बजट-2019 : होंगी राहतकारी योजनाएं

Last Updated 24 Jan 2019 04:48:50 AM IST

इन दिनों देश की निगाहें नरेन्द्र मोदी सरकार द्वारा 1 फरवरी, 2019 को प्रस्तुत किए जाने वाले वर्ष 2019-20 के अंतरिम बजट की ओर लगी हुई है।


बजट-2019 : होंगी राहतकारी योजनाएं

वित्तमंत्री अरुण जेटली ने कहा है कि मोदी सरकार 1 फरवरी को आगामी वित्त वर्ष 2019-20 के अंतरिम बजट में सिर्फ तीन महीने के लिए लेखानुदान ही पेश नहीं करेगी, वरन देश की कुछ आर्थिक-सामाजिक चुनौतियों के समाधान हेतु अर्थव्यवस्था के हित को भी ध्यान में रखते हुए बजट के माध्यम से नीतिगत दिशाएं भी प्रस्तुत करेगी। वित्तमंत्री ने आम आदमी, किसानों, छोटे उद्यमियों कारोबारियों, मध्यम वर्ग और छोटे आयकरदाताओं के लिए राहत के स्पष्ट संकेत भी दिए हैं। चूंकि 2019-20 का अंतरिम बजट आम चुनाव के पहले का आखिरी बजट होगा, अतएव इसे लोक लुभावन बनाए जाने की संभावनाएं हैं।
आजादी के बाद से अब तक तीन अंतरिम बजट प्रस्तुत किए गये हैं। चौथा अंतरिम बजट मोदी सरकार द्वारा आगामी एक फरवरी को वित्त वर्ष 2019-20 के लिए पेश किया जाएगा। इसके पूर्व में वर्ष 2004 में वाजपेयी सरकार के समय जसवंत सिंह ने तथा मनमोहन सिंह सरकार के समय 2009 में प्रणव मुखर्जी ने और 2014 में पी चिदंबरम ने अंतरिम बजट पेश किए थे। इन तीनों वित्तमंत्रियों के समक्ष परिस्थितियां अलग-अलग थीं। वर्ष 2004 में जब जसवंत सिंह ने अंतिरम बजट पेश किया, तब अर्थव्यवस्था के परिदृश्य पर आर्थिक सुधारों से भारतीय अर्थव्यवस्था की गतिशीलता दिखाई दे रही थी। जसवंत सिंह ने अंतरिम बजट में प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष करों में नई रियायतों के प्रस्ताव रखे थे।

वर्ष 2009 में जब प्रणव मुखर्जी ने वित्तमंत्री के रूप में अंतरिम बजट पेश किया तब अर्थव्यवस्था के परिदृश्य पर 2008 में उभरी वैश्विक आर्थिक मंदी के असर की चिंताएं स्पष्ट दिखाई दे रही थीं।  प्रणव मुखर्जी ने वित्त मंत्री के रूप में अपने अंतरिम बजट भाषण में राजकोषीय लक्ष्य पर खरा उतरने में सरकार की नाकामी को रेखांकित किया था। फिर वर्ष 2014 में पी. चिदंबरम ने जब अंतरिम बजट पेश किया था तो अर्थव्यवस्था की हालत ठीक नहीं थी, वैश्विक बाजार में कच्चे तेल के दाम बढ़ रहे थे और राजकोषीय घाटा चिंताजनक स्थिति में था। ऐसे में पी. चिदंबरम ने जहां आर्थिक दिशाएं प्रस्तुत कीं, वहीं उन्होंने पूंजीगत उत्पादों, टिकाऊ उपभोक्ता उत्पादों, कारों, दोपहिया वाहनों, वाणिज्यिक वाहनों सहित कई उत्पादों पर उत्पाद शुल्क घटा दिए। कई घरेलू उत्पादों के संरक्षण हेतु उत्पाद शुल्क की नई दरें भी घोषित कीं।
केवल एक बार 2009 के अंतरिम बजट में प्रणव मुखर्जी ने नए कर प्रस्तावों से पूरी तरह दूरी बनाए रखी थी, जबकि जसवंत सिंह और चिदंबरम ने कराधान प्रस्ताव और विभिन्न वर्गों के लिए राहतकारी प्रावधान भी जोर-शोर से प्रस्तुत किए थे। नया अंतरिम बजट प्रमुखतया खेती और किसानों को लाभान्वित करते हुए दिखाई दे सकता है। सरकार इस बजट में नकद के रूप में राहत देने के लिए ऐसी योजना प्रस्तुत कर सकती है जिसके तहत किसानों का वित्तीय बोझ कम करने के लिए सब्सिडी की जगह सीधे उनके खातों में नकद रकम ट्रांसफर की जाएगी। सरकार खेती-बाड़ी से जुड़ी तमाम तरह की सब्सिडी को जोड़ने की एक उपयुक्त योजना प्रस्तुत कर सकती है, जिसमें करीब 70 हजार करोड़ रुपये चाहिए होगा। कृषि कर्ज का लक्ष्य 10 फीसद बढ़ाकर करीब 12 लाख करोड़ रुपये हो सकता है। छोटे आयकरदाता नौकरी पेशा वर्ग के साथ-साथ मध्यम वर्ग के लोग भी चाहते हैं कि उन्हें नए बजट में आयकर राहत मिले, ऐसे में सरकार के द्वारा नए वर्ष के अंतरिम बजट में आयकर छूट की सीमा को उपयुक्त रूप से बढ़ाया जा सकता है। वर्तमान में व्यक्तिगत आयकर छूट की सीमा 2.50 लाख रुपये है तथा 40 हजार रुपये का स्टैंर्डड डिक्शन सुनिश्चित है। आयकर छूट की सीमा को दोगुनी करके पांच लाख रुपये तक किया जा सकता है। इसके साथ ही आयकर की विभिन्न स्लैबों के तहत भी राहत दी जा सकती है। अभी ढाई लाख से पांच लाख रु. की आय पर पांच फीसद कर लगता है। वहीं 5 से 10 लाख रुपये की आय पर 20 फीसद तथा 10 लाख रुपये से अधिक की आय पर 30 फीसद आयकर लगता है। अब पांच से 10 लाख रुपये तक की आमदनी पर कर की दर घटाकर 10 फीसद और 10 से 20 लाख रुपये की आय पर 20  तथा 20 लाख रुपये से अधिक की आय पर 25 फीसद आयकर लगाया जा सकता है। सीनियर सिटिजन एवं महिला वर्ग के लिए आयकर में छूट की सीमा भी बढ़ाई जा सकती है। इसके साथ ही बचत को प्रोत्साहन देने के लिए धारा 80सी के तहत कटौती की सीमा बढ़ाकर 2.50 लाख रु .की जा सकती है। इसके अलावा, चिकित्सा खर्च और परिवहन भत्ते पर भी आयकर छूट मिल सकती है। बजट में छोटी-बड़ी हर प्रकार की कंपनियों पर कॉरपोरेट कर की दर घटाकर 25 फीसद रखी जा सकती है। इससे कारोबार बढ़ेगा और कर संग्रह भी।
बजट में रियल एस्टेट को प्रोत्साहन दिखाई दे सकता है। यदि इस सेक्टर को उद्योग का दर्जा मिलता है तो इससे जुड़े अन्य उद्योगों को भी तेजी मिलेगी। इससे कम दर पर फंडिंग हासिल करने में भी मदद मिलेगी। डिजिटल ट्रांजैक्शन करने पर टैक्स में छूट दी जा सकती है। स्टार्टअप्स के लिए एंजेल टैक्स खत्म करने और ई-केवाईसी में ढील दे सकती है। एंजेल टैक्स के कारण स्टार्टअप्स में निवेश बाधित हो रहा है। नए अंतरिम बजट में स्वास्थ्य, शिक्षा छोटे उद्योग-कारोबार और कौशल विकास जैसे विभिन्न आवश्यक क्षेत्रों के लिए बजट आबंटन बढ़ते हुए दिखाई दे सकता है। निर्यातकों को रिसर्च एंड डेवलपमेंट पर विशेष इंसेटिव दिया जा सकता है। सालाना पांच करोड़ रुपये तक बिजनेस वाली कंपनियों को कर्ज पर ब्याज में 2 फीसद तक छूट तय की जा सकती है। हम आशा करें कि वर्ष 2019-20 के नए अंतरिम बजट में सरकार एक ओर विभिन्न वर्गों की आर्थिक अपेक्षाओं और उद्योग कारोबार के लिए उपयुक्त रियायतें एवं प्रोत्साहन देती हुई दिखेगी, वहीं अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के ऐसे कदम उठाते हुए भी दिखाई देगी, जिससे वर्ष 2019 के अंत तक भारत वैश्विक अध्ययन रिपोर्टों को साकार करते हुए दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था भी बन जाए।

जयंतीलाल भंडारी


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