कुछ देशों ने पहले भारत पर कृषि बाजार खोलने का दबाव बनाया, अब देश मजबूती से खड़ा: शिवराज सिंह चौहान
केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chauhan) ने शनिवार को अमेरिका का नाम लिए बिना कहा कि कुछ देशों ने भारत पर अपना कृषि बाजार खोलने का दबाव बनाया था लेकिन आज देश मजबूती से खड़ा है और वैश्विक मंच पर पूरे आत्मविश्वास के साथ अपनी बात रख रहा है।
![]() केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान |
चौहान ने अपने लोकसभा क्षेत्र विदिशा में उन्नत खेती पर एक संगोष्ठी को संबोधित करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी कहते हैं राष्ट्रहित सर्वोपरि है और किसानों के हितों से समझौता नहीं किया जाएगा।
केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा, “कुछ देश हम पर कृषि बाजार को पूरी तरह से खोलने का दबाव बना रहे थे लेकिन आज हम गर्व से कह सकते हैं कि भारत दुनिया से दृढ़ता से अपनी बात करने की स्थिति में है।”
उन्होंने कहा, “एक समय था जब हमें अमेरिका से कम गुणवत्ता वाला खरीदने के लिए मजबूर होना पड़ता था लेकिन आज हमारे खाद्य भंडार प्रचुर मात्रा में हैं।”
मंत्री ने कहा कि भारत ने इस वर्ष कृषि में रिकॉर्ड 3.7 प्रतिशत की वृद्धि हासिल की, जिसके परिणामस्वरूप गेहूं, चावल और मक्का का रिकॉर्ड उत्पादन हुआ, जिससे देश का खाद्य भंडार लबालब भर गया है।
मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि भारत पर ‘टैरिफ’ लगाने के प्रयासों से अर्थव्यवस्था में व्यवधान आने की आशंका थी लेकिन देश ने केवल तीन महीनों में ही उच्चतम जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) वृद्धि हासिल कर ली, जिसमें कृषि का सबसे बड़ा योगदान रहा।
केंद्रीय मंत्री ने किसानों के लिए छह-आयामी रणनीति की रूपरेखा प्रस्तुत करते हुए किसानों से पारंपरिक तरीकों से प्रेरित विविधीकरण प्रथाओं को अपनाने का भी आग्रह किया।
इस छह-आयामी रणनीति में अधिक उत्पादन, कम लागत, उचित मूल्य निर्धारण, नुकसान की भरपाई, फसल विविधीकरण और प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देना शामिल है।
चौहान ने विज्ञान को खेती से जोड़ने के मुद्दे पर कहा कि सरकार ने वैज्ञानिकों की 2,170 टीमों को सीधे किसानों के खेतों में तैनात किया है।
उन्होंने कहा, “आगामी रबी सत्र के लिए वैज्ञानिक टीमें तीन अक्टूबर से खेतों का दौरा करेंगी और नई तकनीकों और उन्नत खेती के तरीकों पर जानकारी साझा करेंगी, जिसका उद्देश्य उत्पादकता बढ़ाना और लागत कम करना है।”
केंद्रीय मंत्री ने नागरिकों से स्वदेशी प्रथाओं को अपनाने, विदेशी उत्पादों पर खर्च करने के बजाय स्थानीय रोजगार और वाणिज्य को बढ़ावा देने के लिए कपड़े, भोजन व दैनिक आवश्यक वस्तुओं सहित घरेलू रूप से उत्पादित सामान खरीदने का आग्रह किया।
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