वैश्विकी : साइबर हमलों से उपजा शीतयुद्ध

Last Updated 11 Jul 2021 01:27:23 AM IST

विदेश मंत्री एस जयशंकर की मास्को यात्रा के दौरान अंतरराष्ट्रीय राजनीति में अमेरिका और रूस के बीच साइबर अपराध को लेकर नई नोकझोंक का नया घटनाक्रम सामने आया।


वैश्विकी : साइबर हमलों से उपजा शीतयुद्ध

विदेश मंत्री ने रूस के नेताओं के साथ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन की प्रस्तावित शिखर वार्ता के एजेंडे पर चर्चा की। उन्होंने संकेत दिया कि यह शिखर वार्ता भारत और रूस के संबंधों को और ऊंचाइयों तक ले जाएगी। जयशंकर की यह यात्रा और प्रस्तावित शिखर वार्ता भारत की अमेरिका के साथ बढ़ती हुई रणनीतिक साझेदारी से दुनिया में बन रही भ्रामक धारणा को दूर करने में सहायक बनेगी। भारतीय विदेश नीति का रूस और अमेरिका दोनों के साथ रणनीतिक संबंध बढ़ाने के संबंध में आने वाला समय बहुत चुनौतीपूर्ण हो सकता है। दोनों महाशक्तियों को एक साथ संतुष्ट करना बड़ी चुनौती होगी, विशेषकर ऐसे समय जब साइबर अपराधों को लेकर अमेरिका और रूस के बीच नया शीतयुद्ध छिड़ गया है।
अमेरिकी राष्ट्रपति गो बाइडेन ने इस सिलसिले में ब्लादीमीर पुतिन को टेलीफोन पर आगाह किया कि वह रूस की धरती पर सक्रिय साइबर अपराधियों के विरुद्ध कारगर कार्रवाई करे। बाइडेन का लहजा धमकाने वाला भी था। इस विवाद की पृष्ठभूमि यह है कि पिछले दिनों अमेरिका की तेल पाइपलाइन प्रणाली और व्यापारिक कंपनियों को साइबर हमले का निशाना बनाया गया। इन हमलों से कुछ समय के लिए इन क्षेत्रों में अफरातफरी मच गई। अमेरिका का आरोप है कि इस हमले के पीछे रूस में सक्रिय संगठित साइबर अपराधी गिरोह है। ऐसे ही एक गिरोह का नाम ‘रैनसम वेयर’ या ‘आर इविल’ है। यह अपराधी कम्प्युटर नेटवर्क को हाईजैक कर अवरुद्ध कर देते हैं। बाद में प्रभावित संस्था या कंपनियों से फिरौती की राशि मांगी जाती है। धनराशि मिलने के बाद कम्प्युटर प्रणाली को दोबारा सक्रिय करने की जानकारी दी जाती है।

अमेरिका के सूचना प्रौद्योगिकी और रक्षा विशेषज्ञों ने आशंका  व्यक्त की है कि यदि बड़े पैमाने पर संवेदनशील क्षेत्रों में साइबर हमला किया गया तो अमेरिका की सुरक्षा और आर्थिक हितों को बहुत नुकसान हो सकता है। बाइडेन प्रशासन का मानना है कि साइबर हमले केवल आपराधिक मामला नहीं है। यह राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा है। अमेरिकी प्रशासन का यह भी मानना है कि रूस की सरकार इन अपराधियों को न तो संरक्षण दे रही है अथवा जान-बूझकर इनके विरुद्ध कार्रवाई नहीं कर रही है।
इस संबंध में सबसे चिंताजनक बात यह है कि बाइडेन प्रशासन रूस में सक्रिय साइबर अपराधियों को निशाना बनाने की रणनीति बना रहा है। अमेरिकी समाचार पत्र ‘न्यूयार्क टाइम्स’ के अनुसार राष्ट्रपति बाइडेन से जब यह पूछा गया कि क्या अमेरिका रूस के अंदर कोई कार्रवाई कर सकता है? तो उनका उत्तर हां में था। हालांकि व्हाइट हाउस की ओर से आधिकारिक तौर पर इस धमकी के बारे में कुछ नहीं कहा गया। रूस के अंदर सर्जिकल स्ट्राइक करने का विचार असाधारण और भयावह है। कोई भी देश अपने यहां इस तरह के प्रत्यक्ष या परोक्ष हमले को बर्दाश्त नहीं करेगा। कम-से-कम रूस तो अमेरिका की ऐसी कार्रवाई का पूरी ताकत से विरोध करेगा। रूस जवाबी कार्रवाई भी कर सकता है। शीतयुद्ध समाप्त होने के बाद यह पहला अवसर है जब अमेरिका और रूस एक दूसरे के विरुद्ध कार्रवाई करने के बारे में सोच रहे हैं।
 अमेरिकी मीडिया के अनुसार बाइडेन प्रशासन रूस के साइबर अपराधियों के विरुद्ध जो रणनीति तैयार कर रहा है उसे पूरा होने में कुछ महीने लगेंगे। अमेरिका प्रत्यक्ष रूप से सर्जिकल स्ट्राइक करने की बजाय अपनी खुफिया एजेंसियों के जरिये साइबर अपराधी गिरोहों को निशाना बना सकता है। रूस के साथ सीधे संघर्ष से बचते हुए साइबर अपराधियों के विरुद्ध अभियान में अमेरिका रूस की सरकार की मदद लेने का भी प्रयास कर सकता है। साइबर अपराध आतंकवाद की तरह एक नई वैश्विक चुनौती है। महाशक्तियों को एक-दूसरे के विरुद्ध आरोप-प्रत्यारोप से बचते हुए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर साइबर अपराध के विरुद्ध सामूहिक प्रयास करने की आवश्यकता है। इसके लिए अंतरराष्ट्रीय कानून प्रणाली और सामूहिक कार्यदल का गठन समय की जरूरत है।

डॉ. दिलीप चौबे


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