कब बुझेगी आग मणिपुर में

Last Updated 10 Jun 2025 02:09:52 PM IST

मणिपुर में इम्फाल जिले के क्वाकेथेल सिंगजामेई में प्रदर्शनकारियों और सुरक्षाकर्मियों के बीच झड़प हुई। तुलिहाल के उप-विभागीय कलेक्टर कार्यालय को जलाये जाने से सरकारी रिकॉर्ड नष्ट हुए और इमारत को भी नुकसान हुआ।


कब बुझेगी आग

मैतई संगठन अरम्बाई तेंगोल के नेता कानन सिंह समेत चार की गिरफ्तारी का बाद निषेधाज्ञा का उल्लंघन करते हुए रात भर मशाल जुलूस निकाला। महिला समूहों ने भी इस प्रदर्शन में भाग लिया। प्रदर्शनकारियों ने सुरक्षाबलों की आवाजाही में अवरोधक बनाए, सड़कों पर मिट्टी के ढेर लगा दिए और जगह=जगह टायरों को जलाया। हिंसक होते प्रदर्शन को रोकने के लिए इम्फाल पश्चिम व पूर्व, थौबल, बिष्णुपुर, काकचिंग जिलों में निषेधाज्ञा लागू कर इंटरनेट सेवाएं निलंबित कर दी गई।

मई 2023 से मैतई और कुकी के दरम्यान चलल रही जातीय हिंसा में ढाई सौ से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं और हजारों लोग बेघर हो गए हैं। राज्य विधानसभा के निलंबन के बाद से 13 फरवरी से राज्य में राष्ट्रपति शासन के अधीन है। स्थानीय जनता तत्काल सरकार के गठन की मांग कर रही है। सीबीआई विभिन्न आपराधिक गतिविधियों में संलिप्तता के चलते गिरफ्तारियां भी कर रही है। केंद्र द्वारा जून 2023 में तीन सदस्यीय जांच आयोग का गठन किया था।

उसी साल अगस्त में सबसे बड़ी अदालत ने राज्य की संवैधानिक मशीनरी के पूरी तरह ध्वस्त होने की बात भी की थी। बावजूद इसके केंद्र सरकार का रवैया मणिपुर को लेकर बेहद शर्मनाक है। बेघर हो रही स्थानीय जनता आस-पास के राज्यों में पलायन करे मजबूर है। रोजगार संकट बढ़ता ही जा रहा है। शिक्षा व्यवस्था चरमारा चुकी है। कुकी और मैतई संघर्ष नया नहीं है मगर उसे सुलझाने या शांत करने में केंद्र को जैसी महती भूमिका निभानी चाहिए। उसके प्रति वह उपेक्षा भाव अपनाए है।

पूर्वोत्तर राज्यों का यह आरोप है कि उनको समुचित सम्मान नहीं दिया जाता और हमेशा उनके साथ पक्षपात भरा बर्ताव होता है। केंद्रीय गृहमंत्री के दौरे के बावजूद उम्मीद की जा रही थी कि प्रधानमंत्री वहां का दौरा करें मगर विपक्ष के लगातार कटाक्ष के बावजूद नरेन्द्र मोदी ने मणिपुर की अशांति पर कभी विचार तक नहीं प्रकट किए।

प्रदेशवासियों की संवेदनाओं का ख्याल रखते हुए शांति बहाली के प्रति कड़े कदम उठाने चाहिए। देश की अखंडता के प्रति किसी भी तरह की लापरवाही गलत संदेश दे सकती है। जरूरी है, केंद्र को अपने रवैये में लचीलापन लाते हुए दूरदर्शितापूर्ण नजर आना होगा। 



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