क्रिकेट : बदलाव से बदलेगी तस्वीर!
किकेट के नियमों में बदलाव होना कोई नई बात नहीं है. खेल को दिलचस्प और सुरक्षित बनाने के लिए नियमों में बदलाव होता रहा है.
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इस बार भी किए गए बदलावों में एक को छोड़कर बाकी सबकुछ सामान्य है. अंपायर को फुटबाल और हॉकी खेल की तरह खिलाड़ी को लाल कार्ड दिखाकर मैदान से बाहर निकालने का अधिकार देकर इस जेंटलमेंस गेम की आत्मा को ही मार दिया गया है. नये नियम के मुताबिक मैदान में बेकाबू व्यवहार करने वाले खिलाड़ियों को अंपायर लाल कार्ड दिखाकर पूरे मैच के लिए बाहर बैठा सकता है. इसमें अंपायर को धमकाना, गलत ढंग से शारीरिक संपर्क करना या हिंसक व्यवहार शामिल होगा. यह सभी आईसीसी नियमों में लेवल चार के अपराध हैं. लेवल दो और तीन के अपराधों को पहले की तरह आईसीसी आचार संहिता के हिसाब से देखा जाता रहेगा.
किसी भी खेल में अनुशासन का महत्त्व हमेशा रहा है और क्रिकेट में तो इसके खास मायने हमेशा रहे हैं. पर अंपायर को इतने अधिकार दिए जाने पर वह निरंकुश भी हो सकता है. इस वजह से संभव है कि आगे कभी इस संबंध में अंपायर के फैसले की समीक्षा का विकल्प तलाशने की जरूरत पड़ जाए. वैसे भी आप देखें तो फुटबाल और हॉकी में लाल और पीला कार्ड दिखाने की व्यवस्था होने के बाद मैदान में हिंसक घटनाओं में कमी तो नहीं आई है. इन खेलों के मुकाबले क्रिकेट में इस तरह की हिंसक घटनाएं बहुत ही कम देखने को मिलती हैं. इसलिए मुझे लगता है कि क्रिकेट की आत्मा को मारने वाले इस नियम की अभी तो कोई जरूरत महसूस नहीं की जा रही थी.
हां इतना जरूर है कि आक्रामक स्वभाव वाले क्रिकेटरों को खेलते समय दिमाग थोड़ा ठंडा रखना होगा. आईसीसी द्वारा 28 सितम्बर 2017 से लागू किए जाने वाले कुछ नियम ऐसे हैं, जिनका बल्लेबाजों को फायदा मिलेगा, कुछ नियम खेल में एकरूपता लाने वाले हैं. पॉपिंग क्रीज के अंदर शरीर को कोई हिस्सा और बल्ला हवा में भी होने पर बल्लेबाज को आउट नहीं देने का बल्लेबाजों को बहुत लाभ मिलेगा. आप अक्सर देखते हैं कि कोई बल्लेबाज आगे निकलकर खेलता है और कई बार गेंद खेलने से चूकने पर उसका बल्ला या शरीर का हिस्सा हवा में पॉपिंग क्रीज के अंदर होने पर भी वह आउट हो जाता है.
ऐसी ही स्थिति कई बार रन लेने पर भी होती है. लेकिन अब बल्ला या शरीर का हिस्सा क्रीज के अंदर हवा में होने पर भी वह आउट होने से बच जाएगा. वहीं बल्ले संबंधी नियम में पहले ही थोड़े बदलाव हो चुके हैं और अब हुआ बदलाव भी स्वागत योग्य है. नये नियम के मुताबिक बल्ले की लंबाई और चौड़ाई पर पहले की तरह पाबंदी जारी रहेगी. अब बल्ले की ऐज की मोटाई 40 मिलीमीटर और गहराई 67 मिलीमीटर तय कर दी गई है. बल्लों को लेकर आईसीसी नियमों में स्पष्टता की कमी की वजह से से डेनिस लिली एल्यूमीनियम के बल्ले से खेलने लगे थे. मैथ्यू हेडन ने तो अजब तरह की बल्ला बनवा लिया था. इसलिए बल्ले की लंबाई और चौड़ाई पहले ही निर्धारित कर दी गई थी.
अब बल्ले के ऐज की मोटाई और बल्ले की गहराई का नियम लागू हो जाने पर भारी बल्ले से खेलने वाले वॉर्नर और स्मिथ जैसे बल्लेबाजों को इसका नुकसान हो सकता है. वॉर्नर के बारे में कहा जाता है कि वह 1.24 किलो वजन वाले बल्ले से खेलते हैं. ऐसे कई अन्य खिलाड़ियों को इस नियम से नुकसान हो सकता है. लेकिन बल्लों को लेकर एकरूपता लाना भी जरूरी था. वहीं अंपायर को यह अधिकार भी दिया गया है कि यदि कोई गेंदबाज जानबूझकर फ्रंट फुट पर नो बॉल डालता है तो वह उसे गेंदबाजी करने से रोक सकता है. नये नियम के मुताबिक फील्डर को सीमी रेखा पर कैच को मैदान के अंदर ही पकड़ना होगा. कई बार फील्डर सीमा रेखा से बाहर जा चुकी गेंद को भी हवा में उछलकर पहले हाथ से अंदर उछालता है और फिर अंदर आकर कैच पकड़ लेता है. लेकिन अब फील्डर को हवा में उछलकर भी कैच सीमा रेखा के अंदर ही पकड़ना होगा.
इसी तरह टी-20 क्रिकेट में भी डीआरएस का इस्तेमाल करना स्वागतयोग्य कदम है. लेकिन टेस्ट क्रिकेट में 80 ओवर के बाद टीमों को दो और रेफरल अब नहीं मिल सकेंगे. टी-20 में यदि किसी मैच में 10 या उससे कम ओवर फेंके जाने हैं, तब भी गेंदबाज को दो ओवर कम-से-कम फेंकने को मिलेंगे. नियम 28 सितम्बर के बाद शुरू होने वाली सीरीजों में लागू होंगे.
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