सरोकार : कोरोना काल में औरतें सबसे ज्यादा प्रभावित
खबर है कि कोरोना काल में अपराध तेजी से बढ़ रहे हैं पर पुलिस वाले इनसे जुड़े डेटा देर से रिलीज कर रहे हैं।
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पहले खबर थी कि अपराधी कोरोना से डरे हुए हैं इसीलिए अपने मंसूबे पूरे नहीं कर पा रहे। अब दिल्ली पुलिस के जारी आंकड़ों के अनुसार, अप्रैल के मुकाबले मई में अपराध का ग्राफ बढ़ा है। मई के पहले पखवाड़े में ही 18 हत्याओं की वारदातें हो गई हैं। लूट और झपटमारी की वारदातों का ग्राफ भी लगातार बढ़ रहा है।
यूं लॉकडाउन के दौरान महिलाओं के साथ साइबर अपराध में भी बढ़ोतरी हुई है। लॉकडाउन ने लोगों को उनके घरों तक ही सीमित कर दिया था। सोशल डिस्टेंसिंग के चलते लोग अपने घरों में होने के बाद भी अलग-थलग हो गए थे। ऐसे में लोग टीवी, मोबाइल और इंटरनेट के सहारे अपना समय बिता रहे थे। ऐसे में महिलाओं के खिलाफ साइबर क्राइम में काफी वृद्धि हुई। अप्रैल माह में महिलाओं के खिलाफ होने वाले साइबर क्राइम में 54 शिकायतें ऑनलाइन दर्ज हुई। जबकि मार्च में 37 शिकायतें सामने आई थीं और वहीं फरवरी में 21 शिकायतें ही दर्ज की गई थीं। लॉकडाउन के बीच ऑनलाइन शिकायतों में काफी वृद्धि हुई है। यह विश्व स्तर पर भी एक सच्चाई है। इससे पहले लंदन के मेयर सादिक खान कह चुके हैं कि कोरोना वायरस लॉकडाउन के कारण गरीबी और निराशा बढ़ेगी तो हिंसा और अपराध के बढ़ने की भी आशंका है।
उन्होंने ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन से अनुरोध किया था कि वे इस सिलसिले में बड़ा कदम उठाएं। उन्होंने यह भी कहा था कि लॉकडाउन के कारण युवा बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। उनकी मानिसक स्थिति खराब हुई है, जिसकी वजह से उनके हिंसा में शामिल होने की पूरी उम्मीद है। भारत में कोविड-19 के कारण 13.5 करोड़ लोगों की नौकरियां खत्म हो सकती हैं और 12 करोड़ लोग गरीबी के गर्त में गिर सकते हैं। परामर्श कंपनी आर्थर डी लिटिल की रिपोर्ट में कहा गया है कि इस महामारी का उपभोक्ताओं की आय, उनकी बचत और खर्च पर व्यापक असर हो सकता है। रिपोर्ट के अनुसार, कोविड-19 का सबसे बुरा असर नौकरियों के नुकसान, गरीबी में वृद्धि तथा प्रति व्यक्ति आय में गिरावट के रूप में निचले पायदान पर खड़े लोगों पर पड़ेगा। 2016 की नोटबंदी ने अनौपचारिक क्षेत्र की कमर पहले ही तोड़ दी थी।
इसका नकारात्मक असर बाद तक बना रहा और इसके बाद के सालों में भारत की बेरोजगारी दर बढ़कर 45 सालों में सबसे ज्यादा हो गई। भारत की अर्थव्यवस्था में मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र में भी मंदी थी और 2019 की आखिरी दो तिमाहियों में तेल, गैस, बिजली आदि जैसे कोर क्षेत्रों में नकारात्मक वृद्धि दर्ज की गई थी। एक तरह से देखा जाए तो कोविड-19 ने भारतीय अर्थव्यवस्था पर उस समय हमला किया है, जब यह पहले से ही लड़खड़ाई हुई थी। जब एक तरफ निवेश का नामोनिशान गायब था, बेरोजगारी दर काफी ऊंची थी और ग्रामीण मजदूरी और उपभोग में करीब ठहराव आ गया था। कहा जा रहा है कि लॉकडाउन के बाद बेरोजगारी से कमाई में गिरावट हुई है और अपराध बढ़े हैं। इसका शिकार औरतें और बच्चे ज्यादा हो रहे हैं क्योंकि स्नैचिंग और सेंधमारी की घटनाएं तेजी से बढ़ी हैं। क्या हर बेरोजगार अपराध का ही सहारा लेगा, ऐसा नहीं है। चूंकि हर गरीब अपराधी नहीं होता-लेकिन उसे आप उस ओर धकेलते जरूर हैं क्योंकि उनके लिए जीविकोपार्जन के विकल्प नहीं बचते।
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