विश्व शांति की जरूरत

Last Updated 24 Jun 2025 03:06:57 PM IST

जब इजरायल ने ईरान पर हमला शुरू किया तो अमरीका ने न सिर्फ दूरी बनाए रखी बल्कि राष्ट्रपति ट्रंप ने दो हफ्तों बाद निर्णय लेने का एलान किया। मगर अचानक ईरान के तीन परमाणु केंद्रों पर रातों-रात बमबारी करते हुए युद्ध में सीधा कूद पड़ा।


विश्व शांति की जरूरत

हालांकि उन्होंने पहले भी संकेत दिए थे। जब सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ में लिखा था-सबको तेहरान को खाली कर देना चाहिए। ट्रंप ने खुद हमलों की जानकारी देते हुए कहा, परमाणु केंद्र पूरी तरह नष्ट कर दिए गए हैं। साथ ही ईरान को धमकी दी कि यदि उसने जवाबी कार्रवाई की तो उसके खिलाफ अधिक हमले किये जा सकते हैं।

अमेरिका का यह ऑपरेशन मिड नाइट हैमर रहा, जिसमें फोडरे व नतांज पर हमला किया गया। नौसेना की पनडुब्बी द्वारा क्रूज मिसाइल का प्रयोग करते हुए इस्फहान पर निशाना बनाया गया। ट्रंप के जी7 की बैठक बीच में छोड़ कर लौटने को भी लोगों ने आशंका भरी नजरों से देखा था। हालांकि पेंटागन समेत अमेरिकी सेंट्रल कमांड, राष्ट्रपति के सहयोगी व सलाहकार, प्रशासन के अधिकारी व सैन्य योजानाकार चिंता व्यक्त कर रहे हैं।

उनमें से कई को यह ईरान को उकसाने वाली कार्रवाई प्रतीत हो रही है, जबकि दो सप्ताह वाले बयान को पक्षकार कूटनीतिक योजना का हिस्सा ठहरा रहे हैं और इसे जटिल व ऐतिहासिक सैन्य अभियान बता कर अपनी पीठ खुद ठोक रहे हैं, जबकि विरोधी इसे इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की उत्कृ ष्ट रणनीति का हिस्सा ठहरा रहे हैं।

उधर संयुक्त राष्ट्र परमाणु निगरानी संस्था अमरीकी हमलों को लेकर बैठक करने की तैयारी में है, जबकि अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी की विरोधाभाषी बयानों के चलते ईरान आलोचना कर रहा है। सुगबुगाहट तो यह भी है कि ट्रंप की शेखी के बावजूद वास्तविक स्थिति अस्पष्ट ही है।

कोई नहीं जानता कि ईरान के बम-ग्रेड यूरेनियम को आखिर कितना नुकसान पहुंचा है। धार्मिक कट्टरतावाद या खामेनेई युग का अंत इतना आसान भी नहीं है। क्योंकि मुल्क में तख्तापलट तब तक संभव नहीं है, जब तक ईरानवासी या धार्मिक नेता के विराधी एकजुट न हो जाएं।

जबान से इसे तीसरे विश्व युद्ध का आगाज भी बताया जा रहा है। जिसका खामियाजा सारी दुनिया को भुगतने के लिए तैयार होना होगा। विश्व शांति की बातें बनाने वाली सभी अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं को अमेरिका के आगे घुटने टेकने की बाजाए हरकत में आना होगा और कूटनीतिक तरीके से इस संघर्ष पर विराम लगाने के सख्त कदम उठाने होंगे।



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