प्रोबॉयोटिक्स : स्वास्थ्यकारी फायदों के बरक्स
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प्रोबॉयोटिक्स : स्वास्थ्यकारी फायदों के बरक्स |
अनुपयोगी बैक्टीरिया से समस्याएं पैदा हो सकती हैं, वहीं उपयुक्त बैक्टीरिया का इस्तेमाल लाभप्रद होता है। यहीं से प्रोबॉयोटिक्स की भूमिका शुरू होती है।
प्रोबॉयोटिक्स जीवित बैक्टीरिया या खमीर होते हैं, जो आपके लिए खासकर आपके पाचन तंत्र के लिए गुणकारी हैं। आपके शरीर में दोनों प्रकार के बैक्टीरिया होते हैं-गुणकारी व अनुपयोगी। प्रोबॉयोटिक्स प्राय: उपयोगी या सहायक माने जाते हैं क्योंकि स्वस्थ रहने में मदद करते हैं। शरीर में गुणकारी बैक्टीरिया की कमी हो जाती है, उदाहरण के लिए एंटीबॉयोटिक्स के अधिक सेवन से, तो प्रोबॉयोटिक्स उनकी जगह ले लेते हैं। प्रोबॉयोटिक्स खाद्य पूरक आहार हैं, जो शरीर में संतुलन का काम करते हैं। हाल के समय में विश्व भर में स्वास्थ्य बेहतर करने के लिए बाकायदा प्रोबॉयोटिक्स के सेवन का चलन बढ़ा है। भले ही खाद्य एवं पूरक आहार उद्योग में प्रोबॉयोटिक्स नये लग सकते हों लेकिन वे हमारे जन्म से ही हमारे साथ होते हैं। नवजात शिशु स्वाभाविक जन्म के समय अपनी मां से बैक्टरओयड्स, बाइफिडोबैक्टीरियम, लैक्टोबेसिलस और एसचेरिचिया कोली नामक बैक्टीरिया हासिल करता है जबकि सीजेरियन सेक्शन के जरिए शिशु जन्मता है, तो ये गुणकारी बैक्टीरिया उसे नहीं मिल पाते। यही कारण है कि सी-सेक्शन से जन्मे कुछ बच्चों में संक्रमण की शिकायतें देखी जाती हैं।
माना जाता है कि प्रोबॉयोटिक्स दो तरीकों से मदद करते हैं। पहला, पाचन तंत्र को स्वस्थ रखते हैं। स्वस्थ पाचन तंत्र के लिए उपयोगी व अनुपयोगी बैक्टीरिया के बीच संतुलन जरूरी है। खानपान की आदतों, भावनात्मक तनाव, अनिद्रा, एंटीबॉयोटिक के अतिरेकी प्रयोग, दवाओं और पर्यावरणीय प्रभावों से यह संतुलन गड़गड़ा सकता है, और अनुपयोगी या खराब बैक्टीरिया हावी हो सकते हैं। दूसरा, प्रोबॉयोटिक्स शरीर में प्रतिरोधी शक्ति बढ़ाते हैं। प्रतिरोधी शक्ति मजबूत न हो तो एलर्जिक संक्रमण, प्रतिरोधिता संबंधी असामान्यता व डायरिया, त्वचा, यौनसंक्रमण जैसी शिकायतें उभर सकती हैं। प्रोबॉयोटिक्स दूध, पनीर, आइसक्रीम, मक्खन, दुग्ध पाउडर, दही जैसे डेयरी उत्पादों में ये प्रचुर पाए जाते हैं। गैर-डेयरी उत्पादों में सोया उत्पाद, पोषक आहार, अनाज व विभिन्न जूस इसके अच्छे स्रोत हैं। दही प्रोबॉयोटिक्स का सवरेत्तम स्त्रोत है। दूध में मित्रवत बैक्टीरिया खासकर लैक्टिक एसिड और बाइफिडोबैक्टीरिया की परस्पर खमीर प्रक्रिया से दही बनती है। दही के सेवन से हड्डियों की मजबूती के साथ ही अनेक स्वास्थ्यकर फायदे होते हैं। उच्च रक्तचाप की शिकायत वाले लोगों के लिए भी यह फायदेमंद होती है। बच्चों को एंटीबॉयोटिक्स से होने वाले डायरिया की शिकायत दूर करने में भी दही उपयोगी है।
ध्यान रखें कि सभी दही में जीवित प्रोबॉयोटिक्स नहीं होते। कई बार जीवित बैक्टीरिया प्रसंस्करण प्रक्रिया के दौरान मर जाते हैं। कहना यह कि प्रोबॉयोटिक्स के फायदेमंद होने के लिए आवश्यक है कि उपभोग के समय प्रोबॉयोटिक बैक्टीरिया जीवित हों। खानपान में प्रोबॉयोटिक्स का उपयोग लाभकर हो सकता है बशत्रे एंटीबॉयोटिक्स को डॉक्टर की सलाह के मुताबिक लिया जाए। वह भी नियत समय के लिए। वे नुकसान पहुंचाने वाले बैक्टीरिया को मारने के लिए बेहद कारगर होते हैं, लेकिन वे चुनते नहीं हैं यानी वे सभी प्रकार के बैक्टीरिया को मार देते हैं। ऐसे में उपयोगी बैक्टीरिया भी मर सकते हैं। इसलिए जरूरी है कि एंटीबॉयोटिक्स लेने पड़े हैं, तो तत्काल बाद प्रोबॉयोटिक्स का सेवन किया जाए ताकि एंटीबॉयोटिक्स लेने से जो उपयोगी बैक्टीरिया मारे गए हों उनकी भरपाई हो सके। कुछ लोगों को एंटीबॉयोटिक्स लेने से डायरिया की शिकायत हो सकती है। ऐसे में प्रोबॉयोटिक्स इस शिकायत को दूर करने में सहायक हो सकते हैं। यदि आप भ्रमण करते हुए ऐसे देश में जा पहुंचे जहां भोजन विषाक्ता की आशंका हो तो जरूर से जरूर प्रोबॉयोटिक्स का सेवन करें। खासकर उस सूरत में जब आपको डायरिया हो जाने की शंका हो। कहने की जरूरत नहीं है कि प्रोबॉयोटिक्स ने विभिन्न चिकित्सकीय परिस्थितियों में बचाव और उपचार में अपनी उपयोगिता साबित की है। खासकर गैस्ट्रोलॉजिकल मामलों में। प्रोबॉयोटिक्स पर खासा शोध कार्य हुआ है, लेकिन अभी भी बहुत कुछ सीखा जाना है। प्रोबॉयोटिक्स कोई दवा लेने वाले पर भी दुष्प्रभाव नहीं छोड़ते और माना जाता है कि सभी आयु के लोगों के लिए ये गुणकारी और उपयोगी होते हैं।
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