अर्थव्यवस्था : छोटे उद्योगों की भी सुध लें
हाल ही में 22 अक्टूबर को केंद्रीय मंत्री नितिन गड़करी ने कहा है कि सरकार सूक्ष्म, लघु एवं मझौले उद्योगों (एमएसएमई) की मुश्किलें कम करने के लिए शीघ्र ही राहत की घोषणा करने जा रही है।
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वस्तुत: इस समय आर्थिक सुस्ती से मुश्किलों का सामना कर रहे छोटे उद्योग-कारोबार क्षेत्र के द्वारा कारोबार सुधार की नई जरूरत अनुभव की जा रही है। छोटे उद्यमी-कारोबारी चाहते हैं कि उन्हें जीएसटी संबंधी मुश्किलों से राहत मिले साथ ही तकनीकी विकास और नवाचार का भी उन्हें लाभ मिले। खासतौर से ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर भी छोटे उद्यमी और कारोबारी बड़ी राहत की अपेक्षा कर रहे हैं। ऐसा किए जाने से देश के छोटे उद्योग कारोबार को नई मुस्कराहट मिल सकेगी।
निसंदेह देश के बड़े उद्योग-कारोबार करने वालों की तुलना में छोटे-उद्योग कारोबार करने वाले अधिक कारोबार सरलता की अपेक्षा कर रहे हैं क्योंकि छोटे-उद्योग-कारोबार करने वालों के पास संसाधन की कमी है। स्थिति यह है कि कारोबार सुगमता संबंधी अधिकांश रैंकिंग में देश के छोटे उद्योग-कारोबार के विश्लेषण कम ही शामिल होते हैं। ईज ऑफ डूइंग बिजनेस की रैंकिंग में भी छोटे उद्योग-कारोबार की सहभागिता दिखाई नहीं देती है। गौरतलब है कि पिछले दिनों विश्व बैंक के द्वारा ईज ऑफ डूइंग बिजनेस के परिप्रेक्ष्य में तैयार की गई टॉप-20 परफॉर्मर्स सूची में भारत को भी शामिल किया गया है। ऐसे में भारत दुनिया के उन 20 देशों की सूची में शामिल हो गया है, जिन्होंने कारोबार सुगमता के क्षेत्र में सबसे अधिक सुधार किए हैं। इसमें मई 2019 को समाप्त हुए 12 महीने की अवधि के दौरान भारत के प्रदर्शन का मूल्यांकन किया गया है।
भारत ने जिन चार क्षेत्रों में बड़े सुधार किए हैं वे हैं। एक-बिजेनस शुरू करना; दो-दिवालियापन का समाधान करना; तीन-सीमा पार व्यापार को बढ़ाना और चार-कंस्ट्रक्शन परमिट्स में तेजी लाना। यद्यपि देश नवाचार और प्रतिस्पर्धा में अपनी रैंकिंग को सुधारता हुआ नजर आ रहा है। लेकिन छोटे उद्योगों को नवाचार और प्रतिस्पर्धा में आगे बढ़ाना जरूरी है। हाल ही में प्रकाशित बौद्धिक सम्पदा, नवाचार, प्रतिस्पर्धा और कारोबार सुगमता से संबंधित वैश्विक रिपोर्टों में भी भारत के सुधरते हुए प्रस्तुतिकरण की बात कही जा रही है। यह उल्लेखनीय है कि वर्ष 2019 में घोषित विभिन्न प्रमुख कारोबार सूचकांकों के तहत प्रतिस्पर्धा, कारोबार एवं निवेश में सुधार का परिदृश्य भी दिखाई दे रहा है। आईएमडी विश्व प्रतिस्पर्धिता रैंकिंग 2019 के अनुसार, वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में तेज वृद्धि, कंपनी कानून में सुधार और शिक्षा पर खर्च बढ़ने के कारण भारत एशिया-प्रशांत क्षेत्र में तेजी से आगे बढ़ा है। इस रैकिंग में भारत 43वें स्थान पर आ गया है। पिछले साल भारत 44वें स्थान पर था। इन विभिन्न क्षेत्रों में भारत के ऊंचाई पर पहुंचने से भारत में विदेशी निवेश बढ़ेगा, भारत में वैश्विक कंपनियों का प्रवाह बढ़ेगा ।
यह बात भी महत्त्वपूर्ण है कि छोटे उद्योगों को भी बौद्धिक सम्पदा के मद्देनजर आगे बढ़ाना जरूरी है। बौद्धिक सम्पदा एवं नवाचार में भारत के आगे बढ़ने का आभास इसी वर्ष 2019 में नवाचार, प्रतिस्पर्धा और बौद्धिक सम्पदा से संबंधित जो वैश्विक सूचकांक और अध्ययन रिपोर्ट प्रकाशित हुई हैं, उनमें भारत आगे बढ़ता हुआ बताया जा सकता है। हाल ही में प्रकाशित वैश्विक नवोन्मुखी सूचकांक यानी ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स (जीआईआई) 2019 रिपोर्ट का प्रकाशन विविख्यात कोरनेट यूनिर्वसटिी, आईएनएसईएडी और संयुक्त राष्ट्र की एजेंसी विश्व बौद्धिक संपदा संगठन (डब्ल्यूआईपीओ) द्वारा किया गया है। जीआईआई के कारण विभिन्न देशों को सार्वजनिक नीति बनाने से लेकर दीर्घावधि आउटपुट, वृद्धि को प्रोत्साहन देने, उत्पादकता में सुधार और नवोन्मेष के माध्यम से नौकरियों में वृद्धि में सहायता मिली है। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि इस समय जब कारोबार में बढ़ती अनुकूलताओं के कारण भारत के शहरों में ख्याति प्राप्त वैश्विक फाइनेंस और कॉमर्स कंपनियां अपने कदम तेजी से बढ़ा रही हैं, तब भारत के शहरों में छोटे और कुटीर उद्योगों के लिए सुविधाएं बढ़ाई जानी चाहिए। भारत से कई विकसित और विकासशील देशों के लिए कई काम बड़े पैमाने पर आउटसोर्सिग पर हो रहे हैं। भारत में स्थित वैश्विक फाइनेंशियल फर्मो के दफ्तर ग्लोबल सुविधाओं से सुसज्जित हैं।
इन वैश्विक फर्मो में बड़े पैमाने पर प्रतिभाशाली भारतीय युवाओं की नियुक्तियां हो रही है। बेंगलुरू में गोल्डमैन सॉक्स का नया कैम्पस लगभग 1800 करोड़ रुपये में बना है और यह कैम्पस न्यूयॉर्क स्थित मुख्यालय जैसा है। यहां पर कर्मचारियों की संख्या 5000 से अधिक है। दुनिया की दिग्गज ई-कॉमर्स कंपनी एमेजॉन ने हैदराबाद में 30 लाख वर्ग फुट के क्षेत्र में जो इमारत बनाई है, वह हैदराबाद की सबसे बड़ी इमारत है। इसमें 15 हजार कर्मचारी हैं। देश के नवाचार, कारोबार एवं प्रतिस्पर्धा में आगे बढ़ने के पीछे एक प्रमुख कारण यह है कि वर्ष 2018-19 में भारत में डिजिटल अर्थव्यवस्था, घरेलू कारोबार, स्टार्टअप, विदेशी निवेश, रिसर्च एंड डेवलपमेंट को प्रोत्साहन मिला है। यह स्पष्ट दिखाई दे रहा है कि अमेरिका, यूरोप और एशियाई देशों की बड़ी-बड़ी कंपनियां नई प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारतीय आईटी प्रतिभाओं के माध्यम से नवाचार को बढ़ावा देने के लिए भारत में अपने ग्लोबल इन हाउस सेंटर (जीआईसी) तेजी से बढ़ाते हुए दिखाई दे रही हैं।
इंटरनेट ऑफ थिंग्स, कृत्रिम बुद्धिमता और डेटा एनालिटिक्स जैसे क्षेत्रों में शोध और विकास को बढ़ावा देने के लिए लागत और प्रतिभा के अलावा नई प्रोद्यौगिकी पर इनोवेशन और जबरदस्त स्टार्टअप माहौल के चलते दुनिया की कंपनियां भारत का रुख कर रही हैं। निसंदेह अभी हमें छोटे उद्योग और कारोबार के मद्देनजर कारोबार सुगमता, नवाचार एवं प्रतिस्पर्धा के वर्तमान स्तर एवं विभिन्न वैश्विक रैंकिंग में आगे बढ़ते कदमों से संतुष्ट नहीं होना चाहिए। अभी इन विभिन्न क्षेत्रों में व्यापक सुधार की जरूरत है। निश्चित रूप से देश में रिसर्च एंड डेवलपमेंट (आरएंडडी) पर खर्च बढ़ाया जाना होगा। भारत में आरएंडडी पर जितनी राशि खर्च होती है उसमें इंडस्ट्री का योगदान काफी कम है, जबकि अमेरिका, इस्राइल और चीन में यह काफी अधिक है। आरएंडडी पर पर्याप्त निवेश के अभाव के चलते भारतीय प्रोडक्ट्स ग्लोबल ट्रेड में पहचान नहीं बना पा रहे हैं।
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