त्रासदी कब तक झेलेंगे
पड़ोसी देश नेपाल में पिछले कई दिनों से हो रही भारी बारिश से बिहार में कहर बरपा हुआ है। कोसी, गंडक और बागमती नदियों में आए भीषण उफान का कहर राज्य के 15 जिलों में दिखने लगा है।
त्रासदी कब तक झेलेंगे |
बाढ़ के डरावने रूप का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि राज्य की 13 नदियां खतरे के निशान से काफी ऊपर बहर रही हैं। इस प्राकृतिक आपदा के चलते करीब 25 लाख से ज्यादा आबादी पानी में घिरी हुई है, अब तक पांच लोगों की मरने की खबर है जबकि बड़ी संख्या में घर और मवेशियों के बह जाने की खबर है। सरकार का आपदा प्रबंधन फिलहाल असहाय दिख रहा है।
शनिवार रात से रविवार सुबह तक उत्तर बिहार में पांच जगहों पर तटबंध टूटने से काफी बड़ी इलाके में बाढ़ का पानी फैल गया है। कमोबेश बाढ़ की विभीषिका पश्चिम बंगाल और उत्तर प्रदेश के कई जिले को भी अपनी चपेट में लिये हुए हैं। यहां भी बारी बारिश के बाद आई बाढ़ से जान-माल को भारी नुकसान पहुंचा है। उत्तर प्रदेश में बारिश से नदियां उफनाई हुई हैं। खास बात है कि मानसून की शुरुआत में राज्य में वैसी बारिश नहीं हुई मगर जाते-जाते मानसून राज्य में तबाही फैला रहा है।
अब तक यहां पांच लोगों की मरने की खबर है। सबसे ज्यादा नुकसान की बात करें तो उत्तर बिहार में बाढ़ ने भयानक तबाही मचाई है। यहां तक कि दक्षिण-पूर्व राज्य के कई जिलों मसलन; भागलपुर, मुंगेर और आसपास के जिलों में अच्छी-खासी आबादी करीब हफ्ता-दस दिन से भारी संकट में है। सरकार भले उन्हें सहायता दिए जाने का दावा कर रही है, मगर जो दृश्य और जो पीड़ा बाढ़ पीड़ितों के वायरल हुए हैं, उसने सरकार के इंतजाम की पोल खोल कर रख दी है।
यह सब तब है जब सरकार को इस बात की जानकारी थी कि नेपाल में भारी बरसात हो रही है। स्वाभाविक तौर पर जब नेपाल में बारिश होगी तो इसका असर नेपाल से सटे भारत के उन इलाकों में भी जरूर होगा। इसके बावजूद बचाव, राहत और मुआवजे के बारे में योजना नहीं बनाई गई। हालांकि कुछेक साल से राज्य सरकार के बेहतर इंतजाम से तबाही को बेअसर भी किया गया, मगर इस बार सरकारी तंत्र लापरवाह दिखा।
बिहार में इस बार बाढ़ की त्रासदी कई बरस बाद देखी गई है। बहरहाल, सरकार को अब फसल की तबाही का आकलन कर मुआवजे का ऐलान करना होगा। साथ ही डेंगू-मलेरिया जैसी बीमारियों की रोकथाम का खाका खींचना होगा। यह काम जितना जल्दी हो सरकार और जनता दोनों के लिए अच्छा होगा।
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