वित्त मंत्री जेटली का बयान, विलय से बैंकिंग क्षेत्र को मिली मजबूती

Last Updated 04 Jan 2019 01:39:19 PM IST

सरकार ने कहा है कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के विलय का उसका प्रयोग सफल रहा है और आश्वासन दिया कि इस प्रक्रिया में यह सुनिश्चित किया जाएगा कि इसके कारण किसी भी पक्ष को कोई नुकसान नहीं होने दिया जाएगा।


वित्त मंत्री अरुण जेटली (फाइल फोटो)

वित्त मंत्री अरुण जेटली ने शुक्रवार को लोकसभा में एक पूरक प्रश्न के जवाब में कहा कि देश में सार्वजनिक क्षेत्र के 21 बैंक हैं और इनमें से 11 बैंक ऋण देने की स्थिति में नहीं हैं।

इस स्थिति के कारण ये बैंक प्रतिस्पर्धा में खड़े नहीं हो पा रहे हैं और अपनी स्थिति में सुधार के लिए किसी तरह के कदम उठाना उनके लिए संभव नहीं थे इसलिए कमजोर बैंकों का मजबूत बैंकों में विलय का निर्णय लिया गया।

इस संबंध में उन्होंने हाल में बैंक ऑफ बड़ोदा के साथ दो अन्य बैंकों के विलय का उदाहरण दिया और कहा कि इनमें एक बैंक की स्थिति बहुत कमजोर हो गयी थी। उसका विलय दो मजबूत बैंकों के साथ किया गया है और विलय के बाद बैंक ऑफ बडोदा देश का दूसरा प्रमुख बैंक बन जाएगा। उन्होंने आश्वासन दिया कि विलय की प्रक्रिया में किसी की भी नौकरी नहीं जाएगी और ना ही किसी कर्मचारी के जोन को बदला जाएगा।

वित्त मंत्री बैंकों की गैर निष्पादित राशि बढने की वजह बताते हुए कहा कि 2008 से 2014 के बीच दी गयी ऋण की बहुत बड़ी राशि छिपाई गई थी। इसके कारण बैंकों में एनपीए ढाई लाख करोड रुपए से बढ़कर साढे आठ लाख करोड़ रुपए पहुंचा है। विरासत में जो स्थिति मिली थी उसके कारण बैंकों की सेहत बहुत खराब हुई लेकिन धीरे धीरे उसमें सुधार की प्रक्रिया शुरू की गयी आज बैंकिंग क्षेा में सुधार देखने को मिल रहा है।

जेटली ने कहा कि बैंकिंग सिस्टम में पैसा वापस आना चाहिए इसके लिए भी सरकार ने जरूरी उपाय किए हैं और उससे बैंकिंग प्रणाली में पैसे की वसूली तेज हुई है। हर तीसरे महीने इस दिशा में समीक्षा की जा रही है और उसमें पाया गया है कि वसूली की स्थिति में सुधार हुआ है।

जेटली ने कहा कि बैंकिंग सिस्टम में पैसा वापस आना चाहिए इसके लिए भी सरकार ने जरूरी उपाय किए हैं और उससे बैंकिंग प्रणाली में पैसे की वसूली तेज हुई है। हर तीसरे महीने इस दिशा में समीक्षा की जा रही है और उसमें पाया गया है कि वसूली की स्थिति में सुधार हुआ है।

एक अन्य सवाल पर उन्होंने कहा कि बैंकिंग क्षेत्र में निगरानी प्रक्रिया को भी मजबूत बनाया गया है और इसके लिए भारत सरकार ने जो कदम उठाए हैं उसकी पूरी दुनिया में सरहाना हो रही है। उन्होंने कहा कि पहले एक ही व्यक्ति को इस तरह के निर्णय लेने पड़ते थे लेकिन उनकी सरकार ने इसमें बदलाव किया है और छह लोगों की एक समिति बनायी है। समिति में तीन लोग रिजर्व बैंक से होते हैं और तीन विशेषज्ञ बाहर से होते हैं। समिति की सिफारिश के आधार पर अब बैंकिंग पण्राली को मजबूत करने केलिए कदम उठाए जा रहे हैं।

रिवर्ज बैंक के पास मौजूद सुरक्षित राशि के सवाल पर उन्होंने कहा कि यह राशि विपरीत स्थिति से निपटने के लिए होती है और इस समय बैंक के पास यह राशि अतिरिक्त है।

आरबीआई के पास कितनी राशि सुरक्षित होनी चाहिए इसके लिए समय समय पर समितियां बनायी जाती है। उन्होंने कहा कि यह राशि कितनी हो इसकी 1997, 2005 और 2013 में समीक्षा की गयी। उनकी सरकार ने भी अब रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर विमल जालान के नेतृत्व में एक समिति गठित की है और उसके आधार पर तय किया जाएगा कि यह राशि कितनी होनी चाहिए।

वार्ता
नई दिल्ली


Post You May Like..!!

Latest News

Entertainment