कोरोना : सतर्कता, सहजता, सदाचार

Last Updated 02 Apr 2020 01:12:13 AM IST

मानव के समक्ष अनादि काल से ही शुभ और अशुभ की घड़ी आती रही है। इसमें शुभ से तो कोई समस्या नहीं रही है। बवाल की सारी जड़ें अशुभ के ही गर्भ से निकलती रही हैं।


कोरोना : सतर्कता, सहजता, सदाचार

जब हम अशुभ के प्रकार पर ध्यान देते हैं, तो हमारे समक्ष इसके दो भेद मिलते हैं। इनमें पहला प्राकृतिक अशुभ और दूसरा नैतिक अशुभ है। प्राकृतिक अशुभ में भूकंप, बाढ़, अकाल, सूखा, मृत्यु, रोग-महामारी, हिंसक पशु और अज्ञानता आदि का समावेश है अर्थात प्रकृति में ऐसे तत्वों का भी समावेश है, जो मनुष्य और अन्य जीव जगत के लिए दुखदायी हैं। इसके आलावा, मनुष्य के खुद के अनैतिक कृत्य (असत्य, हिंसा, चोरी, मनमाना आचरण आदि) दुख के कारण हैं। 
कुछ दिन पहले से देश-दुनिया में व्याप्त अशुभ लक्षण ‘कोरोना’ के संबंध में ज्योतिष के अनुसार कारण, समस्या और समाधान के लिए विवेचना प्रस्तुत की जाती रही हैं। लेकिन दरम्यान कोरोना के संबंध में तरह-तरह  की भ्रांतियां फैलाई गई हैं। इनका निराकरण चिकित्सा विज्ञान के तहत करते हुए बचाव के सहज उपाय बताने का यहां संवाद शैली में प्रयास किया गया है। सबसे पहले सवाल तो यही है कि कोरोना का अर्थ क्या है? इसका प्रादुर्भाव कैसे हुआ और चिकित्सा विज्ञान के अनुसार इसकी व्याख्या क्या है?

कोरोना शब्द न तो चीनी भाषा का है और न ही अंग्रेजी भाषा का है। यह नामकरण राजाओं के ताज की आकृति ‘क्राउन’ (लैटिन शब्द) से हुआ है। जैसे ताज का ऊपरी हिस्सा कंटीला दिखाई देता है, वैसे ही कोरोना की आकृति कांटेदार दिखाई देती है। कोरोना एक वायरस (जीवाणु) है यानी यह बीमारी का नाम नही है। दिलचस्प तथ्य यह है कि इस वायरस का प्रादुर्भाव उस समय हुआ जब चीन के वुहान शहर के निकट एक जंगली गांव में वर्षो पहले एक चमगादड़ के जरिए लोगों को संक्रमित होते देखा गया था। यहीं से लोग संक्रमित होते चले गए और कोरोना विव्यापी बना। इसे किसी प्रयोगशाला में विकसित नहीं किया गया है। यह वायरस कुदरती है, और अशुभ है। एक सवाल यह है कि कोरोना किस देश में नहीं  फैलेगा? जवाब में कह सकते हैं कि जहां मानव समुदाय है, वहां यह अपने पैर जमा सकता है। पूछा जा रहा है कि क्या गर्मी का मौसम आने पर कोरोना जल जाएगा? कह सकते हैं कि ऐसी उम्मीद नहीं रखनी चाहिए। कारण, कोरोना जीवाणु को जलाने के लिए 55 अंश सेंटीग्रेट तापमान की जरूरत होती है। भारत में अधिकतम तापमान 51अंश सेंटीग्रेट का रिकॉर्ड  केवल राजस्थान में है। इसलिए हमें किसी भुलावे में नहीं रहना है और न दुष्प्रचार करना चाहिए। एक विवाद कोरोना से प्रभावित होने के मामले में उम्र को लेकर है। बता दें कि दस साल से कम उम्र के बच्चों और साठ साल से ज्यादा उम्र के लोगों को जल्दी प्रभावित करता है। कोई युवा है, या पहलवान है, या ताकतवर है तो भी कोरोना उसे चपेट में ले सकता है। 
मांसाहार लेने वाले भी अपनी डफली अलग बजा रहे हैं। कुछ लोगों का कहना है कि उच्च तापमान पर मांस और अंडे का सेवन करने पर रोग प्रतिरोधी क्षमता बढ़ सकती है। बेहतरी इसमें है कि महीने भर मांसाहार बंद कर दें। उधर, मदिरा सेवन करने वाले ललकार रहे हैं कि कोरोना के वायरस को मदिरा (इथाइल/ आइसप्रोपाइल अल्कोहल) नष्ट कर देगी। यह भी अर्धसत्य है। कारण, 70 प्रतिशत अल्कोहल से कोरोना को नष्ट किया जा सकता है। मदिरा सेवन से शरीर में मात्र 8 से 40 प्रतिशत अल्कोहल शरीर में जाता है। इसलिए कोरोना के प्रकोप से बचने में मदिरा सहायक नहीं है। उलटपक्षी मदिरा सेवन से रोग प्रतिकार क्षमता घटती है। महत्त्वपूर्ण प्रश्न यह है कि कोरोना से पीड़ित होने के लक्षण क्या हैं? इसके लक्षण हैं-1) बुखार; 2) सर्दी; 3) सांस लेने में परेशानी; तथा 4) थकावट के साथ सूखी खांसी। यदि ऐसा है तो सचेत हो जाएं और डॉक्टर से संपर्क करें। यह भी ध्यान रखना है कि अपनों और पराये से दूरी बनाएं रखें अन्यथा उनके नाक और मुंह से निकले द्रव बूंद आपको परेशानी में डाल सकती हैं। एक संक्रमित कम से कम 2/3 लोगों को प्रभावित कर सकता है। कुल मिलाकर आग्रह यही है कि अपने पूर्वाग्रहों को बिसार दें और सतर्कता, सहजता और सदाचार का मार्ग अपनाएं। कोरोना जीवाणु की उम्र की जहां तक बात है, तो कोरोना जीवाणु की उम्र अलग-अलग परिस्थितियों में अलग-अलग होती है। अब आनाकानी छोड़ कर हम सबको देशप्रेम से ही नाता जोड़े रहना चाहिए। इस समय भारत ही नहीं, बल्कि सम्पूर्ण विश्व ‘कोरोना’ नामक इस जानलेवा वायरस के प्रकोप से पीड़ित है। सटीक दवा नहीं होने के कारण हर तरफ कोहराम मचा है। हर देश की सरकार अपने संसाधनों के बल पर कोरोना का मुकाबला कर रही है। कहने की जरूरत नहीं है कि भारत जैसे सघन आबादी घनत्व वाले देश में कोरोना का मुकाबला करना काफी कठिन काम है। लेकिन मुश्किल देखकर हथियार डाल देने में तो कोई छुटकारा मिल जाने जैसी बात नहीं है। हमें पूरे प्राणपण से इसका मुकाबला करना होगा। यही कारण है कि देश में हर स्तर पर इस नामुराद संक्रमण से मुकाबला जारी है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राष्ट्र के नाम दिए अपने संदेश में कोरोना वायरस को मात देने के लिए बीजमंत्र दिया है। उन्होंने हर नागरिक से 21 दिन तक आवास-वास या कह सकते हैं कि एकांतवास में रहने की अपील की है। प्रधानमंत्री मोदी की इस अपील का हर नागरिक आदर करते हुए इस दौरान योग, व्यायाम, अपने-अपने धार्मिंक  संदेशों के अनुसार अपनी रुचि के अनुसार अपना समय व्यतीत कर अपने परिवार में नई ऊर्जा का संचार कर सकता है।
महत्त्वपूर्ण बात यह है कि  21 दिन तक अपने घर में रह कर कोरोना से संघर्ष कर हम अपनी ही नहीं, बल्कि अनेक लोगों की भी प्राण रक्षा भी करेंगे। हम सब का कर्त्तव्य पालन आने वाली पीढ़ियों के लिए आदर्श के रूप में इतिहास में दर्ज हो जाएगा। इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए सभी नागरिक अपने पूर्वाग्रह का त्याग करें, आनाकानी को छोड़ें और देश प्रेम का इजहार करें। यही देशवासियों के लिए श्रेयस्कर होगा।

आचार्य पवन त्रिपाठी


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