छठ पूजा : इजाजत मिली, बेफिक्री ठीक नहीं

Last Updated 21 Oct 2021 01:16:26 AM IST

दिल्ली में कोरोना के केस घट रहे हैं..स्थिति धीरे-धीरे सामान्य हो रही है..अब कोई खतरा नहीं है.. ये सारी बातें केवल कानों को सुकून और दिल को तसल्ली देने वाली हैं।


छठ पूजा : इजाजत मिली, बेफिक्री ठीक नहीं

सच्चाई यह है कि अभी खतरा टला नहीं है। मंगलवार को दिल्ली में कोरोना वायरस के 36 नये केस मिले जबकि एक मरीज की मौत हो गई। ऐसे में लोगों का बेफिक्र हो जाना अच्छा नहीं है। शायद यही वजह है कि दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने छठ पर्व मनाने को लेकर दूरदर्शितापूर्ण कदम उठाने की कोशिश की थी। लेकिन उसका अर्थ गलत निकाला गया और चौतरफा विरोध होने लगा। परिणाम यह हुआ कि दिल्ली सरकार को दिल्ली के उप-राज्यपाल को पत्र लिखकर छठ पूजा मनाने की अनुमति मांगनी पड़ी जिसके बाद दूसरे कई राज्यों को  भी कोविड-19 प्रोटोकॉल के तहत सार्वजनिक छठ पूजा के प्रावधानों के तहत इजाजत मिली।

मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने पत्र में लिखा कि- दिल्ली में कोरोना की स्थिति अब नियंत्रण में है और जिस प्रकार दूसरे राज्यों को कोरोना प्रोटोकॉल के तहत छठ पूजा मनाने की इजाजत दी गई है, वैसे ही दिल्ली को भी इजाजत दी जाए। इससे पहले उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने भी केंद्र सरकार को पत्र लिखकर छठ पर्व मनाने के संबंध में दिशा-निर्देश जारी करने की अपील की थी। पूर्वाचल के लोगों की आस्था का महापर्व छठ बिहार-यूपी ही नहीं, बल्कि दिल्ली-एनसीआर समेत कई राज्यों में प्रमुखता से मनाया जाता है। इस पर्व पर लोगों का भारी जुटान रहता है। हर परिवार से ज्यादातर सदस्य इस पर्व में शिरकत करते हैं।  ऐसे में सामाजिक दूरी बनाए रखना बेमानी हो जाएगा। भीड़ में पता नहीं चलता कि किसको क्या तकलीफ है या किसका स्वास्थ्य ठीक है, या नहीं। सो, किसी भी सरकार या प्रशासन को फूंक कर कदम रखने की जरूरत है।

महाराष्ट्र के एक मंत्री ने चेताया है कि अभी कोरोना खत्म नहीं हुआ है, महाराष्ट्र और केरल इसके प्रमुख उदाहरण हैं। कई राज्यों में कोरोना से रिकवरी दर बढ़ी है, मगर अभी कोरोना गया नहीं है। दिल्ली में एक मौत के बाद लगता है कि कोरोना वायरस फिर से सिर उठाने लगा है। डाक्टरों और विशेषज्ञों का मानना है कि दिल्ली में अभी 0 केस के बारे में सोचना भी बेकार है। तीसरी लहर की आशंका को लेकर जो भविष्यवाणियां की गई थीं, उन्हें भी झुठलाया नहीं जा सकता। तमाम उपायों एवं टीकाकरण के बावजूद अभी भी डर बना हुआ है कि कहीं तीसरी लहर चुपके से आकर हमें दबोच न लें। फिर से कोरोना न बढ़ पाए। इसलिए केजरीवाल सरकार का फैसला इस मामले में सही लगता है। लेकिन इस बीच केजरीवाल सरकार के प्रिकॉशन को राजनीतिक रंग देकर कई दल सड़कों पर उतर आए। धरना-प्रदशर्न करने लगे। और, आखिर में दिल्ली सरकार को केंद्र से अनुमति लेने को बाध्य होना पड़ा। हालांकि बीजेपी ने इसे पूर्वाचलवासियों के संघर्ष की जीत बता दिया है।  

मगर सच्चाई यह है कि अनुशासित तरीके से कोरोना प्रोटोकॉल के नियमों का पालन नहीं किया गया तो गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं। घाटों पर लाखों की भीड़ दिल्ली के लिए मुसीबत का सबब बन सकती है, और फिर यह देश के लिए भी बहुत भयावह होगा। इसलिए ऐसे संजीदा मामले में राजनीति करना उचित नहीं है क्योंकि यह लाखों जान के खतरे से जुड़ा मामला है। कोई नहीं जानता कि भविष्य में महामारी किस रूप में वेश बदल कर हमारे बीच फिर से आ धमके क्योंकि मेडिकल साइंस भी इस भयंकर वायरस पर नियंतण्रसे इनकार करता है। इससे पहले कोरोना का खौफनाक मंजर दिल्लीवासियों ने देखा है, जब दूसरी लहर में घर-घर में लोग बीमार पड़ रहे थे। अस्पताल जाने से डरते थे क्योंकि ज्यादातर लोगों की मौत की खबरें वहां से आ रही थीं। अस्पतालों में ऑक्सीजन सिलेंडर नहीं थे, दवाइयां नहीं थीं।

बढ़ते मरीजों से डॉक्टर और स्वास्थ्यकर्मी परेशान हो उठे थे। यह इतना डरावना और भयावह था कि लोग अपनी जिंदगी चिंता में काट रहे थे। श्मशान घाटों पर लाशों का अंबार लगा था। उत्तर प्रदेश और बिहार से लगातार खबरें आ रही थीं कि दाह संस्कार के अभाव में लोग अपने सगे-संबंधियों के शवों को नदियों में बहा रहे हैं, या जमीन के नीचे दफनाने को मजबूर हो गए हैं। ऐसे दिन ऊपरवाला फिर से हमें न दिखाए, इसके लिए हर कहीं प्रार्थना की जा रही थी, यज्ञ-हवन आदि किए जा रहे थे। लेकिन अब उस मंजर को भूलते हुए उसी गलती को पुन: दोहराएंगे तो यह मानवता के खिलाफ होगा। और फिर से इसके गंभीर परिणाम भुगतने होंगे।

सुशील देव


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