कोरोना वैक्सीन : आशंकाओं पर स्पष्टीकरण जरूरी
देश में लगातार बढ़ रहे कोरोना के मामलों के बीच केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर हषर्वर्धन ने हाल ही में कहा है कि 2021 के मार्च तक भारत को कोरोना की वैक्सीन मिलने की पूरी उम्मीद है।
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साथ ही उन्होंने कहा है कि 2021 के सितम्बर महीने तक 25-30 करोड़ भारतीयों को कोरोना वायरस की टीका लगाया जाएगा। देश में कोरोना की बेकाबू रफ्तार के बीच यह एक अच्छी खबर मानी जा रही है।
दरअसल, दुनिया भर में कोरोना वैक्सीन को लेकर कई तरह के शोध किए जा रहे हैं और पिछले कुछ दिनों में वैक्सीन को लेकर सकारात्मक खबरें सामने आई हैं। भारत में कई वैक्सीन परीक्षण के अलग-अलग चरणों में हैं। उम्मीद की जा रही है कि जल्द ही कोरोना की कोई कारगर और सुरक्षित वैक्सीन भारत को मिल जाएगी। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री के बयान से ऐसा लगता है कि सरकार ने वैक्सीन को कम समय में देश के हर नागरिक तक पहुंचाने की रूपरेखा भी तैयार कर ली है।
वास्तव में, देश में कोरोना वायरस के कारण होने वाली बीमारी गंभीर रूप लेता जा रहा है। हालात ऐसी हो गई है कि सुप्रीम कोर्ट को देश में बढ़ रहे कोरोना के मामले पर चिंता जतानी पड़ी है। न्यायालय को कहना पड़ा है कि अगर समय रहते कारगर कदम नहीं उठाए गए तो दिसम्बर में बदतर स्थिति के लिए तैयार रहना पड़ेगा। साथ ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कोरोना वायरस मामले को लेकर हाल ही में राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये सीधे संवाद किया। इस संवाद में उन्होंने कुछ राज्यों में बढ़ते कोरोना के मामलों पर बात की। कोरोना वायरस की भयावह स्थिति के बीच देश को मार्च तक कोरोना वैक्सीन मिलने की खबर निश्चित रूप से एक आस जगाने वाली खबर है। हालांकि, इस खबर के साथ कई आशंकाएं भी जुड़ी हुई है जिस पर समय रहते सरकार को स्पष्टीकरण भी जरूर जारी करनी चाहिए।
दरअसल, अभी कई वैक्सीन का ट्रायल चल ही रहा है। इनमें से कई का ट्रायल तीसरे और अंतिम चरण में है। ऐसे में किसी एक वैक्सीन को अभी बेहतर या सही ठहराना जल्दीबाजी होगी। साथ ही इनमें से कई वैक्सीन का लॉन्ग टर्म साइड इफेक्ट पता नहीं है। ऐसे में हड़बड़ाहट में वैक्सीन को बाजार में उतार कर जल्दीबाजी नहीं करनी चाहिए और सभी सुरक्षा मानकों का पालन करने के बाद ही इसे उतारा जाना चाहिए।
इस समय कोरोना वायरस से बचने के लिए सिर्फ दो ही कारगर उपाय नजर आ रहा है। पहला ऐहतियात और जीवनशैली में बदलाव और दूसरा वैक्सीन। ऐसे में लोगों की उम्मीद बढ़ना और वैक्सीन में दिलचस्पी होना स्वाभाविक ही है। लिहाजा वैक्सीन की कीमत और उसके भंडारण को लेकर भी बातें होने लगी है। ऐसी खबरें आ रही हैं कि भारत में कई वैक्सीन के भंडारण के लिए पर्याप्त व्यवस्थाएं नहीं है। ऐसे में सरकार को समय रहते उसके भंडारण को लेकर पर्याप्त व्यवस्था भी करनी चाहिए।
साथ ही सरकार को कोरोना वैक्सीन की कीमत पर भी रूपरेखा तैयार करनी होगी और इसके लिए स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी करना होगा। कोरोना वैक्सीन की कीमत अधिक होने के कारण कहीं ऐसा ना हो कि यह जरूरतमंद और आमलोगों की पहुंच से दूर हो जाए और कंपनियों के लिए यह मुआवजा कमाने का जरिया बन जाए। दरअसल, हम हाल ही में आई स्वास्थ्य संबंधी स्थायी संसदीय समिति एक रिपोर्ट को नजरअंदाज नहीं कर सकते हैं, जिसमें कहा गया है कि निजी अस्पतालों के लिए सरकार की ओर से कोई स्पष्ट दिशा-निर्देश नहीं है। इसके कारण कोरोना ग्रसित मरीज को महामारी के दौर में इलाज पर ज्यादा पैसे खर्च करने पड़े और निजी अस्पतालों ने मरीजों के इलाज के लिए ज्यादा पैसे चार्ज किए। इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद निश्चित रूप से सरकार को कोरोना वैक्सीन की कीमत पर विचार करना ही चाहिए।
कोरोना वायरस ने निश्चित रूप से हमारे जीवन को बहुत हद तक बदल दिया है। इसने कई चीजों के अलावा लोगों की जीवनशैली को प्रभावित किया है और हमारी आदतों में व्यापक बदलाव लाया है। लोग पिछले सात-आठ महीने से काफी ऐहतियात बरतते आ रहे हैं। ऐसे में लोगों का ऊब जाना स्वाभाविक है और अब कोरोना वैक्सीन पर ही सारी उम्मीदें टिकी हुई हैं। ऐसे में वैक्सीन को लेकर स्पष्ट तैयारी, दिशा-निर्देश और रूपरेखा होनी ही चाहिए।
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