फिर आतंक का साया
जम्मू-कश्मीर के पुंछ में भारतीय वायुसेना के काफिले पर हुए हमले के बाद तलाशी अभियान जारी है। सेना व खुफिया एजेंसियों के अधिकारियों ने सुरनकोट क्षेत्र में हमला स्थल का दौरा किया।
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इस आतंकवादी हमले में वायुसेना के पांच कर्मी गंभीर रूप से घायल थे, जिसमें से एक ने सैन्य अस्पताल में दम तोड़ दिया, दूसरे की हालत गंभीर बताई जा रही है। आतंकियों का सफाया करने के लिए शाहसितार, गुरसाई, सनाई व शीनदारा टॉप समेत कई इलाकों में तलाशी अभियान चलाया गया है।
संदिग्धों को हिरासत में लेकर पूछताछ चालू है। हमले में आतंकवादियों द्वारा एके असॉल्ट राइफल व अमरीकी एम4 कार्बाइन से स्टील गोलियां चलाई गयीं। ये गोलियां इतनी घातक होती हैं कि बुलेट प्रूफ जैकेट या छह इंच मोटी स्टील को भी भेद सकती हैं। यह इलाका राजौरी-अनंतनाग लोक सभा सीट में है, जहां 25 को मतदान है। लोगों में दहशत पैदा करने के लिए किए गए इस हमले का संदेह लश्कर-ए-तैयबा पर किया जा रहा है। बीते बारह दिनों में हुई यह दूसरी आतंकवादी वारदात है।
खुफिया एजेंसियां पहले ही पाकिस्तानी सीमा में ढाई सौ से अधिक आतंकी लांच पैड होने संबंधी खबरें दे चुकी हैं। निकटवर्ती राजौरी व सीमावर्ती पुंछ जिला आतंकवादियों के निशाने पर बीते दो वर्षो से है। लंबे समय तक यहां शांति रही है।
पुंछ-राजौरी इलाका पाक के कब्जे वाले कश्मीर के साथ 220 किलोमीटर की नियंत्रण रेखा साझा करता है। मोदी सरकार द्वारा 2019 में जम्मू-कश्मीर की विशेष स्थिति समाप्त करने के बाद से हमलों में हो रहा इजाफा आतंकियों व उनके आकाओं में फैलती कुंठा और निराशा का असर है। सेना पर होने वाले हमले जम्मू-कश्मीर की शांति भंग करने के लिए ही नहीं हैं। यह स्थानीय जनता को भयभीत करने और चुनाव जैसे महापर्व में शामिल होने से डराने वाला भी है।
लंबे समय तक आतंक व अलगाववादियों के चंगुल में रहे इस खूबसूरत राज्य को सरकार अपनी प्राथमिकताओं में रखती है। आतंकियों को मार गिराने तथा आतंकवादी संगठनों के सहयोगियों को तलाशने का काम दुष्कर भले ही है मगर शांतपूर्ण माहौल बनाए रखने के लिए उठाए गए कदम जल्द सकारात्मक नतीजे लाने वाले साबित होंगे। नि:संदेह राज्य में हालात बेहतर हुए हैं, लिहाजा इस मेहनत को जाया नहीं होने देना है।
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