एप्स : भ्रम और डर की स्थिति क्यों?

Last Updated 27 May 2020 12:27:55 AM IST

इस समय ‘आरोग्य सेतु एप’ निजी जानकारियों की सुरक्षा को लेकर और ‘जूम एप’ साइबर हमले की आशंका को लेकर चर्चा में है।


एप्स : भ्रम और डर की स्थिति क्यों?

भारत में कोरोना महामारी के शुरू हुए लगभग 4 महीने बीत चुके हैं। बावजूद इसके, देश की एक बड़ी आबादी आज भी कोरोना वायरस के खतरों को लेकर संवेदनशील नहीं है। इसे लेकर लोगों के बीच भ्रम और डर की स्थिति है।
समस्याओं के समाधान के लिए सरकार ‘आरोग्य सेतु एप’ लेकर आई है, जिसे प्ले स्टोर के जरिये एंड्रॉयड और आईफोन स्मोर्टफोन में इंस्टाल किया जा सकता है। कोरोना वायरस से बचने के लिए देशभर में तालाबंदी की गई है। मौजूदा संकट में ‘जूम एप’ मददगार साबित हो रहा है।  कोरोना महामारी से जुड़ी जानकारियों एवं बचाव के तरीकों को सरकार ने ‘आरोग्य सेतु एप’ में समाहित किया है। इस ऐप की मदद से लोग कोरोना वायरस के लक्षणों की पहचान कर सकते हैं। साथ ही, इलाके में मौजूद कोरोना संक्रमितों के बारे में भी जानकारी हासिल कर सकते हैं। यह एप संक्रमण के खतरे और जोखिम का आकलन करने में भी उपयोगकर्ताओं की मदद करता है। मोबाइल नंबर को पंजीकृत करने एवं ओटीपी द्वारा उसे सत्यापित करने के बाद ही यह ऐप काम करना शुरू करता है।
भारत सरकार के इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने 11 मई को इस संबंध में दिशा-निर्देश जारी किया है, जिसके अनुसार सोशल डिस्टेंसिंग का सही रूप में पालन कराने और कोरोना संक्रमितों के इलाज के लिए यह एप जरूरी है। इसकी मदद से केंद्र और राज्य सरकारें कोरोना वायरस से बचाव के लिए जरूरी आंकड़ों को अस्थायी रूप से संग्रहित करती हैं। कोरोना महामारी के कारण देशभर में लगभग 2 महीनों से तालाबंदी है। सभी लोग अपने घरों में बंद हैं। घर से एवं कार्यालयों में लोग वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये मीटिंग कर रहे हैं। प्रोन्नति के लिये इंटरव्यू भी इस एप के जरिये लिया एवं दिया जा रहा है। अप्रैल महीने से स्कूलों में जूम एप की मदद से ऑनलाइन क्लास शुरू की गई है। लोग मुशायरा, कवि सम्मलेन आदि भी इस  एप के माध्यम से आयोजित कर रहे हैं, जिसमें देश-विदेश से लोग शामिल हो रहे हैं। इस एप की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसके जरिये हजारों की संख्या में लोग एक-दूसरे से जुड़ सकते हैं। हालांकि, आगाज के साथ ही ‘आरोग्य सेतु एप’ को लेकर सवाल उठाये जा रहे हैं। कहा जा रहा है कि इस एप की वजह से लोगों की निजी जानकारियां खतरे में आ गई हैं, जबकि सरकार का कहना है कि इसका निर्माण लोगों को स्वस्थ रखने के लिए किया गया है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ‘आरोग्य सेतु एप’ को कोरोना वायरस से लड़ाई में बहुत ही अहम बताया है। यह सही भी है, क्योंकि जानकारों के अनुसार इस एप में मौजूद सामान्य जानकारियां 30 दिन के अंदर अपने आप मिट जाती हैं। अगर कोई संक्रमित व्यक्ति है तो उससे जुड़े आंकड़े 45 से 50 दिन में खुद-ब-खुद मिट जाते हैं। साफ है, इस एप के निर्माण का मकसद किसी की निजता का उल्लंघन करना नहीं है। एप में मौजूद ‘आरोग्य सेतु मित्र’ सुविधा का उपयोग कर चिकित्सक से ऑनलाइन परामर्श भी लिया जा सकता है। इस ऐप में उपलब्ध गुणों की वजह से इसे सरकारी एवं निजी क्षेत्र के कर्मचारियों के लिए इसका उपयोग करना अनिवार्य कर दिया गया है। भारत समेत दुनिया के अनेक देशों में ‘जूम एप’ का इस्तेमाल तेजी से बढ़ रहा है, पर साथ में ‘जूम एप’ को लेकर सवाल भी उठाए जा रहे हैं।
भारत में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इसके इस्तेमाल को लेकर उपयोगकर्ताओं को चेताया है। भारत की कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पांस टीम और राष्ट्रीय साइबर-सुरक्षा एजेंसी ने भी ‘जूम एप’ के खतरे को लेकर इसके उपयोगकर्ताओं को आगाह किया है। सबसे मजेदार बात यह है कि जूम के सीईओ एरिक युआन भी मानते हैं कि उनका यह एप सुरक्षा के लिहाज से सुरक्षित नहीं है।
विशेषज्ञों के अनुसार ‘जूम एप’ के इस्तेमाल से उपयोगकर्ताओं को साइबर हमलों का सामना करना पड़ सकता है, क्योंकि इसके जरिये हैकर्स आसानी से उपयोगकर्ता से संबंधित आंकड़ों की चोरी कर सकते हैं। वहीं, यदि हम ‘जूम एप’ को इंस्टाल करते हैं तो जरूर खतरे की जद में आ सकते हैं, क्योंकि इस एप की वजह से साइबर धोखाधड़ी की संभावना बढ़ जाती है। चूंकि यह एप मुफ्त में उपलब्ध है और इसे इस्तेमाल करना भी आसान है, इसलिए भारत में लोग जमकर इसका उपयोग कर रहे हैं, पर हमें इसके इस्तेमाल में सतर्क रहने की जरूरत है, अन्यथा हम बड़ी ठगी का शिकार हो सकते हैं।

सतीश सिंह


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