क्रिकेट : तलाशनी होगी हार की वजह

Last Updated 10 Jan 2018 05:43:18 AM IST

घर में एक के बाद एक सीरीज जीतने से अजेय समझे जाने की गलतफहमी शायद केपटाउन के न्यूलैंड्स में मिली हार के बाद दूर हो गई है.




क्रिकेट : तलाशनी होगी हार की वजह

भारतीय टीम ने चौथे दिन सुबह जब दक्षिण अफ्रीका की दूसरी पारी 130 रन पर ध्वस्त कर दी तो भारतीय टीम का खुश होना लाजिमी था. लेकिन स्टेडियम में एक दर्शक के पोस्टर पर लिखा था कि विराट कोहली याद रखो, तुम्हें यहां पर बल्लेबाजी करनी है. यह बात भले ही व्यंग्य में कही गई थी पर आखिर में सच साबित हो गई क्योंकि टीम इंडिया 208 रनों के लक्ष्य के जवाब में 135 रन ही बना सकी. न्यूलैंड्स जैसे विकेट पर मैच हारना भारत के लिए कोई नई बात नहीं है. लेकिन विराट की अगुआई में टीम इंडिया ने छवि बनाई है कि वह किसी भी टीम को हरा सकती है, वह इस हार से टूट गई है.
भारतीय टीम तेज गेंदबाजी के अनुकूल विकेट पर नहीं खेल पाती है, सालों से बनी यह धारणा एक बार फिर लोगों के जेहन में बैठ गई है, तमाम सालों में कुछ नहीं बदला है. दक्षिण अफ्रीकी गेंदबाजों और खासकर वर्नन फिलेंडर ने दिखाया कि इस तरह की उछाल वाले विकेट पर दिमाग के साथ गेंदबाजी की जाए तो बल्लेबाजों के लिए मुश्किल खड़ी की जा सकती हैं. उन्होंने सही मायनों में सभी छह विकेट बल्लेबाज के खिलाफ योजना बनाकर लिये. उनकी गेंदबाजी की सबसे बड़ी खूबी यह रही कि उन्होंने जिस तरह की गेंदबाजी करनी चाहिए, वह उस तरह की गेंदबाजी करने में सफल रहे. उन्होंने बल्लेबाजों को जाल में फंसाकर विकेट लिये. फिलेंडर ने छह विकेट मात्र 42 रन देक र लिए और इस प्रदर्शन पर उन्हें ‘मैन ऑफ द मैच’ चुना गया. भारतीय कप्तान विराट कोहली ने अभ्यास मैच नहीं खेलकर भी गलती की. इस तरह के मैचों से यह पता चलता है कि गेंद की उछाल कितनी है.

भारतीय उपमहाद्वीप में एक-के-बाद एक सफलता पाने से लगता है कि टीम प्रबंधन अपनी मनमानी पर उतर आया. उसे टीम के सबसे मजबूत टेस्ट खिलाड़ी अजिंक्य रहाणो तक को बैठाने में कोई दिक्कत नहीं हुई. यह सभी जानते हैं कि रहाणो का प्रदर्शन घर के मुकाबले बाहर बेहतर हैं. रहाणो ने घर में खेले 19 टेस्ट में 33.63 के औसत 1009 रन बनाए हैं, जिसमें तीन शतक शामिल हैं. वहीं विदेश में उन्होंने खेले 24 टेस्ट में 53.44 के औसत से 1817 रन बनाए हैं, जिसमें छह शतक शामिल हैं. यही नहीं रहाणो का अपनी जगह खिलाए गए रोहित शर्मा के दक्षिण अफ्रीका में 11.25 के मुकाबले 69.65 का औसत है. यही नहीं रहाणो का ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड में भी रोहित से बेहतर औसत है. इसके अलावा शिखर धवन के बारे में यह साफ है कि वह ऊपर आतीं गेंदों को ढंग से नहीं खेल पाते हैं. लेकिन लोकेश राहुल को मौका न देकर शिखर को खिलाने का तुक समझ नहीं आया. दूसरे दिन दक्षिण अफ्रीका के पहली पारी में बढ़त लेने के बाद दूसरी पारी में दो विकेट पर 65 रन बना लेने पर पुजारा ने मीडिया से कहा कि इस तरह के विकेट पर 350 रन तक का लक्ष्य पाया जा सकता है. लेकिन 208 रन के लक्ष्य के सामने टीम 135 रन पर धराशायी हो जाने पर पुजारा का बयान बड़बोलापन लगने लगा. कोहली ने हार के बाद भी विकेट की तारीफ की. उन्होंने माना खराब बल्लेबाजी के कारण भारत को हार का सामना करना पड़ा. पर पहली पारी में हार्दिक पांडय़ा और दूसरी पारी में रविचंद्रन अिन के अलावा भुवनेर कुमार ने दोनों पारियों में टिककर बल्लेबाजी की, उससे लगता है कि हमारे बल्लेबाज टिकने की मानसिकता से खेले ही नहीं. भारत की इस हार के बावजूद भारतीय पेस गेंदबाज पूरे अंक पाने के पूरी तरह से हकदार हैं.
हमारे गेंदबाज द. अफ्रीकी अटैक से कमतर कभी नजर नहीं आए. मोहम्मद शमी ने दिखाया कि वह उपमहाद्वीप में विकेट पर अटैक करने वाली गलती न्यूलैंड्स जैसे विकेट पर कतई नहीं करते. भुवनेर के बारे में पहले से कहा जा रहा था कि दोनों दिशाओं में गेंद को स्विंग कराने वाला गेंदबाज सफल होना ही है और वह हुआ भी. बुमराह की तारीफ करनी होगी कि उन्होंने मात्र दूसरा टेस्ट वह भी ऐसी चुनौतीपूर्ण हालातों में खेलते हुए एक टेस्ट गेंदबाज को कहां गेंदबाजी करनी चाहिए सीख ली. भारत को अगले दो टेस्ट प्रिटोरिया और डरबन में खेलने हैं, यहां और भी ज्यादा उछाल मिल सकती है. इसलिए इन हालात में खेलने की आदत जितनी जल्दी डाल लेंगे, उतना ही टीम और राष्ट्र की प्रतिष्ठा को फायदा होगा. विराट सेना के पास अपने आलोचकों का मुंह बंद करने का अभी भी मौका है.

मनोज चतुर्वेदी


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