वैश्विकी : ट्रंप जी नमस्ते

Last Updated 23 Feb 2020 12:12:45 AM IST

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की दो दिन की भारत यात्रा ऐसे माहौल में हो रही है जब मेहमान और मेजबान नरेन्द्र मोदी अपने-अपने देशों में राजनीतिक उथल-पुथल का सामना कर रहे हैं।


वैश्विकी : ट्रंप जी नमस्ते

ट्रंप के लिए यह चुनाव का वर्ष है जबकि मोदी नागरिकता संशोधन कानून को लेकर विरोध का सामना कर रहे हैं। राजनीतिक समीक्षक इस यात्रा को दो देशों के बीच वार्ता की विषयवस्तु से अधिक ध्यान व्यक्तिगत संपर्क पर दे रहे हैं। ट्रंप ने यात्रा के पहले उनके स्वागत के लिए अहमदाबाद में सड़कों पर उमड़ने वाले पचास-साठ लाख लोगों का जिक्र कर अमेरिकी मतदाताओं को अपनी राजनीतिक शख्सियत का अहसास कराने की कोशिश की। कुछ भी हो अहमदाबाद के नवर्निमित स्टेडियम में होने वाला भव्य कार्यक्रम असाधारण होगा और ट्रंप को इसका चुनावी लाभ भी होगा। अमेरिका में भारतीय मतदाताओं की संख्या बहुत कम है और उनका झुकाव आम तौर पर विपक्षी डेमोक्रेटिक पार्टी की ओर रहता है। ‘नमस्ते ट्रंप’ कार्यक्रम के जरिए भारतीय मतदाताओं का एक वर्ग ट्रंप की ओर झुक सकता है।
पिछले कुछ महीनों में दोनों देशों के बीच व्यापार संबंधी टकराव प्रमुख मुद्दा था। अमेरिका में ‘हाउडी मोदी’ कार्यक्रम के आयोजन से पहले भी कयास लगाया जा रहा था कि दोनों देश इस संबंध में कोई समझौता करने में सफल होंगे। कई महीने बीतने के बाद भी ‘नमस्ते ट्रंप’ कार्यक्रम तक भी ऐसा समझौता नहीं हो पाया है। कारण यह भी है कि मोदी और ट्रंप, दोनों राजनीति और व्यापार के क्षेत्र में अपने-अपने देशों को प्राथमिकता देते हैं। दोनों एक दूसरे पर संरक्षणवादी नीतियां अपनाने का आरोप भी लगाते हैं। ट्रंप तो सार्वजनिक रूप से कह चुके हैं कि भारत का रवैया अमेरिकी हितों के विरुद्ध है। साथ ही, उनका कहना है कि इसके बावजूद वह मोदी को पसंद करते हैं।

ट्रंप की भारत यात्रा के पूर्व एक अमेरिकी अधिकारी ने दोनों नेताओं के बीच होने वाली वार्ता के संबंध में कहा कि इसमें रक्षा सहयोग, आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई और प्रशांत क्षेत्र में भारत की और सक्रिय भूमिका पर विशेष रूप से चर्चा होगी। अमेरिका भारत-प्रशांत क्षेत्र में चीन पर अंकुश लगाने के लिए भारत की अधिक सक्रियता चाहता है, जबकि भारत इस संबंध में बहुत सतर्कतापूर्ण रवैया अपनाए हुए है। भारतीय अधिकारियों का कहना है कि वार्ता में जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद वहां के स्थानीय नेताओं को नजरबंद किए जाने के घटनाक्रमों पर कोई चर्चा नहीं होगी। भारत चाहेगा कि सीमा पर आतंकवाद रोकने के लिए अमेरिका पाकिस्तान पर और दबाव बनाए। दूसरी ओर, अमेरिका अफगानिस्तान से अपनी सेनाएं पूरी तरह हटाने के लिए पाकिस्तान पर अपनी निर्भरता के तथ्य को नकार नहीं सकता। अमेरिका और तालिबान के बीच किसी समझौते के बाद अफगानिस्तान में शांति और स्थायित्व के लिए पाकिस्तान की अनुकूल भूमिका बहुत आवश्यक है। यही कारण है कि ट्रंप पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के साथ अपनी मुलाकातों के दौरान कश्मीर मुद्दे पर उन्हें आश्वासन देते रहे हैं। 
अमेरिकी अधिकारियों ने यह भी संकेत दिया है कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप नरेन्द्र मोदी के साथ अपनी वार्ता में नागरिकता संशोधन कानून, राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर और नागरिकता जनसंख्या रजिस्टर का मुद्दा उठा सकते हैं। वह भारत में धार्मिक अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा पर भी जोर दे सकते हैं। यह सब अमेरिका की लंबे समय से चली आ रही नीतियों के अनुरूप ही होगा। इस बात की संभावना कम ही है कि राष्ट्रपति ट्रंप इन मुद्दों को लेकर कोई ऐसी आलोचनात्मक टिप्पणी करें जो मोदी के लिए परेशानी का कारण बने। वास्तव में भारत और अमेरिका के बीच रणनीतिक संबंधों में कितनी मजबूती आएगी यह इस वर्ष के अंत में होने वाले अमेरिकी चुनाव के बाद ही स्पष्ट होगा। पूरी संभावना है कि ट्रंप दोबारा जनादेश हासिल करेंगे। ‘नमस्ते ट्रंप’ कार्यक्रम दूसरे कार्यकाल के दौरान द्विपक्षीय संबंधों को नई ऊंचाइयों पर ले जाने में सहायक बनेगा। इसके विपरीत यदि डेमोक्रेटिक पार्टी का उम्मीदवार ट्रंप को अप्रत्याशित रूप से हराने में सफल होता है तो भारत के लिए कश्मीर समेत विभिन्न मुद्दों पर प्रतिकूल परिस्थितियां बन सकती हैं।

डॉ. दिलीप चौबे


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