आईपीएल : रोमांचकता का पुट बढ़ा

Last Updated 15 May 2019 06:22:37 AM IST

मुबई इंडियंस आईपीएल-12 में चैंपियन के तौर पर उभर कर आई है। उन्होंने आखिरी गेंद तक चले फाइनल में चेन्नई सुपरकिंग्स को एक रन से हराकर चौथी बार खिताब पर कब्जा जमाया।


आईपीएल : रोमांचकता का पुट बढ़ा

मुंबई इंडियंस ने चारों खिताब रोहित शर्मा की कप्तानी में ही जीते हैं। अंतिम गेंद तक चले इस रोमांचक फाइनल होने से साफ है कि 2008 में शुरू हुई आईपीएल अब परिपक्व हो गई है।
भाग लेने वाली सभी टीमें अब इस स्थिति में आ गई हैं कि अपना दिन होने पर सामने वाली टीम को झटक सकती हैं। यही वजह है कि इस बार प्लेऑफ में स्थान बनाने वाली चौथी टीम और उसके बाद की दो टीमों के समान 12 अंक थे। यही नहीं आखिरी स्थान पर रहने वाली रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरू की टीम भी इन टीमों से सिर्फ एक अंक पीछे थी। भाग लेने वाली टीमों के बराबरी पर आने से मैचों में संघर्ष बढ़ गया है। सुनील गावस्कर भी मानते हैं कि यह सत्र आईपीएल का सर्वश्रेष्ठ सत्र है।
पहली बार फाइनल आखिरी गेंद तक तो चला ही है, साथ ही कई मैच आखिरी ओवर तक और कुछ मैच 39वें ओवर तक चलना बताता है इस लीग की रोमांचकता को। यही नहीं कई बार टीमों ने आखिरी कुछ ओवरों में धूम-धड़ाका करके हारी बाजी को जीत में बदल दिया। क्रिकेटप्रेमियों ने जिस तरह का पैसा वसूल फाइनल देखा, वैसे फाइनल की उम्मीद तक नहीं की थी। मुंबई इंडियंस और चेन्नई सुपरकिंग्स के बीच खेला गया फाइनल वास्तव में दो सर्वश्रेष्ठ कप्तानों रोहित शर्मा और महेंद्र सिंह धोनी के बीच मुकाबला था। आईपीएल के इस सत्र में इस माह के आखिर में होने वाले वि कप में भाग लेने वाले सभी भारतीय खिलाड़ियों ने भाग लिया।

अधिकांश खिलाड़ी रंगत को पाने में सफल हो गए हैं। बुमराह की अगुआई वाला पेस अटैक तो गजब का साबित हुआ है। पर कुलदीप यादव का रंगत में नहीं होना परेशानी पैदा करने वाला है। वह केकेआर के लिए नौ मैचों में जब चार ही विकेट ले सके तो उन्हें आगे के मैचों में बाहर बैठा दिया गया। भुवनेर भी अपने सर्वश्रेष्ठ में रंग में नहीं दिखे। वैसे तो कप्तान विराट कोहली कप्तानी में कोई छाप नहीं छोड़ सके पर तय है कि उनकी अगुआई में टीम विश्व कप के लिए तैयार है। आईपीएल को आम तौर पर बल्लेबाजों के अनुकूल माना जाता है। इसे आप 2008 के बाद से रन प्रति ओवर बनने से समझ सकते हैं। इस लीग के पहले साल रन प्रति ओवर का औसत 7.89 था और यह बढ़ते हुए 8.69 तक पहुंच गया है। रनों की रफ्तार बढ़ने की वजह भारत में ज्यादातर विकेट का सपाट और बल्लेबाजी के अनुकूल होना है। इसकी वजह से मैचों में औसतन 160 के बजाय 174 तक का स्कोर बनने लगा लेकिन 2009 में आम चुनावों की वजह से आईपीएल को दक्षिण अफ्रीका में ले जाने पर वहां के विकेट पर गेंदबाजों को मदद मिलने से रन प्रति ओवर 7.21 तक गिर गया। लेकिन 2015 के बाद से आरपीओ में निरंतर सुधार हो रहा है और यह आठ के ऊपर बना हुआ है।
आईपीएल हर साल कुछ युवाओं को स्टार का दरजा  दिला देता है। इस बार उसने कोलकाता नाइट राइडर्स के शुभमन गिल, मुंबई इंडियंस के राहुल चाहर और राजस्थान रॉयल्स के रियान पराग को यह दरजा दिला दिया। शुभमन क्लासिकल स्ट्रोक प्लेयर हैं। उन्होंने 32 से ज्यादा के औसत से 296 रन बनाए। न केवल यह बल्कि पूरे भरोसे के साथ खेलते हैं। उन्हें इस साल इमर्जिग प्लेयर चुना गया। वह कुछ ही समय में टीम इंडिया में खेलते नजर आ सकते हैं। मुंबई इंडियंस के राहुल चाहर ने इस सत्र में 13 मैचों में 13 विकेट निकाले। मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर को उसका फाइनल में चार ओवर में 13 डॉट बाल पर सिर्फ 14 रन देकर एक विकेट लेना प्रभावित कर गया है।
रियान पराग को भी इस सत्र की खोज माना जा रहा है। उनके पूरे भरोसे के साथ बल्लेबाजी करने पर राजस्थान रॉयल्स के कप्तान स्टीव स्मिथ ने कहा था कि रियान जिस तरह बल्लेबाजी करते हैं, उससे टीम के कुछ सीनियर खिलाड़ियों को सीखना चाहिए कि दवाब में किस तरह बल्लेबाजी की जाती है। इस खिलाड़ी ने सात मैचों में 160 रन बनाए। रियान बनना तो हमेशा ही क्रिकेटर चाहते थे। लेकिन दसवीं की परीक्षा से तीन हफ्ते पहले असम की टी-20 टीम में चयन के लिए फोन आया। वह परीक्षा की वजह से असमंजस में थे। लेकिन पिता की सलाह से खेलने गए और मात्र 48 घंटे परीक्षा की तैयारी को मिले। अब वह भारतीय अंडर-19 टीम में खेल चुके हैं । सभी को लगता है कि वह एक न एक दिन भारत के लिए जरूर खेलेगा।

मनोज चतुर्वेदी


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