प्रवासी : विकास के मजबूत सहयोगी

Last Updated 11 Jan 2018 06:28:40 AM IST

हाल ही में नई दिल्ली में प्रवासी भारतीय दिवस पर प्रथम प्रवासी भारतीय सांसद सम्मेलन आयोजित हुआ, जिसमें 23 देशों के 124 सांसद और 17 मेयर शामिल हुए.


प्रवासी : विकास के मजबूत सहयोगी

इस सम्मेलन में देश के विकास में प्रवासी भारतीय सांसदों से सहयोग की नई चमकीली संभावनाएं दिखाई दीं और प्रवासियों के माध्यम से यह बात उभरकर सामने आई कि प्रवासी भारतीय सांसद नये भारत के निर्माण में आर्थिक सहभागी बनेंगे. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने प्रवासी भारतीय सांसद सम्मेलन में प्रवासी भारतीय सांसदों का अभिनंदन करते हुए प्रवासी भारतीयों को भारत की महान पूंजी की संज्ञा दी.
प्रधानमंत्री ने कहा कि प्रवासी भारतीयों ने नई ऊंचाइयों को पाने के लिए तमाम देशों में संघर्ष किया है और दुनिया भर में भारत की खुशबू फैलाई है. साथ ही भारत को नई पहचान दी है. उन्होंने कहा कि अब समय बदल गया है, भारत नई शक्ति के साथ उठ रहा है. दुनिया का भारत के प्रति नजरिया बदला है. विश्व बैंक और अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष भारत की सराहना करते हुए  दिखाई दे रहे हैं. प्रवासी भारतीयों की तरफ से वर्ष 2017 में भारत में निवेश का सराहनीय सहयोग दिया गया. सम्मेलन में मोदी ने प्रवासी भारतीय सांसदों की उत्साहपूर्ण मजूदगी में उनके सपनों का समृद्ध और शक्तिशाली भारत बनाने का संकल्प व्यक्त करने के साथ प्रवासी भारतीयों से देश के आर्थिक और सामाजिक विकास के लिए अपनी सहभागिता सुनिश्चित करने का आह्वान भी किया. 

गौरतलब है कि प्रवासी भारतीयों को एक साझा मंच देने और उन्हें देश से जोड़ने के लिए 2003 से जनवरी माह में प्रवासी भारतीय दिवस मनाया जाता है. इस मौके पर देश के उद्यमी, कारोबारी, राज्य सरकारों और केंद्र सरकार के द्वारा दुनिया के कोने-कोने से आए भारतवंशियों को देश के लिए लुभाने और देश के प्रति स्नेह भाव पैदा करने का प्रयास किया जाता है. प्रवासी  भारतीय सांसदों के पहले सम्मेलन में भाग लेने वाले प्रवासी सांसदों का आकषर्ण इसलिए बढ़ा हुआ था, क्योंकि प्रधानमंत्री मोदी ने पिछले साढ़े तीन साल में प्रवासियों में उत्साह व देश प्रेम पैदा किया है. अपने प्रभावपूर्ण भाषण से प्रवासियों को देश से जोड़ने का प्रयास किया है.

विदेशों में विभिन्न सभाओं में एक ओर उन्होंने देश में पूंजी की जरूरत के लिहाज से प्रवासियों की भूमिका को महत्त्वपूर्ण बताया था. वहीं दूसरी ओर उन्होंने प्रवासियों की सुविधाओं के लिए अभूतपूर्व घोषणाएं भी की. स्थिति यह है कि उन्होंने जो घोषणाएं की, उन्हें सरकार ने देखते ही देखते अमलीजामा भी पहना दिया. उल्लेखनीय है कि दुनिया के करीब 200 देशों में रह रहे करीब 3.80 करोड़ प्रवासी भारतीय देश की आर्थिक-सामाजिक तस्वीर को बदलने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं.

दुनिया के तीन देशों में भारतीय मूल के प्रधानमंत्री हैं. आयरलैंड में भारतीय मूल के लिए वरदाकर, पुर्तगाल में एंटोनियो लुईस द कोस्टा और मॉरिशस में प्रविन्द जगन्नाथ प्रधानमंत्री हैं. इसके अलावा अमेरिका, गुयाना, पुर्तगाल में भारतीय मूल के लग कैबिनेट मंत्री भी हैं. कनाडा में 4 मंत्री भारतीय मूल के हैं. इसमें कोई दो मत नहीं है कि विदेशों में रह रहे भारतीय कारबारियों, वैज्ञानिकों, तकनीकी विशेषज्ञों, शोधकर्ताओं और उद्योगपतियों की प्रभावी भूमिका दुनिया के विभिन्न देशों की अर्थव्यवस्थाओं में सराही जा रही है. प्रवासी भारतीय विकसित देशों के सबसे महत्त्वपूर्ण विकास सहभागी बन गए हैं.

यह सर्वविदित तथ्य है कि पूरी दुनिया में प्रवासी भारतीयों और विदेशों में कार्य कर रही भारत की नई पीढ़ी की श्रेष्ठता को स्वीकार्यता मिली है. दुनिया के कई राष्ट्र प्रमुखों ने अपनी अर्थव्यवस्थाओं में प्रवासी भारतीयों के योगदान का कई बार उल्लेख किया है. कहा गया है कि भारतीय प्रवासी ईमानदार, परिश्रमी और समर्पण का भाव रखते हैं. आईटी, कम्प्यूटर, मैनेजमेंट, बैंकिंग, वित्त आदि के क्षेत्र में दुनिया में भारतीय प्रवासी सबसे आगे हैं. चूंकि अधिकांश प्रवासी भारतीय भारत के  प्रति स्नेह और आत्मीयता का भाव रखते हैं और प्रवासियों की नई पीढ़ी भी उत्साह से भरे भावों के  साथ भारत को बुलंदी पर रखने की इच्छा रखती है.

स्थिति यह है कि अब प्रवासियों के सहयोग से सहभागिता की एक नई चमकीली रेखा उभरकर दिखाई दे रही है. एक ओर प्रवासी अपने कार्यरत देशों में रहते हुए भारत के विकास में सहभागी बनने का संकल्प ले रहे हैं. संयुक्त राष्ट्र के कृषि विकास कोष द्वारा जारी की गई रिपोर्ट 2017 के मुताबिक दुनियाभर के विभिन्न देशों में कार्यरत प्रवासियों के द्वारा अपनी कमाई को अपने-अपने देशों में भेजने के मामले में प्रवासी भारतीय पहले क्रम पर हैं. विदेश में रहने वाले प्रवासी भारतीयों ने वर्ष 2017 में भारत में 62.7 अरब डॉलर यानी 4057 अरब रुपये की धनराशि भेजी है. स्पष्ट रूप से प्रवासी भारतीयों का देश के विकास में यह एक अमूल्य योगदान है.

प्रवासियों के द्वारा भारत भेजी गई धनराशि का एक बड़ा हिस्सा स्वास्थ्य सेवा, बेहतर शिक्षा और जीवन स्तर बढ़ाने में खर्च किया गया है. गौरतलब है कि पिछले वर्ष विदेशों में काम कर रहे प्रवासियों द्वारा अपनी कमाई का करीब तीन लाख करोड़ डॉलर स्वदेश भेजा गया है. स्वदेश भेजे गए ऐसे कुल धन का आधा हिस्सा दस बड़े देशों में कमाया गया है. इन देशों में अमेरिका, सऊदी अरब, रूस, संयुक्त अरब अमीरात, जर्मनी, कुवैत, फ्रांस, कतर, ब्रिटेन व इटली शामिल हैं.

हम आशा करें कि आने वाले समय में भारत को विकसित बनाने में प्रवासी भारतीय सांसदों और विभिन्न क्षेत्रों में विशिष्ट योगदान दे रहे प्रवासी भारतीयों की भूमिका महत्त्वपूर्ण होगी. बिल्कुल उसी तरह; जिस तरह कोई साढ़े तीन-चार दशक पहले चीन में जब प्रवासी चीनियों ने सारी दुनिया से कमाई हुई अपनी दौलत चीन में लगाकर चीन की तकदीर हमेशा के  लिए बदल डाली. हम आशा करें कि प्रवासी भारतीय सांसद और प्रवासी भारतीय दुनिया के कोने-कोने में अपनी नेतृत्व शक्ति, अपने ज्ञान और कौशल का परचम फहराते हुए विदेशों से डॉलर, यूरो और अन्य बहुमूल्य विदेशी मुद्राओं का ढेर स्वदेश भेजकर जहां एक ओर भारत को बढ़ती हुई विदेशी पूंजी की जरूरत के लिए मदद करेंगे, वहीं प्रवासी भारतीय अपने ज्ञान व कौशल के सहयोग से भारतीय अर्थव्यवस्था और समाज को चमकाते हुए भी दिखाई देंगे.

जयंतीलाल भंडारी


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