सामयिक : आर्थिक-सामरिक मजबूती जरूरी

Last Updated 17 Jul 2025 02:44:43 PM IST

यकीनन इस समय भारत के समक्ष जो आर्थिक और सैन्य चुनौतियां हैं, उनके मद्देनजर भारत को दुनिया की नई वैिक आर्थिक शक्ति और उन्नत परमाणु शक्ति बनना जरूरी है।


सामयिक : आर्थिक-सामरिक मजबूती जरूरी

चार जुलाई को भारतीय सेना के डिप्टी चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ लेफ्टिनेंट जनरल राहुल आर सिंह ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत ने न सिर्फ पाकिस्तान को हराया, बल्कि पाकिस्तान को परोक्ष रूप से हरसंभव सहायता देने वाले चीन और तुर्किए को भी हराया है। 

यद्यपि एक जुलाई से 31 जुलाई तक एक माह के लिए पाकिस्तान के संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का अध्यक्ष बनने के बाद वह अध्यक्ष के रूप में कोई विशेष शक्ति नहीं रखता, फिर भी उसने भारत के हितों को नुकसान पहुंचाने के कदम उठाने शुरू कर दिए हैं। ऑपरेशन सिंदूर में बुरी तरह पिटने के बाद भी पाकिस्तान की अकड़ कम नहीं हुई है। पाकिस्तान की सरकार और उसके सेना प्रमुख आसिम मुनीर भारत को बार-बार गीदड़ भभकी देने से बाज नहीं आ रहे हैं। 30 जून को मुनीर ने जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद को वैध संघर्ष बताते हुए कहा कि उनका देश कश्मीर के लोगों के संघर्ष में हमेशा उनके साथ खड़ा रहेगा। भारत को मात देने के लिए चीन, पाकिस्तान और बांग्लादेश मिल कर नया सार्क बनाने की तैयारी कर रहे हैं।

इस नये सार्क में दक्षिण एशिया के अन्य देशों को भी शामिल करने की तैयारी है। ऐसे में देश के पड़ोसी दुश्मन देशों पाकिस्तान और चीन के बढ़ते नापाक गठबंधन और उनके द्वारा लगातार आतंकी गतिविधियों को बढ़ावा देने के परिदृश्य के मद्देनजर भारत को नई आर्थिक शक्ति और नये दौर के उन्नत परमाणु हथियारों की क्षमताओं से सुसज्जित होना जरूरी है। उल्लेखनीय है कि इजरायल-ईरान युद्ध और आपरेशन सिंदूर के तहत भारत-पाकिस्तान  संघर्ष के परिणामों का विश्लेषण बताता है कि युद्ध में नई एआई तकनीक और आर्थिक ताकत की अहमियत दिखाई दी है, और परमाणु हमले की धमकी बेअसर साबित हुई है।

लेकिन अब पाकिस्तान द्वारा चीन के सहयोग से परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल जैसे हथियार विकसित किए जाने के मद्देनजर भारत के लिए उन्नत परमाणु शक्ति-संपन्न देश बनना भी जरूरी है। चूंकि शक्ति के माध्यम से ही शांति आती है, और शक्ति से ही भविष्य के युद्ध भी रोके जा सकते हैं, अतएव भारत को हर मोर्चे पर शक्तिशाली बनाने के सपने को साकार करने के लिए देश के आसमान छूते वैज्ञानिक, तकनीकी विशेषज्ञ, उद्यमी-कारोबारी और पूरे देश का जन-बल एकजुटता से कदम बढ़ाते दिखाई दे रहे हैं। गौरतलब है कि पिछली 24 जून को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा था कि पिछले 11 वर्षो में सरकार ने आर्थिक-सामरिक क्षेत्र को मजबूत बनाया है। आतंकवाद के प्रति कठोर नीति अपनाई है। ऑपरेशन सिंदूर के तहत भारतीय सेना ने महज 22 मिनट में स्वदेशी हथियारों से दुश्मन को घुटने टेकने पर मजूबर कर दिया।

वस्तुत: ऑपरेशन सिंदूर के तहत भारत ने एआई के उपयोग से पाकिस्तान के लक्षित आतंकी ठिकानों को बर्बाद करके अभूतपूर्व मिसाल पेश की। ऐसे में भारत, दुनिया की आर्थिक शक्ति बनने, पाकिस्तान और चीन की सैन्य चुनौतियों से मुकाबले के लिए एआई तकनीकों और उन्नत परमाणु हथियारों से  शक्ति-संपन्न देश बनने की संभावनाओं को साकार कर सकता है। निस्संदेह भारत की तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था इसे वैिक आर्थिक शक्ति बना सकती है। यह छोटी बात नहीं है कि पिछले दिनों दुनिया को हिला देने वाले इजरायल और ईरान के बीच भारत अपने बहुआयामी आर्थिक आधारों से युद्ध की आर्थिक चुनौतियों के बीच सक्षम बन कर मजबूती के साथ खड़ा रहा है। जहां इस युद्ध से कई देशों में पेट्रोल-डीजल के दाम में वृद्धि, व्यापार में कमी, खाद्यान्न सहित जरूरी वस्तुओं की आपूर्ति में कमी और शेयर बाजार में गिरावट का परिदृश्य उभर कर दिखाई दिया, वहीं भारत इन सब मुश्किलों के मद्देनजर बेहतर स्थिति में बना रहा है।

यह भी महत्त्वपूर्ण है कि ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान के साथ संघर्ष का भी भारत की अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल असर नहीं पड़ा। भारत का बड़ा घरेलू बाजार, कम निर्यात निर्भरता, सरकार के भारी पूंजीगत व्यय, बढ़ती क्रय शक्ति, मेक इन इंडिया और कृषि क्षेत्र में ऊंची सफलता ने देश को बाहरी आर्थिक झटकों को झेलने के लिए मजबूत स्थिति में रखा है। 

युद्ध के दौर में भी भारत के निर्यात बढ़े हैं, और भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) में वृद्धि हुई है। भारत की विकास दर चालू वित्त वर्ष 2025-26 में 6.5 फीसद रहेगी। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) की वि आर्थिक परिदृश्य से जुड़ी रिपोर्ट में कहा गया है कि 2025 में भारत दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनते दिखाई देगा। निश्चित ही इजरायल-ईरान युद्ध और ऑपरेशन सिंदूर का यह भी सबक है कि युद्ध सिर्फ  आर्थिक ताकत और अत्याधुनिक एआई तकनीक के दम पर ही लड़े जाते हैं तथा केवल परमाणु हमले की धमकी से युद्ध नहीं जीते जाते। किंतु इस समय पाकिस्तान और चीन की युद्ध चुनौतियों के मद्देनजर भारत को परमाणु हथियारों को उन्नत होना भी जरूरी है। स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट के मुताबिक परमाणु हथियारों की संख्या में कमी का युग खत्म हो रहा है। 

अब परमाणु हथियारों में वृद्धि और हथियार नियंतण्रसमझौतों को छोड़ने की प्रवृत्ति दिख रही है। दुनिया के नौ परमाणु शक्ति-संपन्न देश-अमेरिका, रूस, ब्रिटेन, फ्रांस, चीन, भारत, पाकिस्तान, उत्तर कोरिया और इजरायल-सभी अपने परमाणु हथियारों को और उन्नत करने में जुटे हैं। भारत के पास 180 और पाकिस्तान के पास 170 परमाणु हथियार हैं। यह भी महत्त्वपूर्ण है कि पाकिस्तान भारत के ऑपरेशन सिंदूर से बुरी तरह पराजित होकर चीन की मदद से अपने परमाणु हथियारों को उन्नत करने की कोशिश में जुट गया है, ऐसे में भारत का उच्च परमाणु शक्ति बनना जरूरी है। उम्मीद करें कि सरकार इजरायल-ईरान युद्ध और ऑपरेशन सिंदूर से निकले उम्मीदों भरे आर्थिक-सामरिक सबक के  मद्देनजर भारत को आर्थिक शक्ति, एआई की नई तकनीकों और उन्नत परमाणु शक्ति-संपन्न देश बनाने के लिए रणनीतिपूर्वक आगे बढ़ेगी।
(लेख में विचार निजी हैं)

जयंतीलाल भंडारी


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