बतंगड़ बेतुक : काश आईपीएल से ही कुछ सीख पाते!

Last Updated 12 May 2019 06:32:21 AM IST

‘यह तो हद हो गयी दद्दा’ वह आते ही बोला, ‘मोदी को ऐसा नहीं करना चाहिए था।’ हमने कहा, ‘मोदी के काम को लेकर क्या रोना-बिसूरना है, मोदी का तो काम ही कुछ न कुछ करना है।


बतंगड़ बेतुक : काश आईपीएल से ही कुछ सीख पाते!

पर तू इतना क्यों सड़ रहा है, ऐसा क्या कर दिया मोदी ने जो तुझ पर भारी पड़ रहा है?’ वह बोला, ‘जो मुख्यमंत्री पहले ही इतने थप्पड़ खा चुका है, उसे फिर थप्पड़ लगवा दिया, लगवाया सो लगवाया पूरे मीडिया को थप्पड़मय करवा दिया। देश के प्रधानमंत्री को यह शोभा नहीं देता कि वह ऐसे लोकतंत्र विरोधी हिंसक हथकंडा अपनाए और चुनाव के दौर में दिल्ली के प्रधान को थप्पड़ पड़वाए।’
हमने शंकित स्वर में कहा, ‘भाई, तुझे कैसे ज्ञात हुआ कि यह मोदी ने करवाया, तूने कोई सबूत जुटाया या कोई सबूत तेरे पास आया?’ वह बोला, ‘कैसी बात करते हो दद्दा! अरे केजरी ने कह दिया, उनके डिप्टी मनीष ने कह दिया और भी जितने सिपहसालार हैं सबने कह दिया। इनका कहा ही सबूत, एकदम अकाट्य, सबसे बड़ा प्रमाण, सबसे बड़ा साक्ष्य। ये सब स्वयंसिद्ध हैं, स्वत: प्रमाणित हैं। इन्होंने कहा मोदी ने पिटवाया तो पिटवाया, थप्पड़ मोदी के यहां से आया तो आया।’ हमने कहा, ‘भाई मोदी प्रधानमंत्री है, जिम्मेदार है, देश का चौकीदार है। वह अपनी पार्टी का प्रचार करेगा कि थप्पड़ाभ्यस्त पर नव-थप्पड़ का विचार करेगा? दूसरे, मोदी भक्त कह रहे हैं केजरी ने थप्पड़ खुद प्रायोजित किया ताकि छिटकती जनता की सहानुभूति पा सके और अपने बच्चों को दिल्ली जिता सके।’

वह बोला, ‘दद्दा, तुम मोदी भक्त हो रहे हो तभी मोदी भक्तों का रोना रो रहे हो। मोदी कुछ न कुछ करके रहेगा, आतंकियों को मारे न मारे मगर केजरी को मरवाकर रहेगा।’ हमने कहा, ‘मोदी किसी को मरवाएगा तो सर्जिकल स्ट्राइक करवाएगा या बम गिरवाएगा। थप्पड़ से आज तक कोई मरा है जो मारने के लिए थप्पड़ मरवाएगा। उधर, पुलिस और मीडिया बता रहे हैं कि थप्पड़ मारू नौजवान केजरी से नाराज था सो उसने केजरी के रथ पर उछाल मार दी और थप्पड़ मारकर अपनी भड़ास निकाल दी।’ वह झुंझलाकर बोला, ‘देखो दद्दा, पुलिस और मीडिया मोदी के इशारे पर काम कर रहे हैं इसीलिए केजरी के खिलाफ षड्यंत्र रच रहे हैं।’
हमारे अंदर छटपटाहट बढ़ रही थी, जिस तरह की बेहूदी बहस से हम बचते रहे थे वही हमारे सर पर चढ़ रही थी। इधर हमारे आईपीएल मैच का समय हो रहा था। एक-दूसरे को चोर और महाचोर बताने की, एक-दूसरे को सरेआम नंगा करने की जो कान पकाऊ, गंद-उछालू, बदबूदार, दिमाग सड़ाऊ अश्लील चुनावी प्रतिद्वन्द्विता चल रही थी, उसमें आईपीएल की स्वस्थ, मर्यादित, नियोजित प्रतिद्वन्द्विता में हमें पर्याप्त राहत मिल रही थी। एक प्रतिद्वन्द्विता मन को बौखलाहट से भर रही थी तो दूसरी प्रतिद्वन्द्विता मन को आनंदित कर रही थी, घायल दिमाग के लिए मरहम का काम कर रही थी।
हमने झुंझलाकर कहा, ‘देख भाई, इन नेताओं में कोई दूध का धुला नहीं है, सब एक-दूसरे पर नंगे प्रहार कर रहे हैं, देश की आत्मा को मार रहे हैं। इनमें से अगर कोई मर भी जाएगा तो न तो हमारा कुछ खो जाएगा और न यह देश लावारिस हो जाएगा। तू हमें बख्श दे, हमें चैन की सांस लेने दे, आईपीएल का मजा लेने दे।’ वह बोला, ‘दद्दा, तुम पक्का सठिया गये हो, आईपीएल में ऐसा क्या है जो चुनाव का कीमती वक्त उसमें खपा रहे हो? फर्क यही तो है कि यहां पार्टियां लड़ रही हैं, वहां टीमें टकरा रही हैं। फिर चुनाव से इतनी नफरत क्यों, आईपीएएल से इतना प्यार क्यों?’
हमने थोड़ा उसको और थोड़ा अपने आपको समझाते हुए कहा,‘तू ठीक कह रहा है, प्रतियोगिता यहां भी है, वहां भी है। ये चुनाव जीतने के लिए लड़ रहे हैं, वे मैच जीतने के लिए लड़ रहे हैं। पर हर प्रतियोगिता के कुछ नियम होते हैं, कायदे-कानून होते हैं, मान-मर्यादाएं होती हैं। इधर चुनाव में ये हर मर्यादा की धज्जियां उड़ा रहे हैं, गाली-गलौज कर रहे हैं, एक-दूसरे का गला काट रहे हैं, तो उधर हर नियम माना जा रहा है, हर मर्यादा का पालन किया जा रहा है। जो मैच जीत जाता है वह खुश हो जाता है और जो हार जाता है वह मायूस हो जाता है, मगर कोई किसी को गाली नहीं देता, कोई किसी को थप्पड़ नहीं मारता, कोई अंपायर पर कीचड़ नहीं उछालता। सब हार-जीत को शालीनता से स्वीकार करते हैं, एक-दूसरे की पीठ थपथपाते हैं, जो अच्छा करता है उसकी तारीफ करते हैं और प्यार से पैवीलियन वापस लौट जाते हैं। न यहां धर्म उछलता है, न जाति मचलती है, जिसमें प्रतिभा है बस उसी की चलती है। चुनाव में घनघोर विद्वेष और अशांति है, आईपीएल में प्यार और शांति है..।’ हमारी बात समाप्त होने से पहले ही वह बोला, ‘तुम ठीक कह रहे हो दद्दा। काश, चुनाव भी आईपीएल की तरह होते।’
इधर हम सोच रहे थे कि आज आईपीएल खत्म हो जाएगा, मन-शांति का हमारा शगल समाप्त हो जाएगा, मगर चुनाव का चिखाऊ-चिल्लाऊ हाहाकार एक हफ्ते और चलेगा। राम जाने, हमारा यह हफ्ता बिना आईपीएल कैसे कटेगा!

विभांशु दिव्याल


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