नेतन्याहू की यात्रा के नये आयाम
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की इजरायल यात्रा के करीब छह महीने बाद इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू आज भारत की यात्रा पर आ रहे हैं. दोनों देशों के बीच कूटनीतिक संबंध स्थापित होने के बाद वो दूसरे इजरायली प्रधानमंत्री हैं, जो भारत आ रहे हैं.
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू (फाइल फोटो) |
पंद्रह साल पहले 2003 में तब के प्रधानमंत्री एरियल शेरोन ने पहली बार भारत की यात्रा की थी. यह महत्त्वपूर्ण तथ्य है जिसे रेखांकित किया जाना चाहिए. शेरोन की यात्रा के समय दिल्ली में अटलबिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में भाजपा की सरकार थी, और आज नरेन्द्र मोदी की सरकार है. तो क्या संयोग मात्र है, या भाजपा का वैचारिक आग्रह दोनों देशों को एक दूसरे के करीब ला रहा है.
हाल ही में दो ऐसी घटनाएं भी हुई हैं, जिनसे इजरायल को अवश्य निराशा हुई होगी. एक, यरुशलम को राजधानी बनाने के सवाल पर भारत ने इजरायल और अमेरिका के विरुद्ध जाकर संयुक्त राष्ट्र की महासभा में वोट किया था. दूसरे, भारत ने इजरायल से करीब 500 अरब डॉलर के प्रक्षेपास्त्र खरीदने का सौदा भी रद्द कर दिया. दोनों अप्रिय घटनाओं के बावजूद इजरायली प्रधानमंत्री भारत आ रहे हैं, तो साफ है कि इजरायल भारत के साथ द्विपक्षीय संबंधों को और मजबूती से पकड़ कर रखना चाहता है.
इजरायल की इस सहृदयता को देखते हुए सवाल स्वाभाविक है कि क्या भारत को अपनी फिलिस्तीन नीति पर पुनर्विचार करने की जरूरत है क्योंकि पिछले दिनों फिलिस्तीन के पाक स्थित राजदूत अबू अली ने पाकिस्तान के रावलपिंडी के लियाकत बाग में जमात-उद-दावा की न सिर्फ रैली में भाग लिया बल्कि उन्होंने हाफिज सईद के साथ मंच भी साझा किया. यह जानते हुए कि हाफिज मुंबई हमले का मास्टरमाइंड रहा है.
अबू अली ने यह तथ्य भी दरकिनार कर दिया कि संयुक्त राष्ट्र की महासभा में भारत ने अमेरिका के उस प्रस्ताव के खिलाफ मतदान किया था, जिसमें तेलअवीव की जगह यरुशलम को इजरायल की राजधानी बनाने की बात थी. फिलस्तीन नीति पर पुनर्विचार का मसला हो या इजरायल के साथ घनिष्ठ रिश्ता बनाने का, इन दोनों बातों पर गौर करने से पहले भारत को भी गहराई से सोचना होगा कि ईरान समेत अन्य मुस्लिम देशों के साथ भारत के संबंध सामान्य बने रहें.
भारत-इजरायल के बीच कूटनीतिक संबंध स्थापित होने के बाद कृषि, जल, रक्षा, आतंकवाद, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी और अंतरिक्ष जैसे क्षेत्रों में घनिष्ठ सहयोग स्थापित हुए हैं. इस यात्रा के दौरान भी दोनों देशों के बीच करोड़ों डॉलर के सौदों के साथ-साथ दोनों देशों के बीच व्यापार एवं रक्षा जैसे क्षेत्रों में सहयोग मजबूत करने के कदम उठाए जाएंगे. भारत एक बड़ा बाजार है, और इजरायल के रक्षा उत्पादों का करीब एक-तिहाई खरीदार है. भारत प्रति वर्ष इजरायल से करीब साढ़े हजार करोड़ रुपये का हथियार खरीदता है. इसलिए भी इजरायल भारत के साथ अपने संबंधों को मजबूत बनाने का इच्छुक रहता है.
नेतन्याहू इस यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच पॉपुलर कल्चर को भी बढ़ावा देना चाहते हैं. इसके लिए वह बॉलीवुड का समर्थन जुटाने के लिए मुंबई के एक समारोह में भाग लेने वाले हैं. भारतीय सिनेमा में यहूदी अभिनेता-अभिनेत्रियों का बहुत बड़ा योगदान रहा है. सुलोचना, नादिरा और डेविड यहूदी ही थे, जिन्होंने लंबे अरसे तक भारतीय दर्शकों का मनोरंजन किया है.
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