ट्रंप का अड़ियलपन
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने यूरोपीय संघ (ईयू) से सभी आयात पर एक जून से 50 फीसद टैरिफ लगाने की घोषणा की और कहा कि उनके साथ व्यापार वार्ता बेनतीजा रही। अपने ट्रुथ सोशल प्लेटफॉर्म पर ट्रंप ने लिखा है कि यूरोपीय संघ दशकों से अमेरिका का शोषण कर रहा है।
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भारी व्यापारिक बाधाओं, वैट टैक्स, ज्यादा कॉरपोरेट जुर्माने, मुद्रा में हेरफेर और अनुचित मुकदमेबाजी के जरिए उसने अमेरिका को खासा नुकसान पहुंचाया है। ट्रंप का कहना है कि ईयू के इन अनुचित तौर-तरीकों के चलते अमेरिका को हर साल 250 अरब डॉलर का व्यापार घाटा हो रहा है। ट्रंप का फैसला कड़ा है, लेकिन हैरत में डालने वाला नहीं। इसलिए कि दूसरी बार सत्ता में आने से काफी पहले वह अपने प्रचार के दौरान जोर-शोर से अमेरिका फस्र्ट की बात कह रहे थे।
इसके तहत अमेरिका के लिए कारोबारी स्थितियां माकूल बनाने की गरज से टैरिफ लगाने के संकेत उन्होंने दे दिए थे। ट्रंप की ईयू पर 50 फीसद टैरिफ संबंधी यह टिप्पणी ऐसे समय आई जब कुछ घंटों बाद ही अमेरिका और ईयू अधिकारियों की व्यापार वार्ता होनी थी, जो अब अधर में लटक गई है। ट्रंप को लगता है कि ईयू व्यापार समझौता करना चाहता है, लेकिन सही तरीके नहीं करता, लेकिन कोई समझौता वार्ता फैसलाकुन होने से पहले ही ट्रंप ने अप्रत्याशित तरीके से वार्ता न होने देने के हालात पैदा कर दिए। कहने में गुरेज नहीं कि ट्रंप अपने देश के कारोबार और कारोबारियों को संकट में डाल रहे हैं।
इससे पहले उन्होंने एप्पल से जुड़ी पुरानी लड़ाई को भी शुरू कर दिया। अमेरिका में न बने एप्पल के आईफोन पर 25 फीसद आयात शुल्क लगाने की धमकी दी और एप्पल के शेयर एकाएक 3 फीसद गिर गए। एप्पल संबंधी उनकी बयानबाजी को विशेषज्ञों ने अव्यावहारिक करार दिया है। अब ईयू संबंधी ट्रंप की बयाजबाजी ईयू अमेरिका का मुकाबला करने के लिए सक्रिय हो जाएगा। ईयू ने कह दिया है कि वह व्यापार वार्ता करने को तैयार है, लेकिन अब उसे जवाब देना पड़ेगा।
हालांकि अमेरिकी अधिकारी ट्रंप के बचाव में आ गए हैं। उन्होंने कहा है कि ईयू के देशों में ही व्यापार वार्ता को लेकर मतभेद हैं। ऐसे में अमेरिका को फैसला करना होगा। बहरहाल, ट्रंप अड़ियल रुख दिखा कर वास्तविकता की अनदेखी कर रहे हैं, जिसका अमेरिका को खमियाजा भुगतना पड़ सकता है।
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