खुल जा सिम सिम
आधार कार्ड का डाटा चोरी किया जा सकता है. ऐसी खरी खबर जिस रिपोर्टर ने मेहनत करके बनाई उसी पर केस हो गया.
आधार कार्ड (फाइल फोटो) |
इस घटना पर मीडिया में हाहाकार मचा तो लेकिन उतना न मचा जितना पहले इस कोटि के केसों में मचता रहा है. एक दो खबर चैनलों और कुछ अखबारों में इस केस को लेकर पुरानी लाइनें दुहरीं कि 'डांट शूट द मैसेंजर' यानी 'संदेशवाहक को न मारो'. पत्रकार का काम है तथ्य- सत्य को खोजना और सबको बताना. उसने तो देश की सेवा की है. सजा देनी है तो उनको दें जिन्होंने आधार के डाटा को कुछ पैसों में लीक किया है, या ऐसा व्यवस्था बनाई कि इस तरह लीक हो.
फिर एक खबरिया चैनल पर एक नामी पत्रकार ने एक परेशानकुन एंकर को आश्वस्त किया कि धैर्य रखें. यह मामला आगे नहीं बढ़ेगा. सब ठीक हो जाएगा. ऐसे आस्तिकारी वचनों को सुनने के बाद एंकर को क्या पड़ी थी कि पूछती कि आपको कैसे मालूम कि मामला खत्म हो जाएगा? क्या गारंटी कि पत्रकार को कुछ न होगा? आप क्या आधार कार्ड वाले डिपार्टमेंट की अथॉरिटी हैं? इसी दौरान इस विश्व प्रसिद्ध शेडेन ने भी कहा कि उस पत्रकार को क्या सताना? पकड़ना है, तो जिसने आधार का डाटा लीक किया है, उसको पकड़ो. यह खबर भी दो दिन में आई गई हो गई.
ऐसी खबरें और बहसें जब-जब प्रसारित होती हैं, तब- तब यही सुनने में आता है कि आप कितना भी डाटा सुरिक्षत कर लें, कभी न कभी कोई न कोई उसे 'हैक' करके रहता ही है. साइबर तकनीक को गोपनीय से गोपनीय बनाने वालों और उसके चोरों यानी 'हैकरों' में बीच एक खामोश-सी जंग हमेशा चलती रहती है. जब कहीं कोई बड़ा खेल कर देता है, तो वह हीरो बन जाता है, और सरकारें मन मसोस कर रह जाती हैं. ताला तोड़ने वाले ताला बनाने वालों से आगे ही रहते हैं. और इस मामले में तो इतना दूर जाने की जरूरत ही नहीं थी.
आप मोबाइल को ही लें उसमें तरह-तरह के बेकार के बिन मांगे संदेशों की भरमार रहती है. वे आते ही रहते हैं, और आप उनको हटाते-हटाते थक जाते हैं, लेकिन वे आना बंद नहीं करते. कोई कहता है : अपने 'दोस्त' से बातें करो. आप उसे हटाते रहते हैं. कोई कहता है यह लोन ले लो. वो चीज ले लो. यह मकान ले लो. वो दुकान ले लो. कोई कहता है यह ऐप ले लो. कोई कहता है कि यह सेवा ले लो. वो मेडिकल ले लो. आपका मोबाइल नम्बर तो सिर्फ आपका था, या आपके रिश्तेदारों और दोस्तों के पास था. उनमें से कोई ऐसा नहीं जो मोबाइल पर मैसेज भेजकर आपसे लोन लेने को कहे या सेक्सी बातें करने को कहे या आपसे खास पोर्न साइट देखने को कहे. हर आदमी के देास्त उसी के लेवल के होते हैं.
लेकिन आपके पास ऐसे-ऐसे नम्बरों से मैसेज आते हैं, जिनको आप जानते तक नहीं. एक सैकिंड को आप सेाचते हैं कि आपका नम्बर इसे कैसे मिला? आप यह तो जानने लगते हैं कि आपका नम्बर किसी ने तो लीक किया है, लेकिन आप उन अवांछित संदेशों को हटाने के अलावा कुछ नहीं कर पाते. ऐसे फालतू संदेशों को लेकर कुछ दिन तक आप हैरान-परेशान होते हैं. फिर आप हैरान होना भी छोड़ देते हैं. आप उनकी ढिठाई पर मुस्कुरा कर उनको सहने लगते हैं.
यह सब डाटा लींकिग के खेल हैं. कोई है जो आपका निजी नम्बर तक किसी न किसी को दिए जा रहा है ताकि वो आप तक पहुंच सके और रात-बिरात आपकी नींद हराम करता रहे. इतनी मोबाइल सेवा प्रदायक कंपनियां और उनके कलेक्शन सेंटर हैं. अगर आप उनसे पूछें कि क्या आपके यहां से नम्बर लीक हुआ तो वे कह देते हैं कि हम तो ऐसा नहीं करते. आपका नम्बर हमारे लिए गोपनीय है. आप कब तक सिर मारें? आप कुछ नहीं कहते. सोचते हैं कि आप ऐसे कौन से बड़े आदमी हैं कि आपका नम्बर किसी को मिल गया और आपका नुकसान कुछ हो जाएगा. और अंतत: आप चुप लगा जाते हैं.
सब जानते हैं कि ताला बनाने वाले से अधिक प्रतिभाशाली हेाता है ताला खोलने वाला. आप गोपनीय ताली लाख बनाएं. खोलने वाले खोल ही लेते हैं. जितनी तकनीक आप जानते होते हैं, चोर लोग उससे कहीं अधिक जानते हैं. चोर जानते होते हैं कि आप ताला लगाकर सो जाएंगे और जब आप सोएंगे, तब वे जागेंगे और ताले को तोड़कर रहेंगे. इसीलिए ताला और चाबी अपने यहां एक मजेदार 'रूपक' भर हैं. और अपना समाज तो 'खुल जा सिम सिम' वाला है. अगर कोई अली बाबा कभी ताली बजाकर कह दे कि 'खुल जा सिम सिम' तो हर चोर दरवाजा खुल जाता है.
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