भारतीयों का विदेश में कालाधन 490 अरब डालर
संसद की एक समिति द्वारा सोमवार को प्रस्तुत रपट के अनुसार भारत के नागरिकों द्वारा विदेशों में जमा अघोषित धन-संपत्ति 1980 से 2010 के विभिन्न काल खंडों में 216.48 अरब डालर से 490 अरब डालर के बीच रहने का अनुमान है।
भारतीयों का विदेश में कालाधन 490 अरब डालर |
यह रपट देश के तीन प्रतिष्ठित आर्थिक और वित्तीय शोध संस्थानों, राष्ट्रीय लोक वित्त एवं नीति संस्थान (एनआईपीएफपी), राष्ट्रीय व्यावहारिक आर्थिक शोध परिषद (एनसीएईआर) और राष्ट्रीय वित्तीय प्रबंध संस्थान (एनआईएफएम) के अध्ययनों के आधार पर रखी गई है। कालेधन पर राजनीतिक विवाद के बीच मार्च 2011 में तत्कालीन सरकार ने इस तीनों संस्थाओं को देश और देश के बार भारतीयों के कालेधन का अध्ययन/सव्रेक्षण करने की जिम्मेदारी दी थी।
संसदीय समिति की ‘देश के अंदर और बाहर अघोषित आय/संपत्ति की स्थिति-एक आलोचनात्मक विश्लेषण’ शीषर्क इस रपट में कहा गया है कि कमाए या जमा कराए गए कालेधन का कोई विसनीय हिसाब-किताब नहीं है। इसके आकलन के लिए कोई सर्वमान्य पद्धति भी नहीं है। इस बारे में ‘सभी अनुमान बुनियादी मान्यताओं और उसमें किए गए समायोजनों की बारीकियों पर निर्भर करते हैं।’ संसदीय समिति की रपट में कहा गया है, ‘मुख्य आर्थिक सलाहकार का विचार है कि इन तीनों रपटों के आंकड़ों के आधार पर अघोषित संपत्ति का कोई एक साझा अनुमान निकालने की गुंजाइश नहीं है।’
कांग्रेस के एम वीरप्पा मोइली की अध्यक्षता वाली इस स्थायी समिति ने 16वीं लोकसभा भंग होने से पहले गत 28 मार्च को ही लोकसभा अध्यक्ष को अपनी रपट सौंप दी थी। इसके बाद आम चुनाव हुए और 17वीं लोकसभा का गठन हुआ है। रपट में कहा गया है कि बहुप्रतीक्षित प्रत्यक्ष कर संहिता को जल्द से जल्द तैयार कर उसे संसद में रखा जाए ताकि प्रत्यक्ष कर कानूनों को सरल और तर्कसंगत बनाया जा सके।
रपट का निष्कर्ष : रपट तैयार करने वाले तीनों संस्थानों का निष्कर्ष है कि अचल संपत्ति, खनन, औषधि, पान मसाला, गुटका, सिगरेट-तंबाकू, सर्राफा, जिंस, फिल्म और शिक्षा के कारोबार में काली कमाई या अघोषित धन का लेनदेन अपेक्षाकृत अधिक है।
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