सामयिक : चीन पर नकेल जरूरी

Last Updated 10 Jun 2020 02:27:54 AM IST

हाल यद्यपि इन दिनों जहां एक ओर चीन द्वारा भारत के साथ पूर्वी लद्दाख सीमा पर सैन्य तनाव कम करने के लिए बातचीत की जा रही है, वहीं दूसरी ओर चीन द्वारा बड़े पैमाने पर युद्धाभ्यास किए जाने से पूरे भारत में चीन विरोधी माहौल दिखाई दे रहा है।


सामयिक : चीन पर नकेल जरूरी

देशभर में व्हाट्सऐप पर सक्रिय अधिकांश समूह सहित विभिन्न सोशल मीडिया मंचों पर यह अभियान शुरू हुआ है कि भारतीय दुकानदार और नागरिक चीन में उत्पादित वस्तुओं के बहिष्कार की नीति पर आगे बढ़कर चीन पर आर्थिक दबाव बढ़ाएं तथा देश को आत्मनिर्भरता की डगर पर आगे बढ़ाने में हरसंभव योगदान दें।
गौरतलब है कि अक्टूबर, 2016 में भारत द्वारा पाकिस्तान पर सर्जिकल स्ट्राइक के बाद चीन द्वारा पाकिस्तान का साथ दिए जाने के कारण देश के कोने-कोने में भारतीय उपभोक्ताओं द्वारा चीनी माल का बहिष्कार किया गया था। इसी तरह जुलाई, 2017 में सिक्किम के डोकलाम में चीनी सेना के सामने भारतीय सेना को खड़े कर दिए जाने पर जब चीन ने युद्ध की धमकी दी थी तो भारत में चीनी वस्तुओं के बहिष्कार का जोरदार परिदृश्य दिखाई दिया था। इन दोनों घटनाक्रमों के बाद भारतीय बाजारों में चीनी उपभोक्ता सामान की बिक्री में करीब 25 फीसदी की कमी आई थी। साथ ही, चीन से बढ़ते हुए आयात की दर में भी कमी आई थी। हाल ही में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 31 मई को 65वें ‘मन की बात’ के प्रसारण में कहा कि इस दशक में ‘आत्मनिर्भर भारत’  का लक्ष्य निश्चित ही देश को नई ऊंचाइयों की तरफ ले जाएगा।

उन्होंने संकेत दिया कि देश में ही निर्मिंत हो रहीं वस्तुओं को अन्य देशों से आयात नहीं किए जाने की जरूरत पर भी विचार किया जाएगा। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि कुटीर और लघु उद्योग स्थापित करके उन लाखों प्रवासी कामगारों को रोजगार और स्वरोजगार के अवसर देने की जरूरत है, जो कस्बों और गांवों में पहुंचे हैं। ऐसे कई उत्पाद हैं, जो बाहर से देश में आ जाते हैं और इसकी वजह से ईमानदार करदाताओं की ओर से व्यर्थ खर्च होता है। उनके विकल्प का निर्माण भारत में आसानी से किया जा सकता है और देश को आत्मनिर्भर बनाने की डगर पर तेजी से आगे बढ़ाया जा सकता है। उल्लेखनीय है कि जैसे-जैसे भारत-चीन व्यापार बढ़ता गया है, वैसे-वैसे भारत के बाजार में चीन की वस्तुओं के आयात छलांगें लगाकर बढ़ते गए हैं। दोनों देशों के बीच 2001-02 में आपसी व्यापार महज तीन अरब डॉलर था जो 2018-19 में बढ़कर करीब 87 अरब डॉलर पर पहुंच गया। भारत में चीन से करीब 70 अरब डॉलर मूल्य का आयात किया गया और चीन को करीब 17 अरब डॉलर का निर्यात किया गया। सरल शब्दों में हम कह सकते हैं कि हम चीन को किए जाने वाले निर्यात की तुलना में चार गुना आयात करते हैं। इतना ही नहीं चिंताजनक यह भी है कि हमारे कुल विदेश व्यापार घाटे का करीब एक तिहाई व्यापार घाटा चीन से संबंधित है। चूंकि चीन ने नियंत्रण रेखा पर सैन्य गतिविधियां बढ़ाई हैं, अतएव इस मुद्दे को न केवल सरकार द्वारा वरन प्रत्येक भारतीय द्वारा चुनौती के रूप में स्वीकार किया जाना होगा।
देश द्वारा टेक्सटाइल फैब्रिक्स, खिलौने, सजावटी सामान, सांस्कृतिक एवं धार्मिंक त्यौहारों पर उपयोग में आने वाली वस्तुएं, रेफ्रीजिरेटर, एमोक्सिसिलिन एरिथ्रोमाइसिन और मेट्रोनिडाजोल जैसे एंटीबायोटिक्स, विटामिन, कीटनाशक, स्वचालित डेटा प्रोसेसिंग मशीन, डायोड, सेमीकंडक्टर डिवाइस, ऑटो पार्ट्स, स्टील और एल्यूमीनियम आइटम, फार्मा उद्योग का कच्चा माल, रसायन, स्मार्टफोन, इलेक्ट्रॉनिक्स सहित कोई एक हजार से अधिक वस्तुओं का बड़े पैमाने पर चीन से आयात किया जाता है। ऐसे में जहां एक ओर देश के करोड़ों उपभोक्ताओं द्वारा चीनी वस्तुओं के विरोध की नीति की डगर पर आगे बढ़ा जा सकता है, वहीं दूसरी ओर सरकार द्वारा भी चीन से मुकाबले की आर्थिक रणनीति बनानी होगी।
यह बात भी महत्त्वपूर्ण है कि भारत आत्मनिर्भरता की डगर पर आगे बढ़कर चीन से आयात में कमी कर सकता है। मई, 2020 में घोषित किए गए नये आर्थिक पैकेज के तहत छोटे उद्योग-कारोबार के लिए लोकल के लिए वोकल होने की जो संकल्पना की गई है, उससे स्थानीय एवं स्वदेशी उद्योगों को भारी प्रोत्साहन मिलेगा। वोकल फॉर लोकल अभियान से मोदी सरकार के ‘मेक इन इंडिया’ अभियान को नई ऊर्जा मिलने की उम्मीद है। यह कोई छोटी बात नहीं है कि कोरोना के संकट में जब दुनिया की बड़ी-बड़ी अर्थव्यवस्थाएं ढह गई हैं, तब भी लोकल यानी स्थानीय आपूर्ति व्यवस्था, स्थानीय विनिर्माण, स्थानीय बाजार देश के बहुत काम आए हैं। ऐसे में भारत आत्मनिर्भरता की डगर पर आगे बढ़कर और गैर-जरूरी आयातों को नियंत्रित करके चीन पर आर्थिक दबाव बना सकता है।
निश्चित रूप से कोविड-19 के बीच जब हम देश को आत्मनिर्भर बनाने के मामले में विभिन्न चुनौतियों को देखते हैं, तो पाते हैं कि कई वस्तुओं का उत्पादन बहुत कुछ आयातित कच्चे माल और आयातित वस्तुओं पर आधारित है। खास तौर से दवाई उद्योग, मोबाइल उद्योग, चिकित्सा उपकरण उद्योग, वाहन उद्योग तथा इलेक्ट्रिक जैसे कई उद्योग। बहुत कुछ आयातित माल पर आधारित है। इस समय मैन्युफैक्चरिंग इकाइयों के लिए बड़ी मात्रा में कच्चा माल चीन से आयात किया जाता है। इसके अलावा कई उद्योगों के लिए कच्चे माल का आयात दुनिया के कई देशों से किया जाता है। अतएव सबसे पहले देश में ऐसे कच्चे माल का उत्पादन शुरू किया जाना होगा जिनका हम अभी बड़ी मात्रा में आयात कर रहे हैं। यह कोई बहुत कठिन काम नहीं है क्योंकि ऐसे विशिष्ट कच्चे माल के उत्पादन में विशेष कुशलता के साथ-साथ बड़ी मात्रा में संसाधनों की रणनीति के साथ सरकार आगे बढ़ती हुई दिखाई दे रही है। 
हम उम्मीद करें कि चीन द्वारा लद्दाख में सैन्य गतिविधियां बढ़ाने के परिप्रेक्ष्य में चीन पर आर्थिक दबाव बनाने के लिए करोड़ों भारतीय उपभोक्ता और भारतीय उद्यमी-कारोबारी स्वदेशी की भावना के साथ आगे आएंगे। ऐसे में करोड़ों देशवासियों की चीन के उत्पादों के बहिष्कार की रणनीति चीन के भारत विरोधी कदमों को नियंत्रित करने में सार्थक भूमिका निभाते हुए दिखाई दे सकती है।

जयंतीलाल भंडारी


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