आम बजट-2020 : चुनौतियों के बीच उम्मीदें
हाल ही में 9 जनवरी को नीति आयोग द्वारा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ अर्थशास्त्रियों, कारोबारी जगत के दिग्गजों और उद्यमियों की बजट-पूर्व बैठक में शामिल विशेषज्ञों ने नये बजट में आर्थिक वृद्धि के लिए विभिन्न महत्त्वपूर्ण सुझाव दिए।
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विशेषज्ञों ने कहा कि बजट में राजकोषीय चिंता को दरकिनार रखते हुए आर्थिक विकास को गति देने के लिए खर्च और सार्वजनिक निवेश बढ़ाए जाने चाहिए। विशेषज्ञों ने कहा कि यद्यपि राजकोषीय अनुशासन अच्छी बात है, लेकिन आर्थिक सुस्ती के दायरे को देखते हुए यह एक चुनौतीपूर्ण दौर है। ऐसे में राजकोषीय खर्च बढ़ने से बाजारों पर प्रतिकूल असर नहीं होगा। बैठक में शामिल विशेषज्ञों ने कृषि, ग्रामीण क्षेत्र, वाहन उद्योग, इलेक्ट्रॉनिक्स, उपभोक्ता वस्तुओं के उद्योग, शिक्षा तथा स्वास्थ्य क्षेत्र में सुधार के लिए सुझाव दिए। साथ ही, सरकार को सार्वजनिक निवेश, कर्ज विस्तार, निर्यात वृद्धि, सरकारी बैंकों के कामकाज में सुधार, कारोबार में सरलता, खपत बढ़ाने, आयकर राहत और रोजगार सृजन पर बजट को फोकस करने की सलाह दी गई। इसी तरह की सलाह और सुझाव वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन को भी अर्थशास्त्रियों, उद्यमियों और कारोबार क्षेत्र के विशेषज्ञों ने दिए थे।
निश्चित रूप से प्रधानमंत्री मोदी और वित्त मंत्री सीतारमन को आर्थिक वृद्धि से संबंधित जो सुझाव प्राप्त हुए हैं, उनकी ओर बजट निर्माण में ध्यान दिए जाने से इस समय उभरती हुई आर्थिक चुनौतियों से निपटा जा सकेगा। स्पष्ट दिखाई दे रहा है कि इस समय अमेरिका-ईरान के बीच उभरे तनाव के बाद कच्चे तेल की तेजी से बढ़ती कीमतें, देश में पिछले एक वर्ष से चला आ रहा आर्थिक सुस्ती का परिवेश तथा राजकोषीय घाटे की बढ़ती चिंताएं वर्ष 2020-21 के बजट की सबसे बड़ी आर्थिक चुनौतियां हैं। स्थिति यह है कि 2020 में जनवरी के पहले सप्ताह में कच्चे तेल की कीमतों में 10 फीसदी का इजाफा हो गया है, और ये कीमतें 71 डॉलर प्रति बैरल के पार पहुंच गई हैं। इसी तरह हाल ही में 7 जनवरी को राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय ने अनुमान जताया है कि चालू वित्तीय वर्ष 2019-20 में देश की विकास दर घटकर पांच फीसदी रह जाएगी। यह पिछले आठ वर्षो की न्यूनतम विकास दर है। साथ ही, भारतीय अर्थव्यवस्था में भारी सुस्ती है। नये बजट में निर्धारित राजकोषीय घाटा जीडीपी के 3.3 फीसदी से बढ़कर करीब 3.6 फीसदी के स्तर पहुंच गया है। चालू वित्तीय वर्ष में टैक्स कलेक्शन 2.5 लाख करोड़ रु पये कम रहा है। विनिवेश भी लक्ष्य से कम है।
ऐसे में देश और दुनिया की उभरती आर्थिक परिस्थितियों के कारण 2020-21 के बजट में वित्त मंत्री आर्थिक सुस्ती की चुनौतियों को सामने रखते हुए विभिन्न वगरे की उम्मीदों को ध्यान में रखते हुए दिखाई देंगी। वित्त मंत्री प्रमुखतया खेती और किसानों को लाभांवित करते हुए दिखाई दे सकती हैं। महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के लिए अतिरिक्त धन मिल सकता है। निश्चित रूप से नये बजट में कृषि क्षेत्र की जरूरतों को पूरा करने को सरकार उच्च प्राथमिकता देगी।
नये बजट में उन स्टार्टअप को मदद मिलती हुई दिखाई देगी जो कृषि उत्पादों के लिए लाभकारी बाजार प्रदान करने तथा उचित मूल्य पर अंतिम उपभोक्ताओं को आपूर्ति करने में मदद कर रहे हैं। वित्त मंत्री ग्रामीण क्षेत्र के आर्थिक और सामाजिक बुनियादी ढांचे को बढ़ाने के उपायों के साथ-साथ कृषि एवं संबद्ध क्षेत्रों के विकास के माध्यम से बेरोजगारी और गरीबी को दूर करने वाले कामों को प्रोत्साहन देते हुए दिखाई देंगी।
बजट 2020-21 के तहत वित्त मंत्री देश के छोटे आयकरदाताओं, नौकरीपेशा और मध्यम वर्ग के अधिकांश लोगों को लाभांवित करते हुए दिखाई दे सकती हैं। वित्त मंत्री नये बजट के तहत पांच लाख रु पये तक की मौजूदा आयकर छूट को जारी रख सकती हैं। साथ ही, 5 से 10 लाख रु पये तक की वार्षिक आय पर जो 20 फीसदी की दर से आयकर है, उसे घटाकर 10 फीसदी कर सकती हैं। दस से 20 लाख रु पये तक की वार्षिक आय पर जो मौजूदा 30 फीसदी आयकर की दर है, उसे घटाकर 20 फीसदी कर सकती हैं।
गौरतलब है कि अर्थव्यवस्था को गतिशील करने के लिए वित्त मंत्री एक जनवरी, 2020 को घोषणा कर चुकी हैं कि सरकार आगामी पांच वर्षो में बुनियादी ढांचा क्षेत्र की परियोजनाओं में 102 लाख करोड़ रुपये का निवेश करेगी। ऐसे में वित्त मंत्री बजट के तहत बंदरगाहों, राजमागरे और हवाई अड्डों के निर्माण पर व्यय बढ़ाते हुए दिखाई देंगी क्योंकि निजी क्षेत्र की निवेश योजना अब भी ठंडी पड़ी है। निस्संदेह बजट में स्वास्थ्य, शिक्षा, छोटे उद्योग-कारोबार और कौशल विकास जैसे विभिन्न आवश्यक क्षेत्रों के लिए बजट आबंटन बढ़ते हुए दिखाई दे सकते हैं। डिजिटल भुगतान के लिए भी नए प्रोत्साहन दिए जा सकते हैं।
इसमें कोई दोमत नहीं हैं कि वित्त मंत्री बजट में अर्थव्यवस्था को गतिशील बनाए रखने के लिए आम आदमी की क्रय शक्ति बढ़ाने के लिए ग्रामीण विकास, बुनियादी ढांचा और रोजगार बढ़ाने वाली सार्वजनिक परियोजनाओं पर जोरदार व्यय बढ़ाएंगी। इसलिए हम आशा करें कि वित्त मंत्री नये बजट में आवश्यक वस्तु अधिनियम को नरम करने, अनुबंध खेती को बढ़ावा देने, बेहतर मूल्य के लिए वायदा कारोबार को प्रोत्साहन देने, कृषि उपज की नीलामी के लिए न्यूनतम आरक्षित मूल्य लागू करने, शीतगृहों के निर्माण में वित्तीय सहायता देने जैसे कामों को आगे बढ़ाए जाने की रणनीति के साथ आगे बढ़ेंगी जिससे कि कृषि अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने में मदद मिलेगी।
हम आशा करें कि वित्त मंत्री बजट को आर्थिक एवं वित्तीय दृष्टिकोण से बेहतर बनाने की ऐसी डगर पर आगे बढ़ेंगी जिसमें सरकार द्वारा राजकोषीय जवाबदेही एवं बजट प्रबंधन अधिनियम की समीक्षा समिति की अनुशंसाओं का ध्यान रखा गया हो। आशा करें कि वित्त मंत्री बजट के तहत विनिवेश का उपयुक्त लक्ष्य घोषित करेंगी। साथ ही, उपयुक्त रूप से करों की वसूली से अपनी आमदनी के लक्ष्य की प्राप्ति संबंधी नई रणनीति भी प्रस्तुत करेंगी। निस्संदेह पूरे देश को बजट से ही आर्थिक चुनौतियों से राहत पाने की अपेक्षा है। देखना है कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन वर्ष 2020-21 के नये बजट के समक्ष दिखाई दे रही आर्थिक एवं वित्तीय चुनौतियों के बीच एक संतुलित और विकासमूलक बजट किस तरह पेश करती हैं।
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