प. बंगाल : हिंसा और असहिष्णुता के नये आयाम
एक जमाने में बंगाल का राजनीतिक व्यंग्य के मामले में भारत में सर्वोच्च स्थान था, चुनाव के समय दीवारें व्यंग्य चित्रों से भरी होती थीं, इनमें विधानचन्द्र राय,ज्योति बसु, अजय मुखर्जी, बुद्धदेव भट्टाचार्य आदि मुख्यमंत्रियों को आम तौर पर निशाना बनाया गया और सभी इन व्यंग्य -कार्टूनों में मजे लेते थे, लेकिन 2011 में ममता बनर्जी के मुख्यमंत्री बनने के बाद बंगाल का परिदृश्य तेजी से बदला।
प. बंगाल : हिंसा और असहिष्णुता के नये आयाम |
अब बंगाल में व्यंग्य -कार्टून बनाना खासकर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के ऊपर व्यंग्य, कार्टून, केरीकेचर आदि बनाना अघोषित तौर पर दंडनीय है। इस दौर में पुलिस सीधे बिना किसी कानून-सम्मत समझ के सीधे एक्शन ले रही है और गिरफ्तारी करके मिथ्या आरोप लगा रही है। ममता बनर्जी के दल तृणमूल कांग्रेस की शिकायतों पर पुलिस विवेकहीन ढंग से कार्रवाई कर रही है। हाल में हावड़ा निवासी एवं भाजपा की युवानेत्री प्रियंका शर्मा को पुलिस ने भारतीय दंड संहिता की धारा 500 एवं सूचना तकनीकी कानून की धारा 66ए और धारा 67 ए के तहत गिरफ्तार किया और हावड़ा कोर्ट ने उन्हें 14 दिनी हिरासत में भेज दिया। हालांकि अब उन्हें जमानत मिल गई है। गिरफ्तारी की कार्रवाई तृणमूल कांग्रेस नेता विभास हाजरा की शिकायत के आधार पर की गई थी। एक बात सच है कि सूचना तकनीकी कानून की जिस धारा को सुप्रीम कोर्ट ने अवैध ठहराकर कानून से बाहर कर दिया है उसे आधार बनाकर यह कार्रवाई शुरू हुई।
प्रियंका शर्मा का कथित अपराध है कि उन्होंने प्रियंका चोपड़ा की उनके पति के साथ प्रकाशित तस्वीर का ममता के खिलाफ फोटोशॉप के जरिए दुरुपयोग किया। भाजपा के नेताओं की आदत बन गई है कि वे फोटोशॉप के जरिए किसी भी नेता-नेत्री की गंदी तस्वीर सोशल मीडिया पर सकरुलेट करते रहते हैं, इससे राजनीतिक संप्रेषण का माहौल खराब हुआ है। ममता की जो इमेज सोशल मीडिया में फोटोशॉप करके सकरुलेट की गई वह बेहद खराब है। ऐसी इमेजों के प्रचार-प्रसार से बचा जाना चाहिए। खास तौर पर ममता इस तरह की इमेजों को लेकर सचेत हैं और तुरंत पुलिस कार्रवाई करने में विश्वास करती हैं। प्रियंका शर्मा की गिफ्तारी के खिलाफ भाजपा और उनके परिवार ने सुप्रीम कोर्ट में गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका दाखिल कर दी। इसकी जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस इंदिरा बनर्जी की दो जजों की अवकाश पीठ मंगलवार को उनकी सशर्त जमानत मंजूर की। जजों का आदेश है कि प्रियंका अपने किए की माफी मांगें, मुकदमे की सुनवाई बाद में होगी। उल्लेखनीय है ममता ने बंगाल में मुख्यमंत्री बनने के बाद जादवपुर विश्वविद्यालय के कैमिस्ट्री के प्रोफेसर अम्बिकेश महापात्र के बनाए एक कार्टून के खिलाफ बंगाल पुलिस ने सीधे कार्रवाई की थी लेकिन उस मामले में महापात्र को दोषी ठहराने के मामले में बंगाल की पुलिस को अदालत में कोई सफलता नहीं मिली थी। उलटे उसकी किरकिरी हुई और बंगाल मानवाधिकार आयोग ने महापात्र की इमेज धूमिल करने के लिए राज्य पुलिस के खिलाफ राय दी और राज्य सरकार को महापात्र को दो लाख रुपये हर्जाना देने के आदेश जारी किया। आज बंगाल में बड़ी चुनौती है कि जनता को किस तरह राजनीतिक विमर्श में शामिल किया जाए। सबसे सचेत राज्य के रूप में चिर-परिचित इस राज्य की त्रासदी है कि जनता का राजनीतिक तौर पर तटस्थ हो जाना। एक जमाना था जब हर विषय पर प. बंगाल के नागरिकों में तेज प्रतिक्रिया व्यक्त होती थी, लेकिन ममता के शासन के दौरान बड़ा परिवर्तन यह हुआ है कि जनता के अंदर राजनीतिक सचेतनता का माहौल पूरी तरह नष्ट हो गया है।
ममता बनर्जी ने अंध-वाम विरोध के आधार पर बड़े पैमाने पर सभी रंगत के लोगों को एकजुट किया, इसका सुनियोजित लाभ उठाया। बड़े कौशल के साथ वाम दलों के सांगठनिक ढांचे को तोड़ा, स्थानीय वाम इकाइयों को अप्रभावी बनाया। इसका सामान्य जनजीवन पर असर यह हुआ है कि जनता में माफिया और गुंडा गिरोहों का वर्चस्व स्थापित हो गया। इसने बंगाल की लोकतांत्रिक संस्कृति और तटस्थ प्रशासनिक मशीनरी को बुरी तरह प्रभावित किया है। इस बार के लोक सभा चुनाव में तृणमूल कांग्रेस के नेतृत्व में विभिन्न स्थानों पर गुंडों ने ममता विरोधी राजनीतिक दलों और उनके कार्यकर्ताओं पर हिंसक हमले किए हैं। आज बंगाल देश का सबसे अधिक हिंसाग्रस्त राज्य है, अब तक चुनावी हिंसा में तीन लोग मारे गए हैं, विभिन्न दलों कार्यकर्ताओं और उम्मीदवारों पर हमले हुए हैं। घटाल, गोपीबल्लभपुर, झाड़ग्राम, केशपुर, केनिंग आदि इलाकों में सबसे अधिक हिंसक घटनाएं हुई हैं। विभिन्न दलों की एफआईआर के आधार पर 16 लोगों की गिरफ्तारी भी हुई है।
भाजपा उम्मीदवार भारती घोष पर उस समय हमले कोशिश की गई जब वे एक मतदान केंद्र में दाखिल हो रही थीं। टीएमसी की महिला सदस्याओं ने उनके साथ धींगा-मुश्ती की। बाद में टीएमसी और भाजपा कार्यकर्ताओं में जमकर पथराव हुआ। केशवपुर इलाके में टीएमसी कार्यकर्ता सुरक्षा बलों की फायरिंग से घायल हुआ। बंगाल में भाजपा की मुश्किलें इसलिए भी बढ़ी हैं कि डायमंडहार्बर लोक सभा सीट से उसके प्रत्याशी नीलांजन राय को एक अल्पवयस्क लड़की के साथ छेड़खानी के आरोप में चुनाव आयोग को मिली शिकायत के बाद पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। भाजपा का मानना है कि यह आरोप आधारहीन है। देखना है कि बंगाल पुलिस अपनी जांच के बाद पूरे मामले में क्या सामने लाती है। उल्लेखनीय है कि ममता सरकार राज्य में औद्योगिकीकरण की दिशा में कोई प्रभावशाली काम नहीं कर पाई है। इवेंट, मेला, मनोरंजन और स्थानीय स्तर पर सुविधाओं के विस्तार के काम को प्राथमिकता दी गई, गांवों में विद्यार्थियों को साइकिल वितरण, ग्रामीण क्लबों को टीवी सैट और सालाना धनराशि का आवंटन, गरीबों के लिए मकान बनाने के लिए धन आवंटन, मस्जिदों और मौलवियों के लिए विशेष आर्थिक पैकेज आदि जनिप्रय कार्यों के जरिए ममता ने अपने सांगठनिक तंत्र का विस्तार किया है, लेकिन बेरोजगारी दूर करने के लिए कोई महत्त्वपूर्ण कदम नहीं उठाया है, राज्य में कानून व्यवस्था की स्थिति बिगड़ी है जिसका वाम-भाजपा को लाभ मिल सकता है।
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