आर्थिक सुधार : कल्याणकारी तकाजा जरूरी

Last Updated 21 Dec 2017 06:30:59 AM IST

गुजरात और हिमाचल प्रदेश में भाजपा की जीत के बाद अर्थव्यवस्था और बाजार परिदृश्य देखें तो कई बातें उभर कर दिखाई दे रही हैं.


आर्थिक सुधार : कल्याणकारी तकाजा जरूरी

निश्चित रूप से अब सरकार सुधार के एजेंडे पर तेजी से आगे बढ़ेगी. केंद्र सरकार सुधार के एजेंडे के तहत श्रमिकों और किसानों के साथ-साथ आम आदमी को लाभान्वित करने के लिए कल्याणकारी आर्थिक सुधारों की डगर पर तेजी से आगे बढ़ेगी. सरकार द्वारा संसद में पारित कराए गए आर्थिक सुधारों को कारगर तरीके से लागू किया जाएगा. सरकार द्वारा रोजगार बढ़ाने वाली विभिन्न योजनाओं और बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को शीघ्रतापूर्वक कार्यान्वित किया जाएगा. इनके साथ-साथ सरकार वित्तीय सुधारों की डगर पर भी आगे बढ़ेगी. सरकार ऋण और जीडीपी के ऊंचे अनुपात को कम करने के साथ-साथ बैंकिंग सुधारों के अधूरे एजेंडा को भी पूरा करने को प्राथमिकता देते हुए दिखाई देगी.

इसमें कोई दोमत नहीं हैं कि चुनाव परिणामों के बाद शेयर बाजार में उछाल आया है. निवेशकों और कारोबारियों का विश्वास बढ़ा है. ऐसे में अब कारोबार परिदृश्य में और सुधार दिखाई देगा. पिछले दिनों भारत की अर्थव्यवस्था के संबंध में प्रकाशित हुई राष्ट्रीय और अन्तरराष्ट्रीय अध्ययन रिपरेट्स भारतीय अर्थव्यवस्था में सुधार का परिदृश्य प्रस्तुत करते हुए दिखाई दे रही हैं. बीती चौदह दिसम्बर को प्रकाशित वैश्विक वित्तीय संगठन स्टैंर्डड चार्टर्ड की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत के आर्थिक परिदृश्य में सुधार दिखाई दे रहा है. वर्ष 2017 में भारत की विकास दर 6.5 फीसदी रहेगी जबकि वर्ष 2018 में यह बढ़कर 7.2 फीसदी हो जाएगी. इस रिपोर्ट में अर्थव्यवस्था में सुधार के लिए तीन बड़े कारण बताए गए हैं. नई अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था (जीएसटी) के तहत दी गई नई सुविधाएं, बैंकों की बैलैंस शीट के मसलों को सुलझाने के लिए सक्रिय कदम तथा नोटबंदी के बाद नोटों की आपूर्ति में सुधार से कारोबारी गतिविधियों में वृद्धि.

इसी तरह ख्याति प्राप्त वैश्विक वित्तीय सेवा कंपनी मार्गन स्टेनली की रिपोर्ट के अनुसार भारत की अर्थव्यवस्था में सुधार के अच्छे संकेत मिल रहे हैं. परिणामस्वरूप देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर वर्ष 2017 की  6.4 फीसद की तुलना में 2018 में 7.5 फीसदी और 2019 में 7.7 फीसदी तक जाने की संभावना है. रिपोर्ट में कहा गया है कि नोटबंदी और जीएसटी के बाद अब इनसे लाभ का परिदृश्य उभर रहा है. बैंक ऑफ अमेरिका मेरियल लिंच द्वारा प्रकाशित इस रिपोर्ट में कहा गया है कि जीडीपी के मामले में भारतीय अर्थव्यवस्था तेजी से आगे बढ़ रही है.

नये चुनाव परिणामों का एक आर्थिक परिदृश्य यह भी है कि उद्योग और कारोबार से संबंधित लागों ने व्यक्तिगत आर्थिक मुश्किलों पर कम ध्यान देते हुए देश के रूप से नोटबंदी और जीएसटी की परेशानियों के बावजूद अपने आर्थिक हितों को अधिक महत्व दिया. ऐसे में वर्ष 2017 की शुरुआत में अर्थव्यवस्था को बदलाव की जो चुनौतियां झेलनी पड़ी थीं, वे दृश्य  गुजरते हुए दिखाई दे रहे हैं, और आगे लगातार बेहतरी के आसार दिख रहे हैं. इससे देश की क्रेडिट रेटिंग में और सुधार आएगा. उल्लेखनीय है कि पिछले दो-तीन महीनों में देश की क्रेडिट रेटिंग बढ़ने और कारोबार आसान बनाने से संबंधित विभिन्न अध्ययन रिपोटरे में कहा गया है कि आर्थिक मुश्किलों के बाद देश की कारोबार क्रेडिट रेटिंग बढ़ रही है.

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) द्वारा प्रकाशित र्वल्ड इकनॉमिक आउटलुक रिपोर्ट 2017, विश्व बैंक की ‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस’ रैंकिंग 2017, ख्यात वैश्विक संगठन ग्लोबल रिटेल डवलपमेंट इंडेक्स (जीआरडीआई) 2017, विविख्यात ब्रिटिश ब्रोकरेज हांगकांग एंड शंघाई बैंक कॉरपोरेशन (एचएसबीसी) अध्ययन रिपोर्ट 2017 तथा अंतरराष्ट्रीय क्रेडिट रेटिंग एजेंसी ‘मूडीज’ ने जो रिपरेट्स प्रकाशित की हैं, वे भी संकेत दे रही हैं कि वर्ष 2017 में निवेश और कारोबार के मामले में भारत का परिदृश्य बदला है. सबसे सकारात्मक पहलू यह है कि सरकार राजकोषीय अनुशासन बनाए रखने में सफल रही है. यद्यपि नये विधानसभा चुनाव परिणामों से भारत के निवेश और आर्थिक सुधारों की दिशा और प्रगति पर महर लगी है. लेकिन आर्थिक सुधार की डगर पर अभी बहुत आगे बढ़ना है. अभी विकास से संबंधित विभिन्न कमियों और चुनौतियों पर ध्यान दिया जाना जरूरी है. सबसे ज्यादा जोर रोजगार बढ़ाने वाली योजनाओं के क्रियान्वयन पर देना होगा. औद्योगिक उत्पादन के मोचरे पर उभरीं चिंताओं पर ध्यान देना होगा.

हाल में 12 दिसम्बर को प्रकाशित नये आंकड़ों के अनुसार औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) अक्टूबर, 2017 में महज 2.2 फीसद बढ़ा जबकि पिछले वर्ष अक्टूबर में इसमें 4.1 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई थी. ऐसे में अर्थव्यवस्था को ऊंचाई देने के लिए मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की अहम भूमिका बनाई जानी होगी. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ‘मेक इन इंडिया’ योजना को गतिशील करना होगा. उन ढांचागत सुधारों पर भी जोर देना होगा जिनसे निर्यातोन्मुखी विनिर्माण क्षेत्र को गति मिल सके. महंगाई पर नियंत्रण जरूरी होगा. खुदरा महंगाई नवम्बर, 2017 में 15 महीने के शीर्ष स्तर पर 4.88 फीसदी पाई गई. कृषि क्षेत्र की चिंताओं पर विशेष ध्यान दिया जाना होगा. ग्रामीण भारत में खुशहाली के लिए अधिक सुधार लागू करने होंगे. ऊंचे उत्पादन स्तर पर ध्यान देना होगा.

शैक्षणिक दृष्टि से पीछे रहने वाले युवाओं के विकास पर ध्यान केंद्रित करना होगा और उन्हें विकासोन्मुख प्रशिक्षण मुहैया कराना होगा.  साथ ही, गांवों में काफी संख्या में जो गरीब, अशिक्षित और अर्धशिक्षित लोग हैं, अर्थपूर्ण रोजगार देने के लिए उन्हें निम्न तकनीक विनिर्माण में लगाना होगा. यह भी महत्वपूर्ण है कि निर्यातकों के लिए सरकार ने बीती पांच दिसम्बर को करीब 8450 करोड़ रुपये के जो निर्यात प्रोत्साहन घोषित किए हैं, उनका लाभ सरलतापूर्वक निर्यातकों तक पहुंचाया जाए. आशा करें कि गुजरात और हिमाचल प्रदेश के चुनाव परिणामों के बाद केंद्र सरकार एक ओर कारोबारी विश्वास बढ़ाने के प्रयास तेज करेगी तो वहीं दूसरी ओर कल्याणकारी आर्थिक सुधारों से देश के करोंड़ों सामान्य लोगों की मुट्ठी में विकास के अधिक लाभ भी पहुंचाएगी ताकि वे उपयोगी मानव संसाधन साबित हो सकें.

जयंतीलाल भंडारी


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