कोविड-19 : संकट से जल्द उबरेगा भारत

Last Updated 26 May 2020 12:55:12 AM IST

जान भी और जहान भी-जीवन और आजीविका। पीएम मोदी की कोविड-19 महामारी प्रबंधन रणनीति की ये दो प्राथमिकताएं हैं।


कोविड-19 : संकट से जल्द उबरेगा भारत

हर देश ने महामारी के 6 महीनों के दौरान इन्हीं दोनों प्राथमिकताओं में संतुलन साधने की कोशिश की है। कुछ देशों में बिल्कुल अव्यवस्था हो गई, जबकि अन्य देशों ने निश्चित रूप से संघर्ष किया है। बहरहाल, इस पर व्यापक सहमति है कि कुछ देश ही इस संकट का अच्छी तरह से प्रबंधन कर पा रहे हैं। भारत उनमें से एक है।
भारत बहुत ज्यादा जनसंख्या घनत्व वाला एक विशाल निम्न मध्यम-आय वाला देश है। इसके बाद भी भारत कैसे सफल हो रहा है, जबकि बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं वाले अमीर देश असफल हो रहे हैं? पीएम मोदी की सरकार ने इन चार प्रमुख पहलुओं पर ध्यान केंद्रित कर महामारी का प्रबंधन किया है: (1) अच्छी तरह से क्रमिक, व्यवस्थित दृष्टिकोण; (2) एक सख्त लॉकडाउनकरना और फिर इसे धीरे-धीरे हटाना; (3) सभी कमजोर समूहों को बड़े पैमाने पर तत्काल राहत प्रदान करना; और (4) इस वैश्विक संकट का उपयोग एक प्रगतिशील आत्मनिर्भर भारत बनाने के लिए करना। जब अनिश्चितता अधिक हो तो एक सुसंगठित, क्रमिक दृष्टिकोण आवश्यक है। मोदी सरकार ने कोविड-19 महामारी के दौरान इस रणनीति का लगातार पालन किया है। कुछ अन्य देशों ने बहुत जल्दी एक या फिर दूसरी रणनीति अपनाई। उदाहरण के लिए, यूके पहले र्हड इम्युनिटी की रणनीति पर चला, फिर जल्दी से अपनी कार्यप्रणाली बदली और एक सख्त लॉकडाउन लागू किया।

भारत उन शुरुआती देशों में से एक था, जिसने चीन से आने वाले यात्रियों को प्रतिबंधित किया। जैसे-जैसे दुनियाभर में महामारी फैलने लगी और पता चल गया कि इसका कोई इलाज या टीका उपलब्ध नहीं है, देशव्यापी लॉकडाउन लागू कर दिया गया। खतरे को भांपते हुए यह समय पूर्व की गई सर्जिकल स्ट्राइक थी क्योंकि भारत में तब केवल 536 मामले थे। अब जबकि लॉकडाउन प्रभावी साबित हुआ है और उपचार उपलब्ध हो रहा है तो लॉकडाउन को हटाया जा रहा है। पीएम मोदी और वित्त मंत्री सीतारमण इसी प्रकार से अर्थव्यवस्था के लिए भी समग्र दृष्टिकोण अपना रहे हैं। कोविड-19 महामारी प्रबंधन रणनीति का दूसरा पहलू एक सख्त लॉकडाउन को लागू करना और इसके बाद लॉकडाउन को धीरे-धीरे हटाना है। जब 25 मार्च को लॉकडाउन लागू किया गया था तो रोजाना मामलों की वृद्धि दर 16 प्रतिशत से अधिक थी। इस रफ्तार से, अब तक 4 मिलियन के करीब मामले हो गए होते और महामारी ने घबराहट बढ़ा दी होती। इसके बजाय, हमारे यहां सिर्फ 118,000 से ज्यादा मामले हैं। इतिहास निश्चित रूप से इस बात को स्वीकार करेगा कि लाखों जिंदगियां बचाई गई हैं। हमने अपने 1.36 अरब लोगों को सामाजिक दूरी, हाथ धोने और फेस कवर का इस्तेमाल करने को लेकर शिक्षित किया। चिकित्सा सुविधाओं का तेजी से विस्तार किया गया। अब हर जिले में आइसोलेशन वार्ड, पीपीई किट, प्रशिक्षित मेडिकल स्टाफ, वेंटिलेटर और ऑक्सीजन ट्रीटमेंट की सुविधा है।
हमारे इंजीनियरों ने सस्ते वेंटिलेटर्स बनाने पर काम किया और हमारे वैज्ञानिकों ने बड़ी मात्रा में टीके और दवाएं बनाने की तैयारी कर ली। अब लॉकडाउन हटाने में सहकारी संघवाद का प्रभावशाली रूप दिखाई दे रहा है। हर राज्य कंटेनमेंट क्षेत्र में डब्लूएचओ टी3 दृष्टिकोण (परीक्षण, उपचार, निगरानी) का सख्ती से पालन कर रहे हैं। आपूर्ति श्रृंखला एक बार फिर से गतिविधि के साथ आगे बढ़ रही है। फैक्टरियां शुरू हो रही हैं, दुकानें खुलने लगी हैं, कार्यालयों में फिर लोग आने लगे हैं और वितरण सेवाएं व्यवसाय में वापस आ गई हैं। ट्रेनें, विमान, ट्रक और बसें उचित सुरक्षा उपायों के साथ फिर से शुरू की गई हैं। पीएम मोदी की सरकार ने कमजोर समूहों को तत्काल व्यापक आर्थिक राहत प्रदान करना शुरू किया। पहला राहत पैकेज राजकोषीय अनुपालन और वित्तीय उपायों को एकीकृत करते हुए, लॉकडाउन की घोषणा होने के कुछ दिन के भीतर ही आ गया। शहरी गरीबों को पीडीएस दुकानों के माध्यम से खाद्य सुरक्षा प्रदान की गई और जनधन खातों और पेंशन योजनाओं के जरिए नकद भुगतान दिया गया। ग्रामीण अंचल के गरीबों को भोजन, नकद भुगतान के साथ ही उनकी कृषि संबंधी गतिविधियों को जारी रखने की अनुमति दी गई। मध्यम वर्ग और एमएसएमई के लिए अनुपालन राहत और कर्ज स्थगन किया गया। आरबीआई ने दरों में कमी की और क्रेडिट बाजारों को स्थिर रखने तथा कॉरपोरेट्स को पर्याप्त ऋण के लिए सक्षम बनाने के लिए वित्तीय प्रणाली में कैश बढ़ाया गया। खेतों में रबी की फसल को देखते हुए कृषि को पर्याप्त सहयोग प्रदान किया गया। फसल इकट्ठा की गई और किसानों को उनका लाभकारी मूल्य दिया गया और मनरेगा गतिविधियों को फिर से शुरू किया गया।
यह वापसी का सफर लंबा और मुश्किलों से भरा है; दुख की बात है कि दुर्घटनाओं में भी कई लोगों की मौत हो गई। सुखद है कि राज्य सरकारों ने मिलकर प्रवासियों को ट्रेनों और बसों से लाने का काम किया। उन्हें राहत पहुंचाने के लिए सिविल सोसाइटी ने पूरी ताकत झोंक दी। व्यापक रिवर्स माइग्रेशन (शहरों से गांवों की ओर पलायन) अब घट रहा है। 12 मई को पीएम मोदी ने सशक्त भारत के निर्माण के लिए अपने आत्मनिर्भर भारत दृष्टिकोण की घोषणा की। वित्त मंत्री सीतारमण ने 13 से 17 मई तक पांच चरणों में विवरण प्रस्तुत किया। कृषि को पूरी तरह से नियंत्रण मुक्त रखा गया है। किसान अब अपने उत्पादन को स्वतंत्र रूप से बेच सकेंगे।
एक देश एक राशन कार्ड के जरिए राष्ट्रव्यापी सुरक्षा नेटवर्क तैयार किया जा रहा है। सभी गैर-रणनीतिक क्षेत्रों में सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों के निजीकरण को तेजी से आगे बढ़ाया जाएगा। इन्सॉल्वेंसी की कार्यवाही में एक साल के लिए ढील दी जा रही है। राज्यों को अपने डिस्कॉम को मजबूत करने और सुरक्षातंत्र को लागू करने के लिए और ज्यादा धनराशि मिल रही है। स्वास्थ्य खर्च में भारी वृद्धि की जा रही है। कोविड-19 महामारी कम-से-कम अगले दो वर्षो तक हमारे साथ रहेगी। कोविड के बाद की दुनिया बिल्कुल अलग होगी। पीएम मोदी ने इस मौके का इस्तेमाल संकट से जल्द उबरने वाला भारत बनाने के लिए किया है। एक ऐसा भारत, जो जीवन और आजीविका दोनों की रक्षा करने में सक्षम है। एक मजबूत, ज्यादा आत्मनिर्भर भारत भविष्य को उम्मीद के साथ देख सकता है।
(लेखक वित्त संबंधी स्थायी समिति के अध्यक्ष और हजारीबाग से लोक सभा सांसद हैं)

जयंत सिन्हा


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