क्रिकेट : कीवियों के शिकार के बाद अब..

Last Updated 10 Nov 2017 04:27:02 AM IST

भारतीय कप्तान विराट कोहली का सितारा आजकल बुलंदी पर है. इस कारण सफलताएं भी उनके नाम के साथ जुड़ती चली जा रहीं हैं.


क्रिकेट : कीवियों के शिकार के बाद अब..

अब वह न्यूजीलैंड के खिलाफ पहली टी-20 सीरीज जीतने वाले भारतीय कप्तान भी बन गए हैं. इंद्र देवता की मेहरबानी से पिछली ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टी-20 सीरीज में एक-एक से बराबरी रह गई थी. इस सीरीज के तीसरे मैच में भी बारिश के कारण काफी समय तक लगता रहा कि मैच शायद ही हो पाए. पर आखिर में आठ-आठ ओवर के मैच में भारत ने छह रन से विजय पाकर सीरीज पर कब्जा जमा लिया. विराट कोहली और रवि शास्त्री का कप्तान और कोच का तालमेल बनने के बाद से भारतीय टीम बुलंदी की तरफ बढ़ रही है.
टीम टेस्ट रैंकिंग में नंबर एक पर है, वनडे में दक्षिण अफ्रीका के बराबर 120 रेटिंग अंक लेकर दूसरे स्थान पर है. पर विराट और शास्त्री की जोड़ी टी-20 में पांचवीं रैंकिंग को सुधार दे तो भारत का विश्व क्रिकेट पर दबदबा बन सकता है. हां, इतना जरूर है कि न्यूजीलैंड टीम इंडिया की अच्छे से परीक्षा लेने में सफल रही. वह अनुकूल स्थितियों में खेलने पर हम पर भारी पड़ सकती है, इस बात का उसने अहसास जरूर करा दिया है. भारतीय टीम तीनों फाम्रेट में संतुलित नजर आती है. इस टीम में कोहली का आगे बढ़कर नेतृत्व, रोहित शर्मा और शिखर धवन की दमदार ओपनिंग जोड़ी, भुवनेश्वर कुमार और जसप्रीत बुमराह की पेस जोड़ी के साथ हार्दिक पांडय़ा का ऑलराउंड तड़का विजेता का स्वरूप प्रदान करता है. रोहित और शिखर की जोड़ी को हम दुनिया की बेहतरीन ओपनिंग जोड़ियों में शुमार कर सकते हैं. वहीं बुमराह और भुवनेश्वर ने डेथ ओवर्स में बल्लेबाजों को बांधने की कला विकसित करके दुनियाभर के बल्लेबाजों पर कहर बरपाया हुआ है. वहीं पांडय़ा के रूप में देश को ऐसा पहला पेस गेंदबाजी वाला ऑलराउंडर मिला है, जिसमें विशेषज्ञों को दूसरा कपिल देव दिखने लगा है.

इस टीम की मजबूती को इससे समझा जा सकता है कि कुछ समय पहले तक सभी प्रारूपों में देश के सर्वश्रेष्ठ स्पिनर माने जाने वाले रविचंद्रन अिन और रविंद्र जडेजा पिछली तीन छोटे प्रारूप की सीरीज के लिए टीम में जगह तक नहीं पा सके हैं. यजुवेंद्र चाहल, अक्षर पटेल और कुलदीप यादव  स्पिन अटैक की जिम्मेदारी को बखूबी संभाला हुआ है. यही नहीं देश के सर्वश्रेष्ठ पेस गेंदबाज माने जाने वाले उमेश यादव और मोहम्मद शमी भी छोटे प्रारूप  की टीम में स्थान नहीं बना सके हैं. मौजूदा समय में टीम प्रबंधन के पास इतने गेंदबाज हैं कि किसी के भी चोटिल होने पर उसे चिंतित होने की जरूरत नहीं रह गई है. यह जरूर है कि स्पिन अटैक में जडेजा के नाम पर वनडे और टी-20 मैचों में विचार नहीं करने वाला थोड़ा हैरानी वाला फैसला लगा. जडेजा नपे-तुले गेंदबाज हमेशा रहे हैं पर पिछले कुछ समय से विकेट भी लेने लगे थे, इसलिए उन्हें नहीं खिलाना थोड़ा खलता है. विराट सेना ने भले ही एक के बाद एक सफलताएं प्राप्त की हैं. पर इस टीम में कुछ खामियां भी हैं. धोनी के चयन को वनडे टीम में में सही ठहराया जा सकता है. लेकिन टी-20 क्रिकेट के बारे में ऐसा नहीं कहा जा सकता है. भारत राजकोट टी-20 मैच में धोनी के कमजोर प्रदर्शन की वजह से लड़ाई में आ ही नहीं सका. यह सही है कि कप्तान कोहली मजबूती से धोनी के साथ खड़े हैं. पर ध्यान देने वाली बात यह है कि टी-20 में हम 2020 में होने वाले टी-20 विश्व कप को ध्यान में रखकर हम टीम तैयार कर रहे हैं. उस समय तक धोनी 38 साल को हो जाएंगे. वैसे भी उनका 2019 के आईसीसी विश्व कप के बाद खेलना मुश्किल है. इस स्थिति में किसी युवा विकेटकीपर को तैयार किया जा सकता है. इसके लिए ईशान किशन और ऋषभ पंत को अभी से तैयार किया जा सकता है. टीम इंडिया ने पिछले डेढ़-दो साल में दुनिया की लगभग हर टीम को फतह किया है. पर यह अधिकांश जीतें घर में या उपमहाद्वीप में हासिल की गई हैं.
भारत को श्रीलंका से सीरीज खेलने के बाद इस साल ही दक्षिण अफ्रीका जाकर उनसे सीरीज खेलनी है. सही मायनों में विराट सेना की ताकत का इसी से अंदाजा लगेगा. इसके बाद विश्व कप से पहले भारत को इंग्लैंड में भी सीरीज खेलनी है. वनडे और टी-20 टीम में लंबे समय तक चौथे और पांचवें नंबर पर युवराज सिंह और सुरेश रैना बल्लेबाजी करते रहे. इन दोनों के बाद तमाम बल्लेबाजों को आजमाया जा चुका है. लेकिन कोई भी संतुष्ट करने में सफल नहीं रहा है. इन खामियों को द. अफ्रीका दौरे से पहले दूर करने की जरूरत है.

मनोज चतुर्वेदी


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