उत्तर प्रदेश : चिकित्सा क्षेत्र में ‘योगी सर्जरी’

Last Updated 16 Mar 2020 12:07:34 AM IST

कुछ साल पहले तक उत्तर प्रदेश को बीमारू राज्यों में गिना जाता था, लेकिन अब ऐसा कहना किसी हद तक उचित नहीं लगता।


उत्तर प्रदेश : चिकित्सा क्षेत्र में ‘योगी सर्जरी’

खासकर चिकित्सा के क्षेत्र में ‘योगी सर्जरी’ से प्रदेश की नब्ज सामान्य होने की राह पर है। 2017 में जब योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली भारतीय जनता पार्टी ने प्रदेश की सत्ता संभाली तो उसने अपने घोषणा पत्र में नई तकनीकयुक्त प्राथमिक उपकेंद्र, 25 मेडिकल कॉलेज जैसे वादे किए थे।
देश में सर्वाधिक स्वास्थ्य चुनौतियों वाले प्रदेश में इन वादों को पूरा करना आसान नहीं है। बावजूद प्रदेश सरकार ने अपने तीन साल के कार्यकाल में चिकित्सा शिक्षा की बेहतरी के लिए अनेक कदम उठाए हैं। इंसेफेलाइटिस जैसी गंभीर बीमारी को रोकने में सफल हुई।  सरकारी अस्पतालों में दवाइयों की किल्लत को दूर करना हो या सस्ती दवाओं की उपलब्धता, योगी सरकार ने तीन सालों में स्वास्थ्य सेवाओं के मामले में प्रदेश की तस्वीर बदली है। गरीबों को मुफ्त में अद्यतन इलाज और दवाइयां मुहैया कराकर उनको नया जीवन दिया है। दरअसल, योगी से पहले उत्तर प्रदेश सरकार की प्राथमिकता हेल्थकेयर के मामले में कम रही। योगी सरकार को विरासत में स्वास्थ्य का जर्जर ढांचा मिला था। राज्य की आबादी के मुताबिक प्रदेश को स्वास्थ्य देखभाल मांगों को पूरा करने के लिए 31,037 उप-केंद्र, 5,172 पीएचसी और 1,293 सीएचसी की आवश्यकता है।

सार्वजनिक स्वास्थ्य संस्थानों की यह कमी केंद्र-प्रायोजित स्वास्थ्य कार्यक्रमों के कार्यान्वयन पर और प्रभाव डालती है, जिससे साफ है कि इसे एक प्रभावी सार्वजनिक स्वास्थ्य संस्थानों के नेटवर्क की आवश्यकता है। राज्य का स्वास्थ्य मंत्रालय डॉक्टरों और खराब स्वास्थ्य व्यवस्था के बुनियादी ढांचे की कमी की चुनौतियों को दूर करने की कोशिश कर रहा है। सरकार मौजूदा अस्पतालों को अपग्रेड करने और 7000 डॉक्टरों और 18000 पैरामेडिकल कर्मचारियों की कमी को दूर करने के प्रयास कर रही है। प्रदेश में मानव संसाधन की कमी से निपटने के लिए मई, 2017 में चिकित्सकों की सेवानिवृत्ति आयु 60 साल से बढ़ाकर 62 साल की गई। इसके अलावा, 11522 स्टाफ नर्स, 6916 एएनएम और 1596 कम्यूनिटी हेल्थ ऑफिसर की तैनाती की गई है। ‘प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना’ के अंतर्गत कुल 2.5 लाख से अधिक लाभार्थियों का पंजीकरण किया गया है और लाभार्थियों को लगभग 890.84 करोड़ रु पये का भुगतान किया गया है।
‘जननी सुरक्षा योजना’ के अंतर्गत प्रदेश में गर्भवती महिलाओं के राजकीय चिकित्सा इकाइयों में वर्ष 2017-18 में 25.55 लाख, 2018-19 में 25.72 लाख और साल 2019-20 में दिसम्बर, 2019 तक 19.23 लाख संस्थागत प्रसव कराए गए। उन्हें जननी सुरक्षा योजना का लाभ प्रदान किया गया है। चार दशकों से मासूमों के लिए काल बनी इंसेफेलाइटिस के मामलों में विगत तीन वर्षो में 56 प्रतिशत की कमी आई है। इससे मौत के आकड़ों में 81 प्रतिशत की कमी आई है। अस्पतालों में दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए उत्तर प्रदेश मेडिकल सप्लाइज कॉरपोरेशन लिमिटेड स्थापित किया गया है। स्वास्थ्य सेवाओं की बेहतरी होने के नाते ही प्रदेश में 2014 में मातृ मृत्यु दर 285 प्रति लाख के मुकाबले वर्ष 2019 में घटकर 201 प्रति लाख रह गई है। मातृ मृत्यु दर में सबसे ज्यादा 30 प्रतिशत गिरावट लाने के लिए उत्तर प्रदेश को भारत सरकार की ओर से ‘एमएमआर अवार्ड’ से नवाजा गया। 2014 में शिशु मृत्यु दर 48 प्रति हजार के मुकाबले वर्ष 2019 में 41 प्रति हजार रह गई। ये आंकड़े खुद सरकार की सफलता को बताते हैं।
जाहिर है कि वो दिन दूर नहीं, जब प्रदेश में मेडिकल सेवाओं के लिए दूसरे प्रदेशों के लिए मिसाल बनेगा। योगी सरकार ने साल 2025 तक सकल प्रजनन दर 2.1 तक लाने का लक्ष्य निर्धारित किया है। अभी शहरी आबादी में सकल प्रजनन दर 2.1 और ग्रामीण आबादी में दर 3 तक पहुंच चुकी है। ऐसे में सरकार का फोकस ग्रामीण आबादी पर ज्यादा रहेगा। एक जानकारी के मुताबिक मौजूदा समय में प्रदेश की जनसंख्या 22 करोड़ से अधिक है। प्रदेश की आबादी हर 10 साल में 20 फीसदी की दर से बढ़ रही है। इसलिए दो बच्चे वाले दंपतियों को प्रोत्साहित करने की दिशा में राज्य सरकार काम कर रही है। जनसंख्या नीति को सरकार के अधीन सभी सेवाओं पर लागू करने पर विचार किया जा रहा है। योगी सरकार दो बच्चे वाले की नीति को लागू करने में सफल हो जाती है तो उत्तर प्रदेश पूरे देश के लिए उदाहरण बनकर उभरेगा।

अमलेंदु भूषण खां


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