लॉक-डाउन : राहत के परिदृश्य भी हैं
यकीनन 26 मार्च को कोरोना महामारी और देशव्यापी लॉक-डाउन के बीच वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा गरीब, किसान, महिला एवं अन्य प्रभावित वगरे के 100 करोड़ से अधिक लोगों को राहत पहुंचाने का जो एक लाख 70 हजार करोड़ रुपये का पैकेज घोषित किया गया है, वह सराहनीय है।
लॉक-डाउन : राहत के परिदृश्य भी हैं |
इसी तरह 27 मार्च को रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने उद्योग, कारोबार और लोगों को वित्तीय और बैंकिंग संबंधी राहत देने के लिए कई महत्त्वपूर्ण ऐलान किए हैं। रेपो रेट और रिवर्स रेपो रेट घटाकर बड़ी राहत दी गई है। ब्याज दर में कमी का महत्त्वपूर्ण कदम उठाया गया है। तीन माह तक ईएमआई नहीं दिए जाने संबंधी राहत दी गई है। एनपीए के नियमों में बड़ा बदलाव किया गया है। इन फैसलों से चलन में नगदी की मात्रा बढ़ेगी। अनुमान है कि करीब 3 लाख करोड़ रुपये की नगदी चलन में आएगी। इससे उद्योग-कारोबार के साथ ही लोगों को भी राहत मिलेगी।
निस्संदेह देश में लॉक-डाउन के कारण व्यावसायिक और वित्तीय गतिविधियों से चमकने वाले केंद्रों में निराशा का सन्नाटा दिख रहा है। प्रसिद्ध ब्रिटिश ब्रोकरेज फर्म बर्कलेज ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि कोरोना प्रकोप से इस वर्ष 2020 में भारत की अर्थव्यवस्था को करीब नौ लाख करोड़ रुपये का नुकसान होगा। लेकिन यह भी है कि आर्थिक पैकेज से प्रभावित लोगों के लिए अनाज और धन, दोनों की उपयुक्त व्यवस्था सुनिश्चित हो सकेगी। अर्थव्यवस्था को मुश्किलों के दौर में कुछ राहत मिल सकेगी। स्पष्ट दिखाई दे रहा है कि लॉक-डाउन ने देश के उद्योग-कारोबार को सबसे अधिक प्रभावित किया है। सबसे अधिक रोजगार सूक्ष्म, छोटे एवं मध्यम उद्योगों (एमएसएमई) द्वारा दिया जाता है। ऐसे करीब साढ़े सात करोड़ छोटे उद्योगों में करीब 18 करोड़ लोगों को नौकरी मिली हुई है।
लॉक-डाउन के कारण उद्योग-कारोबार के ठप होने से देश के कोने-कोने में दैनिक मजदूरी करने वालों को काम की मुश्किलें बढ़ गई हैं। देश के कुल कार्यबल में गैर-संगठित क्षेत्र की हिस्सेदारी 90 फीसदी है। देश के कुल कार्यबल में 20 फीसदी लोग रोजाना मजदूरी प्राप्त करने वाले हैं। इन सबके कारण देश में चारों ओर रोजगार संबंधी चिंताएं और अधिक उभर कर दिखाई दे रही हैं। यदि हम लॉक-डाउन के बीच अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों पर कोरोना वायरस के बढ़ते प्रभावों को देखें तो पाते हैं कि चीन के भारत का दूसरा बड़ा व्यापारिक साझेदार होने के नाते चीन के साथ सबसे अधिक कारोबार प्रभावित हुआ है। विमानन क्षेत्र पर कोरोना वायरस का सबसे ज्यादा असर हुआ है। पर्यटन उद्योग पर विपरीत असर पड़ा है। फूड इंडस्ट्री पर मार पड़ रही है। मुर्गी पालन सेक्टर को नुकसान हो रहा है। कपड़ा उद्योग भी कोरोना की चपेट में आ गया है।
होटल कारोबार तेजी से घटा है। कंज्यूमर ड्यूरेबल को नुकसान झेलना पड़ रहा है। सिनेमा और मॉल बंद कर दिए गए हैं। इससे सिनेमा जगत और मॉल को बड़ा नुकसान हो रहा है। निवेशकों में घबराहट बढ़ गई है। भारतीय कंपनियों के सामने नकदी का दबाव बढ़ गया है। भारत के शेयर बाजार में ऐतिहासिक गिरावट दर्ज हुई है। बढ़ती रोजगार चुनौती से राहत दिलाने के लिए जरूरी है कि एक अप्रैल से शुरू होने वाले वित्तीय वर्ष 2020-21 के आम बजट के लिए एक फरवरी को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जो घोषणाएं की थीं, उनके क्रियान्यवन पर शुरू से ही ध्यान दिया जाए। कहा गया है कि राष्ट्रीय लॉजिस्टिक पॉलिसी जल्द जारी होगी। इसमें रोजगार सृजन, कौशल विकास और एमएसएमई पर जोर रहेगा। मनरेगा के लिए अतिरिक्त धन आवंटित किया गया है। मछली पालन में अधिक रोजगार के लिए भारी प्रोत्साहन दिए गए हैं। यह बात भी महत्त्वपूर्ण है कि प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (पीएमएमवाई) को तेजी से आगे बढ़ाया जा रहा है।
आशा करें कि सरकार नये राहत पैकेज के तहत की गई घोषणाओं के प्रभावी क्रियान्वयन की डगर पर तेजी से आगे बढ़ेगी। सर्वाधिक रोजगार देने वाले छोटे उद्योग-कारोबार को मुश्किलों से बचाने के लिए उपयुक्त नये आर्थिक पैकेज का जल्द ऐलान करेगी। राजकोषीय प्रोत्साहन बढ़ाने के लिए राजकोषीय घाटे का स्तर जीडीपी के 5 फीसदी तक विस्तारित करने की डगर पर आगे बढ़ेगी। आशा करें कि सरकार ने जिस तरह कोरोना से जंग के पहले चरण में बचाव के लिए जनता कर्फ्यू, लॉक-डाउन और राहत पैकेज जैसे सफल कदम उठाए हैं, अब अगले चरण में ऐसे रणनीतिक कदम आगे बढ़ाएगी जिनसे उद्योग-कारोबार सहित संपूर्ण अर्थव्यवस्था को आसन्न मंदी के दौर से बचाया जा सकेगा। करोड़ों लोगों को कोरोना के खौफ से कुछ आर्थिक-सामाजिक राहत दिलाई जा सकेगी।
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