भारत-भूटान : प्रगाढ़ होती आपसी समझ

Last Updated 21 Aug 2019 06:13:00 AM IST

भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 17-18 अगस्त को हिमालयी देश भूटान का दो दिवसीय राजकीय भ्रमण किया।


भारत-भूटान : प्रगाढ़ होती आपसी समझ

भूटान की भू-राजनीतिक अवस्थिति, भारत के भूटान के साथ अनूठे संबंध और भारत की ‘पड़ोसी पहले’ की नीति दोनों देशों के आपसी द्विपक्षीय रिश्तों को मजबूती प्रदान करती है। अपने पिछले कार्यकाल में प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी पहली विदेश यात्रा भूटान की थी और इस बार विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अपनी पहली विदेश यात्रा के लिए भूटान को चुना। दक्षिण एशिया में इन दोनों देशों के संबंध हमेशा से मधुर रहे हैं।
भारत का भूटान की अर्थव्यवस्था में अहम योगदान रहता है। वहां के हाइड्रो पॉवर प्रोजेक्ट में भारत का निरंतर सहयोग रहा है, जो भूटान की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है। मोदी की हालिया यात्रा के दौरान सहयोग के नये आयामों को तलाशने की कोशिश की गई, जिसमें शिक्षा, विज्ञान, मानव संसाधन और अंतरिक्ष जैसे क्षेत्र उभर कर सामने आए। इस दौरान मोदी ने भूटान के प्रधानमंत्री लोट्ये शेरिंग, भूटान नरेश और विपक्ष के नेताओं से भी मुलाकात की और सहयोग के विभिन्न क्षेत्रों पर बातचीत की। मोदी ने मांगदेचू हाइड्रो पॉवर प्रोजेक्ट का उद्घाटन किया और भारत-भूटान हाइड्रो पॉवर सहयोग के पचास वर्ष पूरे होने पर टिकट जारी किया।

इसके अतिरिक्त ‘रुपे एप’ का भी उद्घाटन मोदी ने खरीदारी करके किया। दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों के बीच गहन वार्ता के बाद थिम्पू में सिमतोखा जोंग नामक ऐतिहासिक ईमारत में कई प्रोजेक्टों का उद्घाटन हुआ और 10 ज्ञापन समझौतों पर हस्ताक्षर हुए। पहला, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो), भारत सरकार एवं सूचना तकनीकी और टेलीकॉम विभाग, भूटान सरकार के मध्य दक्षिण एशिया सेटेलाइट के उपयोग में नेटवर्क स्थापित करने के लिए ज्ञापन समझौता, दूसरा, वायु दुर्घटना अन्वेषण यूनिट, सूचना एवं संपर्क मंत्रालय, भूटान सरकार एवं वायु दुर्घटना अन्वेषण ब्यूरो। नागरिक एवं उड्डयन मंत्रालय, भारत सरकार के मध्य ज्ञापन समझौता, तीसरा, भारत के राष्ट्रीय ज्ञान नेटवर्क, इलेक्ट्रॉनिक और सूचना तकनीकी मंत्रालय, भारत सरकार और सूचना तकनीकी एवं टेलीकॉम (द्रुक रिसर्च एंड एजुकेशन नेटवर्क), भूटान सरकार के मध्य साझेदारी समझौतों पर ज्ञापन समझौता, चौथा, पीटीसी इंडिया लिमिटेड और द्रुक ग्रीन पॉवर कोपरेशन लिमिटेड के मध्य मांगदेचू पॉवर क्रय-विक्रय हेतु समझौता ज्ञापन, पांचवां, भूटान राष्ट्रीय विधिक संस्थान और राष्ट्रीय न्यायिक अकादमी, भोपाल (भारत) के मध्य न्यायिक शिक्षा और पारस्परिक विनिमय पर ज्ञापन समझौता, छठा, जिग्मे सिंग्ये वांगचुक स्कूल ऑफ लॉ, भूटान और नेशनल लॉ स्कूल ऑफ इंडिया यूनिर्वसटिी, बेंगलुरू (भारत) के मध्य विधिक शिक्षा और शोध में अकादमिक एवं सांस्कृतिक विनिमय पर ज्ञापन समझौता, सातवां, रॉयल यूनिर्वसटिी ऑफ भूटान एवं आईआईटी, कानपूर के मध्य ज्ञापन समझौता, आठवां, रॉयल यूनिर्वसटिी ऑफ भूटान एवं आईआईटी, बोम्बे के मध्य ज्ञापन समझौता, नवां, रॉयल यूनिर्वसटिी ऑफ भूटान एवं आईआईटी, सिल्चर के मध्य ज्ञापन समझौताम, दसवां, रॉयल यूनिर्वसटिी ऑफ भूटान एवं आईआईटी, दिल्ली के मध्य ज्ञापन समझौता। इन समझौतों के अलावा भारत ने भूटान के विकासात्मक सहयोग के तहत 12वीं पंचवर्षीय योजना के लिए 5000 करोड़ रुपये देने की प्रतिबद्धता जाहिर की, जिसकी पहली खेप भारत ने जारी भी कर दी है।  गौरतलब यह रहा कि इन दस समझौतों में से 6 समझौते शिक्षा और तकनीकी पर केंद्रित रहे।
इस अवसर पर प्रधानमंत्री मोदी ने रॉयल भूटान यूनिर्वसटिी के युवाओं को संबोधित किया। मोदी ने कहा कि भारत विश्व में तीव्र गति से स्टार्ट-अप के लिए माहौल बनाने में आगे बढ़ रहा है, और युवाओं के लिए इससे अच्छा समय नहीं हो सकता। भारतीय प्रधानमंत्री ने दोनों देशों के मध्य विश्वविद्यालयों, शोध संस्थाओं, पुस्तकालयों, स्वास्थ्य एवं कृषि संस्थाओं को आपस में तीव्र गति से जोड़ने और सहयोग पर बल भी दिया। मोदी ने उम्मीद जताई कि भारत में आने वाले समय में भूटानी छात्रों की संख्या बढ़ेगी। 2017 के डोकलॉम मुद्दे के बाद प्रधानमंत्री मोदी की यह पहली भूटान यात्रा थी, जो इस मायने में भी महत्त्वपूर्ण रही कि भूटान द्वारा अपनी संप्रभुता और भौगोलिक अखंडता को अक्षुण्ण बनाए रखते हुए विकास के मार्ग पर चलने की प्रक्रिया की भारत हिमायत करता है। पिछले साल भारत और भूटान ने अपने कूटनीतिक संबंधों के पचास वर्ष पूरे किए जो दोनों देशों के लोगों के मध्य आपसी समझ को प्रगाढ़ करते हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की यह यात्रा इस दिशा में रिश्तों को  आगे ले जाने की महत्त्वपूर्ण कड़ी के रूप में स्थापित हुई है।

राकेश कु. मीना


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