बढ़ रहा है चुनाव प्रचार सामग्री का बाजार, डेढ़ हजार करोड़ का कारोबार
चुनाव प्रचार के खर्च की निगरानी को लेकर चुनाव आयोग का रुख भले ही पिछले कुछ चुनाव से सख्त दिखाई देता हो, लेकिन समूचे देश में चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशी चुनाव प्रचार सामग्री पर दिल खोल कर खर्च करते हैं।
बढ़ रहा है चुनाव प्रचार सामग्री का बाजार |
एक अनुमान के अनुसार देश भर में लोकसभा चुनाव के दौरान करीब डेढ़ हजार करोड़ का कारोबार केवल चुनाव प्रचार सामग्री से होता है।
दिल्ली सहित देश के महानगरों में लगभग एक हजार बड़े निर्माता हैं, जिनमें से अनेक भारत में ही नहीं बल्कि विदेश में होने वाले चुनावों में भी प्रचार सामग्री आपूर्ति करते हैं। केवल राजधानी दिल्ली में 100 से अधिक निर्माता व कारोबारी हैं।
चुनाव प्रचार के लिए सोशल मीडिया के बढ़ते इस्तेमाल से पहली नजर में ऐसा लगता है कि प्रचार सामग्री का बाजार मंदा पड़ जाएगा, लेकिन बाजार की रीति इसके उलट दिखाई पड़ती है। चुनाव प्रचार सामग्री के बाजार पर इसका कोई असर दिखाई नहीं देता। इस बाजार का आकार लगातार बढ़ रहा है।
यदि केवल लोकसभा चुनाव का आकलन किया जाए, तो प्रत्येक लोकसभा सीट पर औसतन दो-ढाई करोड़ रुपये का कारोबार केवल परंपरागत चुनाव सामग्री से होता है। इस सामग्री में पार्टियों के झंडे, टोपियां, मफलर, स्कार्फ, पार्टियों के रंग व चुनाव चिह्न से संबंधित साड़ियां, टी-शर्ट, रूमाल, बैग आदि हैं। पिछले एक दशक में पार्टियों के निशान लगी गांधी टोपियों तथा स्कार्फ की मांग निरंतर बढ़ रही है।
देश के अनेक लोकसभा क्षेत्रों तथा अफ्रीका के कई देशों में चुनाव सामग्री की आपूर्ति करने वाले कारोबारी गौरव बंसल बताते हैं कि चुनाव भले ही पांच वर्ष के अंतराल में आते हैं, लेकिन उनका कारोबार तथा सामग्री तैयार करने का काम निरंतर चलता रहता है।
उन्होंने बताया कि चुनाव की घोषणा से पहले ही वह आपूर्ति का अंदाजा लगाकर अपना स्टॉक तैयार कर लेते हैं। चुनाव की घोषणा से कुछ समय पूर्व ही चुनाव सामग्री के आर्डर पार्टियों से मिलने लगते हैं और कई प्रत्याशी तो अपने टिकट केेलान होने से पूर्व ही अपना आर्डर दे देते हैं। एक अन्य कारोबारी मनोज कुमार बताते हैं कि कुछ पार्टियां व उम्मीदवार अपने लिए विशेष सामग्री तैयार करने की मांग करते हैं और इसके लिए अधिक कीमत देने को भी तैयार रहते हैं।
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