बतंगड़ बेतुक : अंध आस्थाओं का डरावना भविभूतियापन
झल्लन आया तो अपने चेहरे पर प्रत्याशित सवालिया मुस्कान ले आया। हमने कहा, ‘हम जानते हैं कि तू आस्था या अकीदत के आपस में लड़ते-मरते चांकुरों की बात उठाएगा और हम भले तेरी बात का ठीक-सा जवाब न दे पायें पर ईमान हमीं पर लाएगा।’
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हमारी बात सुनकर झल्लन की मुस्कान चौड़ी हो गई, भूखे के सामने रखी प्लेट की पकौड़ी हो गई, बोला, ‘क्या बात है ददाजू, कभी-कभी आप बिना पूछे समझ जाते हो और बिना घुमाव-फिराव सीधे मुद्दे पर आ जाते हो। तो बताइए, आस्था के चांकुर इतने विवाद क्यों करते हैं, बात बिना-बात दंगा-फसाद क्यों करते हैं?’
हमने कहा, ‘आस्था तर्क से परे होती है और जो चीज तर्क से परे होती है वह या तो अबूझ रहस्य होती है या फिर पूर्णत: असत्य होती है यानी झूठ होती है। कुल मिलाकर आस्था का जन्म अबूझ रहस्य और झूठ के घनघोर घालमेल से होता है और इसमें ऐसा करने वालों का भरपूर स्वार्थ होता है। जब कोई शातिर व्यक्ति रहस्य को जान लेने का झूठा दावा कर देता है तो अपने झूठ को सच बनाने के लिए उस पर अनेक काल्पनिक कहानियों का आवरण चढ़ा देता है, और अपनी सर्वज्ञता को अपने चांकुरों के दिमाग में बिठा देता है। इस तरह दिमाग में पैठी चीजें आस्था होती हैं जो नितांत असत्य से बनी मानसिक व्यवस्था होती हैं। ये अलग-अलग आस्थाएं अपने अलग-अलग भविभूत गढ़ लेती हैं, फिर कल्प-कल्पांतरों के लिए उस पर चढ़ लेती हैं। आस्थाएं अंधी होती हैं, एक आस्थावान के लिए उसकी अपनी आस्था बेहद मनभावनी होती है तो वही आस्था दूसरी आस्था वालों के लिए बेहद डरावनी होती है या चिढ़ावनी होती है।’ झल्लन बोला, ‘पता नहीं ददाजू, आप क्या-क्या कह जाते हैं, आपका कहा हुआ ऊपर से निकल जाता है और हम वहीं-के-वहीं सर खुजाते रह जाते हैं।’ हमने कहा, ‘अच्छा बता, आस्था किसके नाम पर पैदा की जाती है, किसका नाम लेकर लोगों के दिमाग में आस्था की मिट्टी भरी जाती है? जो लोग आस्थावादी होते हैं वे किसके प्रति आस्था रखते हैं, किसके नाम पर अपने विवेक के दरवाजे बंद किये रहते हैं?’
झल्लन बोला, ‘ददाजू, आस्था तो आदमी ईश्वर के प्रति रखता है, भगवान के प्रति रखता है, अल्लाह-खुदा के प्रति रखता है, गॉड और यीशु के प्रति रखता है, राम और मोहम्मद के प्रति रखता है, देवी-देवताओं के प्रति रखता है, मंदिर-मस्जिद-गुरुद्वारों के प्रति रखता है, पुजारी-मोमिन-पादरी और ग्रंथी के प्रति रखता है। जो जिससे जुड़ा हुआ है उसी के प्रति आस्था रखता है और इस बात को तो बच्चा-बच्चा समझता है।’ हमने कहा, ‘ठीक कहा, अब ये बता, जिस ईश्वर या खुदा के प्रति आदमी आस्था या अकीदत रखता है वह क्या है? क्या उसका ऐसा कोई रूपाकार है जो हर देखने वाले को एक जैसा दिखाई दिया हो या उसने समूची इंसानी बिरादरी के सामने आकर सभी के लिए कोई यकसां निर्देश दिया हो? नहीं ना?’
झल्लन बोला, ‘लेकिन ददाजू, लोग ईश्वर या अल्लाह को मानते तो हैं ही, पूरी दुनिया ईश्वर ने ही बनायी है यह मन में ठानते तो हैं ही।’ हमने कहा, ‘क्या प्रमाण है कि दुनिया ईश्वर ने बनायी है? अगर दुनिया ईश्वर ने बनायी है तो ईश्वर को किसने बनाया है और जिसने ईश्वर को बनाया है उसे किसने बनाया है? दरअसल, ये वह सवाल है जिसने मनुष्य को आदिकाल से भरमाया है पर उसे इसका सही उत्तर आज तक नहीं मिल पाया है। लेकिन इंसानी दिमाग तो यह जानता है कि यह अबूझ रहस्य है और इसका उत्तर उसे कभी नहीं मिलेगा, फिर भी उसने अपने-अपने तरीके से उत्तर खोज लिये हैं और वे उत्तर ही इंसानों के ऊपर थोप दिये हैं। और जो भी लोग ईश्वर के होने या उसे देख लेने के नाम पर ग्रंथों और इमारतों का संसार रच रहे हैं, वे सिर्फ और सिर्फ अपनी आस्था निर्मित सत्ता का व्यापार चला रहे हैं, और लोगों के दिमाग को एक विराट झूठ का दास बना रहे हैं।’ झल्लन बोला, ‘तो ददाजू, ईश्वर नहीं होता है? फिर इस संसार की रचना का रहस्य क्या होता है?’
हमने कहा, ‘यही तो हम कह रहे हैं। इस संसार की रचना का रहस्य न अभी तक मनुष्य जानता है और न निकट भविष्य में जान पाएगा। लेकिन वह रहस्य को जान लेने के अपने दावे से बाज नहीं आएगा। और इस दावे के नाम पर भगवान, अवतार, देवदूत, पैगम्बर, मसीहा न जाने कौन-कौन सामने आते रहे हैं, आते रहेंगे और इनके चांकुर इनके नाम पर अंध-आस्था का व्यापार चलाते रहेंगे। लोग इनकी बातों पर भरोसा करके, इनके कहे को सच मानते रहेंगे, अपनी आस्था को इनके साथ जोड़ते रहेंगे, और अपनी नैतिक, भौतिक, राजनीतिक सत्ता इनके हाथ सौंपते रहेंगे। क्योंकि आस्थाओं का व्यवसाय शक्ति और सत्ता का व्यवसाय है इसलिए भिन्न-भिन्न आस्थाओं के चांकुरों में जंग चलती रहती है और इस जंग में विज्ञान, विचार, तर्क और विवेक की बलि चढ़ती रहती है। आस्था-अकीदत के चेले चांकुर अपनी-अपनी सत्ता के लिए आपस में ऐसे ही लड़ते-मरते रहेंगे, काटते-कटते रहेंगे, दुनिया की शांति भंग करते रहेंगे और अपने भविभूतियापन से इंसानी कौम को खतरे में डालते रहेंगे।’
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