लड़कियां फिर अव्वल
केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) द्वारा 12वीं और 10वीं कक्षा के मंगलवार को घोषित नतीजों में लड़कियों ने एक बार फिर लड़कों से बेहतर प्रदर्शन किया।
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पिछले साल की तुलना में इस साल 12वीं कक्षा की परीक्षा में 90 फीसद से ज्यादा अंक अर्जित करने वाले छात्रों की संख्या में मामूली कमी आई है। सीबीएसई के परीक्षा नियंत्रक संयम भारद्वाज ने बताया कि 12वीं में 88.39 फीसद उम्मीदवार परीक्षा में सफल हुए हैं, जबकि 10वीं कक्षा की परीक्षा 93 फीसद छात्र उत्तीर्ण घोषित किए गए हैं और लड़कियों के उत्तीर्ण होने का प्रतिशत लड़कियों से दो फीसद अधिक रहा।
सीबीएसई की कक्षा 10 की बोर्ड परीक्षा में 93.66 फीसद परीक्षार्थी पास हुए हैं। इस बार भी बोर्ड ने मेरिट लिस्ट (मेधा सूची) जारी नहीं की यानी किस बच्चे ने टॉप किया और कौन बच्चा दूसरे, तीसरे नंबर पर रहा यह नहीं बताया गया। मेधा सूची जारी न करने के पीछे प्रमुख कारण बताया गया कि इससे बच्चों में बेवजह की प्रतिस्पर्धा देखने को मिलती है। सबसे ज्यादा चिंतनीय बात तो यह कि अनेक बच्चे इससे अहसासे कमतरी तक का शिकार हो जाते हैं।
वैसे भी बोर्ड परीक्षा का हौवा इतना रहता है कि परीक्षार्थी काफी पहले से नर्वस दिखलाई पड़ने लगते हैं। हालांकि बोर्ड परीक्षा अब आम परीक्षा जितनी अहमियत वाली रह गई हैं क्योंकि उच्च शिक्षा में प्रवेश के लिए सीयूईटी जैसी परीक्षा उत्तीर्ण अनिवार्य बनाया जा चुका है। इसलिए बोर्ड परीक्षाओं की पहले जैसी धमक नहीं रही। लेकिन हर साल की तरह इस बार भी तमाम निजी स्कूल और कोचिंग संस्थान बोर्ड परीक्षाओं में अच्छे अंकों से पास हुए छात्र-छात्राओं को फोटो के साथ मुबारकबाद देने का सिलसिला जमाए हुए हैं।
लगता है कि एक समूचा तंत्र ही सक्रिय हो उठा है, जिसके जरिए निजी स्कूल अपनी मार्केटिंग करने में जुटे हैं। जिस नीयत से सीबीएसई ने मेधा सूची जारी न करने का फैसला किया था, उसे ये निजी संस्थान पलीता लगा रहे हैं। तत्काल इस प्रकार के उपक्रम पर रोक लगाई जानी चाहिए।
इस तरीके से अभिभावकों को भ्रम में डाला जा रहा है, और ज्यादा से ज्यादा छात्रों के इनटेक के लिए कवायद निजी स्कूलों और संस्थानों द्वारा की जा रही है। अच्छा प्रदर्शन करने वाले छात्र-छात्राओं के उज्ज्वल भविष्य की कामना के साथ अच्छा न कर पाने वालों के लिए यह संदेश कि सतत प्रयत्नशील बने रहें।
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