आर्थिकी : उम्मीद तो जगाती है
भारत की आर्थिक संभावनाओं पर प्रकाशित हुई कई राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय अध्ययन रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष 2018 में भारत का आर्थिक परिदृश्य बेहतर होगा.
आर्थिकी : उम्मीद तो जगाती है |
26 दिसम्बर को ब्रिटेन की वैश्विक रिसर्च संस्था सेंटर फॉर इकनॉमिक एंड बिजनेस रिसर्च द्वारा प्रकाशित रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत बदले हुए सकारात्मक आर्थिक एवं कारोबारी परिदृश्य के कारण 2018 में ब्रिटेन व फ्रांस को पीछे छोड़ते हुए डॉलर के हिसाब से विश्व की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाला देश बन सकता है.
जापान की वैश्विक वित्तीय सेवा कंपनी नमुरा औेर अंतरराष्ट्रीय क्रेडिट रेटिंग एजेंसी ‘मूडीज’ ने कहा है कि वर्ष 2018 में भारत की विकास दर करीब 7.5 फीसद होगी. वर्ष 2018 में भारतीय शेयर बाजार में तेजी जारी रहने की रिपर्टे भी प्रकाशित हुई हैं. कहा गया है कि वर्ष 2018 में सेंसेक्स 40 हजार की ऊंचाई पर पहुंच सकता है. रोजगार संबंधी सलाह देने वाली कंपनी मैनपॉवर ग्रुप की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में 2018 में नौकरियां बढ़ेंगी और वेतन वृद्धि 10 से 15 फीसद होगी. निर्यात संगठन की रिपोर्ट के अनुसार 2018 में निर्यात बढ़ेंगे. निर्यातकों को दिए गए 8450 करोड़ रुपये के निर्यात प्रोत्साहन से उनको बड़ा फायदा होगा. ख्यात वैश्विक संगठन ग्लोबल रिटेल डेवलपमेंट इंडेक्स (जीआरडीआई) ने कहा है कि वर्ष 2018 में टॉप-30 विकासशील देशों की रैंकिंग में कारोबारी सरलता के मद्देनजर भारत के पहले क्रम पर बने रहने की संभावना है.
निसंदेह वर्ष 2018 में कई सकारात्मक पक्ष भारत की आर्थिक संभावनाओं को आगे बढ़ाते हुए दिखाई दे रहे हैं. देश और दुनिया के अधिकांश आर्थिक-वित्तीय संगठन और अर्थ विशेषज्ञ का मत है कि यद्यपि नोटबंदी की शुरुआत में आम लोगों से लेकर उद्योग-कारोबार की परेशानियों का सामना करना पड़ा, लेकिन वर्ष 2018 में नोटबंदी के लाभ दिखाई देंगे. पिछले वर्ष के अंतिम सोपान पर सरकार ने अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए 9 लाख करोड़ रुपये के भारी भरकम आर्थिक पैकेज को जो ऐलान किया है, उसके लाभ भी 2018 में दिखाई देने लगेंगे. आर्थिक पैकेज के तहत 6.92 लाख करोड़ रुपये की ऐतिहासिक सड़क निर्माण परियोजनाएं हैं. इसकी धुरी भारतमाला परियोजना होगी, जिसमें 34 हजार किमी लंबी सड़कें बनेंगी. इस पर 5.35 लाख करोड़ रुपये खर्च होंगे. इसके जरिए देश में हाईवे और एक्सप्रेस-वे का जाल बिछाया जाएगा. वस्तुत: सरकार ने न्यू इंडिया की नींव रखते हुए अर्थव्यवस्था के लिए जो नौ लाख करोड़ रुपये के पैकेज का डोज दिया है, उससे वर्ष 2018 में अर्थव्यवस्था गतिशील होगी. बैंकिंग सुधार के तहत सरकार ने बैंकों के .2.11 लाख करोड़ रुपए की जो नई पूंजी दी है, उसके लाभ भी 2018 से दिखाई देने लगेंगे.
वर्ष 2018 में देश में कृषि क्षेत्र और किसानों की बेहतरी का परिदृश्य दिखाई देने की पूरी संभावना है. नीति आयोग द्वारा की गई कृषि व किसानों की मौजूदा स्थिति की समीक्षा में कहा गया कि देश में करीब 80 फीसद किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) व्यवस्था से बाहर हैं. कई तो उत्पादन लागत भी नहीं निकाल पाते. ऐसे में कृषि व किसानों के हितों पर वर्ष 2018 में सर्वोच्च प्राथमिकता दिए जाने की जरूरत है. केन्द्र सरकार ने भी संकेत दिया है कि वह नए वर्ष 2018 में खेती किसानी के हित में महत्त्वपूर्ण कदम उठाएगी. केन्द्र सरकार ने 2022 तक कृषि क्षेत्र से जुड़े लोगों की आमदनी दोगुनी करने के लिए एक योजना प्रस्तुत की है. वर्ष 2018 में ग्रामीण इलाकों में कृषि और गैर कृषि क्षेत्रों में आय बढ़ाने ओैर खाद्य प्रसंस्करण से रोजगार के नए अवसर तैयार करने की रणनीति प्रस्तुत की है.
ऐसे में अब नए वर्ष 2018 में सरकार को कल्याणकारी आर्थिक सुधार की डगर पर आगे बढ़ते हुए किसानों एवं श्रमिकों के साथ-साथ आम आदमी को लाभान्वित करना होगा. नए वर्ष 2018 में सरकार को एक ओर घरेलू मांग के निर्माण के लिए उद्योग-कारोबार को प्रोत्साहन देना होगा, वहीं दूसरी ओर अर्थव्यवस्था में सुधार के लिए निजी निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए विशेष प्रयास करने होंगे. देश में रोजगार और स्वरोजगार बढ़ाने के अधिक प्रयास करने होंगे. वर्ष 2018 की शुरुआत से ही देश में लोगों को रोजगार देकर उनकी क्रय शक्ति बढ़ाने के लिए बड़े पैमाने पर सड़क, आवास, बंदरगाह, विद्युत निर्माण आदि क्षेत्रों की कार्यरत योजनाओं को शीघ्र पूरा करने का अभियान शुरू किया जाना होगा. ग्रामीण क्षेत्र की योजनाओं पर जहां अधिक आवंटन जरूरी होगा, वहीं किसानों के लिए कर्ज भुगतान अवधि और ब्याज दर में ढील देनी होगी. मनरेगा पर आवंटन बढ़ाना होगा. चूँकि कृषि निर्यात वर्ष 2017 में घटकर महज 33 अरब डॉलर रह गया है, अतएव पर्याप्त मात्रा में घरेलू उपज का निर्यात किए जाने के लिए किसानों को निर्यात प्रोत्साहन दिए जाने होंगे.
वर्ष 2018 में उद्योग-कारोबार के लिए जीएसटी को और सरल बनाना होगा. टैक्स रिफंड के लिए मैन्युअल रिकॉर्ड और प्रक्रिया की बड़ी खामी को दूर करना होगा. वास्तविक व्यवहार में आ रही जीएसटी दरोें से संबंधित कई उलझनों का निराकरण किया जाना होगा. सरकार और कारोबारियों के बीच तालमेल व सहयोग बढ़ाना जरूरी होगा. जीएसटी की स्लैब चार से घटाकर तीन किए जाने पर विचार मंथन अवश्य होना चाहिए. सरकार को सुनिश्चित करना होगा कि आयकर एवं प्रत्यक्ष कर पर गठित नया कार्यबल तय छह माह में अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दे. सरकार एक प्रभावी प्रत्यक्ष कर प्रणाली के तहत प्रत्यक्ष कर व्यवस्था सरल और पारदर्शी बनाएगी. नए आयकर कानून में कर की प्रभावी दर को घटाने, प्रशासनिक बोझ को आसान बनाने और विवादास्पद मसलों पर मुकदमेबाजी घटाने पर ध्यान दिया जाना होगा. इन सबके साथ-साथ वर्ष 2018 में अब बेनामी संपत्ति पर जोरदार चोट करनी होगी, काले धन का बकाया इलाज पूरा करना होगा. अर्थव्यवस्था को डिजिटल करने की रफ्तार तेज करनी होगी. हम आशा करें कि सरकार वर्ष 2018 में चौतरफा कदम आगे बढ़ाएगी, जिससे देश 7.5 फीसद विकास दर का लक्ष्य प्राप्त कर सकेगा.
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