाधान-संस्कार से लेकर अनेक संस्कार किए जाते थे। मानव-जीवन में 16 संस्कारों का विधान है।
माताजी ने कहा कि गुरुपूर्णिमा का उत्सव गुरु के प्रति समर्पण और श्रद्धार्पण ही नहीं, गुरु-वचनों को जीवन में उतारने का संकल्प लेने का भी है। साधकों को अपनी ध्यान-साधना में अंतर्मुख होना चाहिए। साधना में जितना अधिक आत्मलीन होंगे, सदगुरु और परमात्मा के उतने ही निकट होते जाएँगे। इस्सयोग वही मार्ग है, जिसका आश्रय लेकर गुरु-कृपा से एक सच्चा साधक आत्म-साक्षात्कार और परमात्मा की अनुभूति कर पाता है।
इस अवसर पर इस्सयोगियों ने अपने उद्गार में गुरु-महिमा और इस्सयोग के सूक्ष्म आध्यात्मिक प्रभावों पर अनुभूति-सिद्ध चर्चा की।
संध्या में 'शक्तिपात-दीक्षा' का भी आयोजन किया गया, जिसमें सदगुरुमाता मां विजया जी द्वारा तीन सौ से अधिक नव-जिज्ञासु स्त्री-पुरुषों को 'इस्सयोग' की सूक्ष्म साधना आरंभ करने के लिए आवश्यक 'शक्तिपात-दीक्षा' प्रदान की गयी।
जगत कल्याण के निमित्त आधे घंटे की सूक्ष्म 'ब्रह्माण्ड-साधना', सर्वधर्म-प्रार्थना और अंत में रात्रि के महाप्रसाद के साथ यह दिव्य महोत्सव संपन्न हुआ।
महोत्सव में संस्था के संयुक्त सचिव एवं पूर्व सांसद रमा देवी, बहन सांगीता झा, छोटे भैया संदीप कुमार गुप्ता, लक्ष्मी प्रसाद साहू, नीना दूबे गुप्ता, शिवम् झा, सरोज गुटगुटिया, काव्या सिंह, अरविंद चौधरी, वंदना वर्मा, अनंत कुमार साहू, लल्लन प्रसाद, कपिलेश्वर मण्डल, सुशील प्रजापति, आनन्द कुमार, डॉ मनोज धमीजा, मालिनी विजय मिश्रा, श्रीप्रकाश सिंह, विनोद तकियावाला, डॉ मनोज राज समेत बड़ी संख्या में संस्था के अधिकारी और स्वयंसेवक सक्रिए रहे।
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