टेस्ला का भारत में प्रवेश
जिस दिन देश में घरेलू यात्री वाहनों की बिक्री में कमी आने की रिपोर्ट आई ठीक उसी दिन अमेरिकी अरबपति एलन मस्क की इलेक्ट्रिक कार कंपनी टेस्ला ने धूमधाम से भारत में प्रवेश कर लिया। टेस्ला ने मुंबई के बांद्रा कुर्ला कॉम्प्लेक्स में अपना पहला ‘एक्सपीरियंस सेंटर’ खोला है।
![]() टेस्ला का हल्ला |
खेद की बात यह कि कंपनी भारत में कार बनाने नहीं, बल्कि आयातित कारें बेचने आई है। मस्क ने इससे पहले उच्च आयात शुल्क को कंपनी के भारत में नहीं आने की वजह बताया था। कंपनी चीन स्थित शंघाई विनिर्माण संयंत्र में बने मॉडल ‘वाई’ को आयात करके भारत में बेचेगी जिसकी शुरुआती कीमत 59.89 लाख रुपये है।
मध्यम आकार की इलेक्ट्रिक एसयूवी ‘वाई’ कभी दुनिया की सबसे ज्यादा बिकने वाली इलेक्ट्रिक कार थी। यह भारत में दो संस्करणों में उपलब्ध होगी। दोनों कारें एक बार की चार्जिग में क्रमश: 500 और 622 किमी. का सफर तय कर सकती हैं। मस्क की कंपनी टेस्ला कुछ समय से बिक्री में गिरावट से जूझ रही है।
मस्क लंबे समय से भारत में टेस्ला को लाने की प्लानिंग कर रहे थे। उनकी योजना भारत में टेस्ला का कारखाना लगाने की भी थी। भारत में जिस मॉडल की कीमत लगभग 60 लाख रु पये है, उसी मॉडल की कीमत अमेरिका में 44,990 डॉलर यानी लगभग 39 लाख रु पये है, चीन में 36,700 डॉलर यानी 32 लाख रु पये और जर्मनी में 45,970 डॉलर यानी करीब 39 लाख 50 हजार रुपये है।
टेस्ला भारत में जिन कारों को ग्राहकों के लिए लेकर आएगी उन पर करीब 100 फीसद टैरिफ लगेगा। टेस्ला के भारत में आने से हमें बहुत खुश होने की जरूरत नहीं है। जब तक यह भारत में विनिर्माण संयंत्र नहीं लगाती तब तक भारतीयों को अपने बीच के ही चंद अरबपतियों की कारें देख कर खुश होना पड़ेगा। वैसे भी टेस्ला भारत में इलेक्ट्रिक कारों के प्रीमियम ग्रुप को ही लक्ष्य बना रही है। ये भारत के कुल ऑटोमोबाइल मार्केट का 4 फीसद है।
टेस्ला, इलेक्ट्रिक कार बनाने वाली घरेलू कंपनियों जैसे टाटा मोटर्स और महिंद्रा से प्रतिस्पर्धा नहीं करेगी। उसका मुकाबला होगा बीएमडब्ल्यू और र्मसडिीज-बेंज से। सरकार कहती है कि देश में लोग तेजी से गरीबी की रेखा से ऊपर आ रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र की राय इसके उलट है। आप भी टेस्ला की कार चलाना चाहते हैं तो अमेरिका से ट्रेड डील या भारत के टैरिफ घटाने का इंतजार करें।
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