नई फसल : खाद्य सुरक्षा का रहे ध्यान

Last Updated 03 Apr 2020 12:37:29 AM IST

जहां एक ओर कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण को रोकने के लिए देशव्यापी लॉक-डाउन चल रहा है वहीं दूसरी ओर रबी की फसल कटने का समय भी आ गया है। इस फसल में मुख्यत: गेहूं, दालें, तिलहन व अन्य फसलें हैं, जो देश की खाद्य एवं पोषण सुरक्षा के लिए आवश्यक हैं।


नई फसल : खाद्य सुरक्षा का रहे ध्यान

वैसे तो सभी वर्षो में खाद्य फसलें महत्त्वपूर्ण होती हैं पर वर्तमान देशीय एवं वैश्विक स्थिति में खाद्य एवं पोषण सुरक्षा की दृष्टि से इस बार की खाद्य फसलें अधिक महत्त्वपूर्ण हो गई हैं। इस समय हमारे सामने कई उद्देश्य हैं जो एक साथ पूरे करने हैं-फसल की समय से कटाई, किसानों को उचित दाम, मजदूरों को उचित मजदूरी, राशन की दुकानों व पोषण कार्यक्रमों में पर्याप्त खाद्य सामगी की उपलब्धि और सोशल डिस्टेंटिंग। हमें ये सब उद्देश्य एक साथ प्राप्त करने की योजना बनानी है। सर्वप्रथम तो यही जरूरी है कि फसलों की कटाई में कोई बाधा न आए। सही समय पर इनकी कटाई कर ली जाए। देश के कुछ भागों में कम्बाइन हारवेस्टर से कटाई होती है।

कुछ भागों में किसान का परिवार और मजदूर मिलकर कटाई करते हैं। इस बार मजदूरों पर निर्भरता अधिक होगी। कम्बाइन हारवेस्टर प्राय: दूर के स्थानों से लाए जाते हैं, विशेषकर पंजाब से बहुत से हारवेस्टर आते हैं। इस बार की विशेष परिस्थितियों में या तो हारवेस्टर पंहुच नहीं पा रहे हैं, या उनके पहुंचने में बहुत देर हो रही है। इस वर्ष कटाई के समय प्रत्येक जिले में वरिष्ठ कृषि अधिकारी को फसल कटाई कार्य की देखरेख की जिम्मेदारी देनी चाहिए जिससे फसल कटाई के लिए सभी सावधानियां स्थानीय आवश्यकतानुसार जैसे सोशल डिस्टेंसिंग, स्वच्छता इत्यादि सुनिश्चित हो सकें। खेतों में पानी, साबुन आदि की व्यवस्था भी होनी चाहिए।

सरकार को उपज के  मंडी तक पहुंचने का इंतजार किए बगैर किसानों का कुछ उत्पाद जैसे अनाज, दालें, आलू एवं तिलहन इत्यादि स्थानीय पोषण कार्यक्रमों और राशन की दुकानों की आपूर्ति के लिए कम से कम दो माह की जरूरत के अनुसार खरीद लेने चाहिए। इस खरीद के लिए किसानों को उचित समर्थन मूल्य पर अग्रिम भुगतान कर देना चाहिए जिससे फसल कटाई में लगे लोगों का भुगतान भी सही समय पर हो सके। अग्रिम भुगतान इस शर्त पर होना चाहिए कि मजदूरों को भुगतान तुरंत और सही दरों पर किया जाएगा।

इन कदमों से किसानों को अपने कुछ उत्पाद का उचित मूल्य सही समय पर मिल जाएगा। उसे मंडी जाकर जल्दबाजी में उत्पाद बेचने की जरूरत नहीं होगी। सोशल डिस्टेंसिंग सुनिश्चित करने में इसकी बड़ी भूमिका सिद्ध होगी। छब्बीस मार्च को राशन में मिलने वाले खाद्य पदाथरे के लिए जो विशेष घोषणाएं (प्रधानमंत्री गरीब कल्याण पैकेज के अंतर्गत) की गई हैं, उनके आधार पर राशन का वितरण सुनिश्चित किया जाना चाहिए जिसमें अतिरिक्त नि:शुल्क राशन व्यवस्था का भी जिक्र है। राशन वितरण में बायोमीट्रिक मिलान संबंधी बाध्यताओं में छूट देना भी आवश्यक है। एक कारण तो स्पष्ट है सोशल डिस्टेंसिंग की आवश्यकता को देखते हुए दूसरे मेहनतकश ग्रामीण लोगों के बायोमीट्रिक मिलान में कठिनाइयां आती हैं क्योंकि उनकी अंगुलियों की छाप मेहनत के कारण प्राय: स्पष्ट नहीं आ पाती है। जिन राशन काडरे को वर्तमान में निरस्त कर दिया गया है, उन्हें पुन: चालू कर कमजोर वर्ग को राशन सुनिश्चित किया जाना आवश्यक है। कई राशन काडरे में परिवार के पूरे सदस्यों के नाम नहीं हैं। सभी जरूरतमंद पूरे परिवारों को राशन मिलना ही चाहिए।

कुछ समय के लिए सोशल डिस्टेंसिंग की आवश्यकता को देखते हुए अधिकांश स्थानों पर स्कूल और आंगनवाड़ी केंद्र बंद कर दिए गए हैं, जिस कारण वहां चलने वाले पोषण कार्यक्रम भी अभी बंद हैं। जब तक इनका संचालन पुन: आरंभ नहीं होता तब तक इन पोषण कार्यक्रमों में मिलने वाली कच्ची खाद्य सामग्री को नि:शुल्क राशन में जोड़कर गांववासियों को देना चाहिए। निश्चित तौर पर यह प्रयास मजबूत सामुदायिक सहयोग एवं सहभागिता के आधार पर ही संभव हैं। इस तरह कमजोर वर्ग के सभी समुदायों जैसे किसानों, खेत मजदूरों, बंटाईदार कृषकों, अप्रवासी मजदूरों तक लाभ पहुंचा सकना संभव होगा। इन प्रयासों के सुचारू रूप से संचालन के लिए समाज की एकता बहुत जरूरी है और इस प्रक्रिया में समाज की एकता और आगे बढ़ेगी। समुदाय की सहभागिता में महिलाओं और कमजोर वर्ग का सहयोग प्राप्त करना बहुत जरूरी है।
गांवों में आज मोबाइल एवं स्मार्ट फोनों की अच्छी खासी उपस्थिति है, जिससे ऐसे प्रयासों के संचालन में सहायता मिलेगी और सामाजिक दूरी बनाए रखने की आवश्यकता का निर्वहन भी संभव हो सकेगा। साथ ही, इस प्रयास को भ्रष्टाचार से बचाने के लिए भी पूरी सर्तकता बरतनी होगी।

भारत डोगरा


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