अर्थव्यवस्था : उम्मीद की लौटतीं किरणों
यकीनन वित्तीय वर्ष 2020-21 का बजट प्रस्तुत होने के बाद अर्थव्यवस्था के निराशा के दौर से बाहर निकलने के संकेत दिखाई देने लगे हैं।
अर्थव्यवस्था : उम्मीद की लौटतीं किरणों |
जहां उद्योग-कारोबार क्षेत्र में उम्मीद की किरणों दिखने लग गई हैं, वहीं शेयर बाजार का ग्राफ भी सुधरते हुए दिखाई देने लगा है। हाल ही में 4 एवं 5 जनवरी को प्रकाशित भारत के मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र का हाल बताने वाले परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स और सेवा क्षेत्र की गतिविधियों का हाल बताने वाले सर्विसेस बिजनेस एक्टिविटी इंडेक्स ने बढ़त दिखाई है। यह मैन्युफैक्चरिंग इंडेक्स इस समय पिछले आठ साल के सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंच गया है।
दिसम्बर, 2019 में यह इंडेक्स 52.7 पर था, जो जनवरी, 2020 में बढ़कर 55.3 पर पहुंच गया है, जबकि सर्विसेस इंडेक्स जो दिसम्बर, 2019 में 53.3 था, जनवरी 2020 में बढ़कर 55.5 अंक पर रहा। माना जाता है कि यदि ये इंडेक्स 50 से ऊपर हैं, तो यह न केवल अर्थव्यवस्था के विस्तार, उत्पादन और सेवा क्षेत्र वृद्धि का संकेत हैं, बल्कि अनुकूल बाजार, नई मांग, बिक्री, कच्चे माल की खपत और रोजगार बढ़ने के भी संकेत हैं। इसी तरह हाल में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) की प्रमुख क्रिस्टालिना जार्जीवा ने दावोस में आयोजित विश्व आर्थिक मंच (डब्ल्यूईएफ) के 2020 के सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था में गिरावट अस्थायी है, और शीघ्र ही भारतीय अर्थव्यवस्था सुस्ती के दौर से बाहर आ सकती है।
नये वित्तीय वर्ष 2020-21 में भारतीय अर्थव्यवस्था के सुस्ती के दौर से बाहर आने की संभावनाएं बताने वाले प्रसिद्ध वैश्विक मीडिया समूह ब्लूमबर्ग ने ताजा रिपोर्ट में कहा है कि अगस्त, 2019 के बाद के पांच महीनों में अर्थव्यवस्था के 8 में से 5 सूचकांकों पर भारतीय अर्थव्यवस्था का प्रदर्शन सुधरते दिखाई दे रहा है। विगत पांच महीनों में सर्विस सेक्टर की गतिविधियां बढ़ी हैं। औद्योगिक उत्पादन में बढ़ोतरी हुई है। बिजनेस एक्टिविटी बढ़ी हैं। कर्ज की मांग बेहतर हुई है। विदेशी मुद्रा का कोष 475 अरब डॉलर के रेकॉर्ड स्तर पर है। शेयर बाजार भी संतोषजनक स्तर पर है। उल्लेखनीय है कि पिछले दिनों पूरी दुनिया में संयुक्त राष्ट्र द्वारा विश्व आर्थिक स्थिति और संभावना (डब्ल्यूईएसपी), 2020 रिपोर्ट में भारत की आर्थिक सुस्ती दूर करने और विकास दर संबंधी प्रकाशित रिपोर्ट में कहा गया है कि यद्यपि वैश्विक सुस्ती के कारण अन्य देशों के साथ-साथ भारत की विकास दर में कमी आई है, लेकिन भारत की आर्थिक बुनियाद मजबूत बनी हुई है। ऐसे में यदि भारत निवेश और खपत में वृद्धि करने के लिए अधिक राजकोषीय प्रोत्साहन और संरचनात्मक सुधारों की रणनीति के साथ आगे बढ़ेगा तो वर्ष 2020-21 में भारत की विकास दर 6.6 फीसद के स्तर पर पहुंच सकती है। इस सूचकांक के हिसाब से भारत की इस समय जो स्थिति है, वह चाहे आदर्श भले ही न हो, लेकिन उसमें सकारात्मक दिशा की ओर संकेत जरूर दिख रहे हैं। मैन्युफैक्चरिंग में दिख रही बढ़त यह भी बता रही है कि अर्थव्यवस्था ने पटरी पर लौटना शुरू कर दिया है, अब जरूरत बस इसको गति देने की है।
ऐसे में निश्चित रूप से वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा एक फरवरी को प्रस्तुत वर्ष 2020-21 का आम बजट देश के लोगों की क्रयशक्ति बढ़ाकर भारतीय अर्थव्यवस्था को गतिशीलता दे सकता है। बजट की बुनियाद में जो सबसे चमकीली बात उभर कर दिखाई दे रही है, वह है उपभोक्ता खर्च बढ़ाकर आर्थिक सुस्ती दूर करना। निस्संदेह बजट मुश्किलों के दौर से गुजरते हुए विभिन्न वगरे की उम्मीदों को पूरा करते हुए दिखाई दे रहा है। निस्संदेह बजट में आर्थिक विकास की थीम स्पष्ट दिखाई दे रही है। उद्योग एवं वाणिज्य के विकास एवं संवर्धन के लिए वित्त वर्ष 2020-21 में 27,300 करोड़ रु पये आवंटित किए गए हैं। समग्र रूप से सुविधा प्रदान करने के लिए एक निवेश मंजूरी प्रकोष्ठ स्थापित करने का ऐलान किया गया है। सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) व्यवस्था के तहत राज्यों के साथ सहयोग से पांच नवीन ‘स्मार्ट सिटी’ विकसित करने का प्रस्ताव किया गया है। मोबाइल फोन, इलेक्ट्रॉनिक उपकरण एवं सेमीकंडक्टर आदि के निर्माण को प्रोत्साहित करने के लिए भी एक योजना का प्रस्ताव किया गया है। इसी तरह 1480 करोड़ रुपये के अनुमानित परिव्यय के साथ चार वर्षो की कार्यान्वयन अवधि वाला एक राष्ट्रीय तकनीकी वस्त्र मिशन शुरू किया जाएगा, जिसका उद्देश्य भारत को तकनीकी वस्त्रों के क्षेत्र में वैश्विक स्तर पर अग्रणी बनाना है।
अधिक निर्यात ऋण के वितरण के उद्देश्य की पूर्ति के लिए एक नई योजना ‘निर्विक’ शुरू की जा रही है, जिसके तहत मुख्यत: छोटे निर्यातकों को आवश्यक सहयोग दिया जाएगा। गवर्नमेंट ई-मार्केटप्लेस (जेम) वस्तुओं एवं सेवाओं की खरीद के लिए एकल प्लेटफॉर्म मुहैया कराने के लिए देश में एकीकृत खरीद प्रणाली सृजित करने की दिशा में अग्रसर हो रहा है। जेम के कारोबार (टर्नओवर) को तीन लाख करोड़ रुपये के स्तर पर ले जाने का प्रस्ताव है। चूंकि अर्थव्यवस्था को गतिशील करने के लिए वित्त मंत्री ने बजट में बुनियादी ढांचा क्षेत्र की परियोजनाओं को प्राथमिकता दी है। सीतारमण बंदरगाहों, राजमागरे और हवाईअड्डों के निर्माण पर व्यय बढ़ाते हुए दिखाई दी हैं। उन्होंने बजट में ऐलान किया कि 2500 किलोमीटर एक्सप्रेस हाईवे, 9000 किलोमीटर इकोनॉमिक कॉरिडोर और 2000 किलोमीटर लंबे स्ट्रेटेजिक हाईवे बनाए जाएंगे। ये काम 2024 तक पूरे होंगे। वहीं, दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस वे, चेन्नई-बेंगलुरू एक्सप्रेस जल्दी ही बनकर तैयार होगा। ऐसे बुनियादी ढांचा विकास से यकीनन रोजगार की नई संभावनाएं उभरेंगी और अर्थव्यवस्था की रफ्तार में तेजी आएगी।
कह सकते हैं कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने निश्चित रूप से बजट में राजकोषीय घाटे का लक्ष्य जीडीपी के 3.5 प्रतिशत निर्धारित किया है, इससे अर्थव्यवस्था के लिए बड़ी धनराशि अतिरिक्त खर्च करने की गुंजाइश बढ़ गई है। हम आशा करें कि बजट के प्रस्तुत होने के बाद जो सुकूनभरी आर्थिक उम्मीदें उभरी हैं, उन्हें साकार करने के लिए सरकार वित्तीय वर्ष 2020-21 की शुरु आत से ही बजट में घोषित लक्ष्यों और परियोजनाओं के कारगर क्रियान्वयन की डगर पर आगे बढ़ेगी। ऐसा होने पर ही देश से आर्थिक सुस्ती दूर हो सकेगी और देश में आर्थिक गतिशीलता का नया अध्याय लिखा जा सकेगा, जिसकी अभी बड़ी शिद्दत से अपेक्षा और उम्मीद की जा रही है।
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