सरोकार : महिलाएं पहले से भांप लेती हैं संकट को
पिछले छह महीनों के दौरान कोविड-19 महामारी में नेतृत्व पर बहुत चर्चा हुई। अच्छा नेतृत्व क्या होता है। किन राजनेताओं में सबसे अच्छा काम किया और किन देशों में स्थिति बद से बदतर हुई।
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एक खास बात जो उभर कर आई, वह यह थी कि महिला नेताओं में इस दौरान बहुत अच्छा काम किया। भले ही वह न्यूजीलैंड की जेसिंडा अर्डर्न हों या ताइवान की साई इंग-वेन या जर्मनी की एंजेला मार्केल। महिलाओं के शीर्ष नेतृत्व वाले देशों ने इस बात की मिसाल पेश की कि किसी महामारी से कैसे निपटा जाता है।
अब लगातार इस बात की समीक्षा की जा रही है कि यह सब कैसे हुआ। कई स्तरों पर विश्लेषण करने पर यह जानकारी मिली कि दुनिया भर के नेताओं ने महामारी के शुरु आती दिनों में क्या प्रतिक्रियाएं दीं। इसके लिए पुरु ष-महिला नेताओं के नीतिगत उपायों के बीच के अंतर को भी समझा गया। वैसे दुनिया में महिलाओं के शीर्ष नेतृत्व वाले देशों की संख्या बहुत ही कम है। 194 देशों में से सिर्फ 10 फीसद देशों में महिला नेता मौजूद हैं। इसलिए उनके बीच तुलना करना मुश्किल है। इसके लिए विश्लेषकों में एक सी सामाजिक, जनसांख्यिकी तथा आर्थिक विशेषताओं वाले देशों के बीच तुलना की। जैसे एक समान प्रति व्यक्ति जीडीपी, जनसंख्या घनत्व और देश में आने वाले पर्यटकों की एक समान संख्या तथा लैंगिक समानता वाले देश। जैसे महिला नेतृत्व वाले हांगकांग में 1,056 मामले और चार मौतें दर्ज की गई, जबकि उसी जैसी अर्थव्यवस्था और जनसांख्यिकीय विशेषता वाले सिंगापुर में, जहां शीर्ष नेतृत्व पुरु ष के हाथों में है, में 28,794 मामले और 233 मौतें दर्ज की गई। हांगकांग में कैरी लाम चीफ एग्जीक्यूटिव हैं और सिंगापुर में ली सिएन लूंगए प्रधानमंत्री हैं। इसी तरह नार्वे में एर्ना सोलबर्ग प्रधानमंत्री हैं जहां 8,257 मामले और 233 मौतें दर्ज की गई, जबकि आयरलैंड में माइकल मार्टनि प्रधानमंत्री हैं और वहां कोविड-19 के 24,200 मामले और 1,547 मौतें हुई। ताइवान में 440 मामले दर्ज किए गए और सात लोगों की मृत्यु हुई, जबकि दक्षिण कोरिया में 11,078 मामले और 263 मौतें हुई।
इसकी एक वजह यह भी थी कि महिला नेतृत्व वाले देशों में मामले को पहले से गंभीरता से लिया गया। शायद महिलाएं जोखिम को पहले से भांप लेती हैं। महिलाओं की नेतृत्व शैली पुरु षों से बहुत अलग भी होती है। वे ज्यादा लोकतांत्रिक तरीके से काम करती हैं और सभी को प्रतिनिधित्व देने की कोशिश करती हैं। एक बात और। विमेन फॉर पॉलिटिक्स नामक ग्रुप का कहना है कि दक्षिण एशिया में बड़े स्तर पर महिलाओं और पुरु षों के बीच गैर बराबरी कायम है, फिर भी महामारी के प्रकोप से लड़ने में महिला नेताओं ने कई अच्छी मिसाल पेश की हैं। ग्रुप ने एशियाई देशों की महिला नेताओं पर अध्ययन किया। उसमें भारत की कुछ महिला सरपंच और विधायक, नेपाल की मेयर, श्रीलंका और भूटान की स्वास्थ्य मंत्री, अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान की सांसद शामिल थीं।
खुद भारत में केरल की स्वास्थ्य मंत्री के के शैलजा ने ऐसी रणनीति बनाई जिसमें जनता को लगातार अपडेट करना और महामारी से जुड़ी फेक न्यूज और मिथ का मुकाबला करना शामिल है। पंजाब, बिहार और दूसरे राज्यों की महिला सरपंचों ने व्हॉट्सएप ग्रुप बनाए हैं और सोशल मीडिया का इस्तेमाल करते हुए लोगों तक जरूरी सामान की उपलब्धता की जानकारी पहुंचा रही हैं।
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