सरोकार : मतदान दर बढ़ाने की मुश्किलें
इंटरनेशनल इंस्टीटय़ूट फॉर डेमोक्रेसी एंड इलेक्टोरल असिस्टेंस द्वारा प्रकाशित मतदान आंकड़े, जो वर्ष 2017 तक के हैं, के अनुसार फ्रांस में मतदान का प्रतिशत 43 है, जो दुनिया में सबसे कम है, जबकि जर्मनी में यह 76% है, जो सबसे ज्यादा है।
सरोकार : मतदान दर बढ़ाने की मुश्किलें |
मतदान अनुपात के मामले में भारत अनेक देशों की तुलना में बेहद ही उम्दा प्रदर्शन कर रहा है। भारत में 2009 में 58.4% मतदान हुआ था, जो 2014 में बढ़कर 66.4% हो गया। 1971 के बाद से संसदीय चुनावों में मतदाताओं के मतदान रुझान की ऐतिहासिक प्रवृत्ति से पता चलता है कि पिछले बारह संसदीय चुनावों के दौरान मतदान के दिन तक मतदाताओं की मन:स्थिति में 55.2% से 66.4% तक का उतार-चढ़ाव देखा गया है। यदि हम इस अवधि के दौरान पुरुष और महिला मतदाता के मतदान रुझान को देखें तो पाएंगे कि महिला मतदान का प्रतिशत आम तौर पर पुरुषों के मतदान प्रतिशत की तुलना में कम है।
वर्ष 1971 के चुनाव में यह अंतर 11.9% था, जो वर्ष 2014 में घटकर 1.5% रह गया। इसी तरह, अगर हम 1971 के संसदीय चुनाव से लेकर वर्ष 2014 के संसदीय चुनाव तक 28 प्रमुख राज्यों में मतदाताओं के मतदान की दर को देखें तो पाएंगे कि सबसे अधिक मतदान केरल, पश्चिम बंगाल और त्रिपुरा में हुआ है। इसके अलावा, इन तीन राज्यों में महिला और पुरुष द्वारा किए गए मतदान का विश्लेषण करने पर पाएंगे कि दोनों के मतदान देने का अनुपात लगभग बराबर है। इसका मतलब है कि दोनों सक्रिय रूप से चुनाव में भाग ले रहे हैं। राज्य, जो महिला मतदान दर के मामले में पिछड़ रहे हैं, वे हैं बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और जम्मू-कश्मीर। इन राज्यों में मतदान प्रक्रिया में महिलाओं की सक्रिय भागीदारी नहीं हो पा रही है। मतदान देने के प्रति उदासीनता होने या जागरूकता नहीं होने के कुछ आर्थिक एवं सामाजिक कारण भी हैं, जैसे जनसंख्या का आकार, आयु, शैक्षणिक स्थिति, आर्थिक पिछड़ापन आदि। ये कारक मतदान दर की दशा और दिशा, दोनों तय करते हैं। इसलिए, भारत में महिला मतदान की दर में सुधार लाने के लिए सरकार, चुनाव आयोग, मीडिया और समाज के सभी हितधारकों को आगे आना होगा। साथ ही साथ चुनाव प्रक्रिया में महिला भाग लने के लिए उन्हें प्रोत्साहित करने, सुविधा देने और बढ़ावा देने की भी जरूरत है। इसके अतिरिक्त, कम मतदान का एक महत्त्वपूर्ण कारण पुरुष और महिला, दोनों का अंतरराज्यीय प्रवास होना है।
वर्षो से महिला और पुरुष विभिन्न कारणों यथा बेहतर जीवन, रोजगार, विवाह और शिक्षा की तलाश में पलायन कर रहे हैं, जिससे समग्र मतदान दर प्रभावित हो रही है। प्रवास की अवधि की गणना एवं प्रमुख राज्यों में किए गए मतदान को प्रतिशत के साथ मैप करने पर पता चलता है कि उत्तर प्रदेश, बिहार, ओडिशा, राजस्थान जैसे राज्यों में लोगों के पलायन के कारण वहां मतदान की दर कम है। विभिन्न संकेतकों को देखने से पता चलता है कि जीवन प्रत्याशा दर, स्कूलों में सकल नामांकन दर आदि से भी मतदान की दर पर प्रभाव पड़ता है। यह देखा गया है कि उच्च गरीबी वाले राज्यों में मतदान की दर का प्रतिशत ज्यादा है, जबकि गरीब राज्यों में कम। गरीब राज्यों जैसे बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और झारखंड जैसे राज्यों में मतदान की दर हमेशा से कम रहती आई है, जबकि केरल, आंध्र प्रदेश, गोवा, तमिलनाडु, हरियाणा और पंजाब जैसे राज्यों में मतदान की दर बेहतर है।
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