ग्लोबल साउथ हुआ मजबूत
भारत की पहल पर अफ्रीकन यूनियन को जी-20 का स्थायी सदस्य बनाया जाना वैश्विक राजनीति की एक महत्त्वपूर्ण घटना है और इसका भू-राजनीतिक स्थितियों पर दूरगामी प्रभाव होंगे।
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इस घटनाक्रम से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का भावनात्मक सूत्र वाक्य ‘सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास’ वैश्विक स्तर पर स्थापित हुआ, जो बहुत बड़ी बात है। आज की बंटी हुई धरती, परिवार में कलह और अनिश्चित भविष्य की परिस्थितियों में वैश्विक समस्याओं का समाधान इसी सूत्र के सहारे निकाला जा सकता है।
प्रधानमंत्री मोदी ने ग्लोबल साउथ के इस महत्त्वपूर्ण समूह अफ्रीकन यूनियन को जी-20 का सदस्य बनाने का प्रस्ताव रखा था, जिसे नई दिल्ली शिखर सम्मेलन में एकमत से स्वीकार कर लिया गया। 55 सदस्यीय अफ्रीकन यूनियन को जी-20 में यूरोपीय संघ की तरह दर्जा प्राप्त हो गया। भारत की विदेश नीति कभी शक्ति पर आधारित नहीं थी।
देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने पंचशील के सिद्धांत पर विकासशील और अर्धविकसित देशों को एकजुट करने के लिए गुट-निरपेक्ष आंदोलन पर जोर दिया था। प्रधानमंत्री मोदी ने बदली हुई वैश्विक राजनीति में ग्लोबल साउथ को एकजुट करने की कोशिश की है।
अफ्रीकन यूनियन का जी-20 का सदस्य बनने से इस विश्व मंच पर ग्लोबल साउथ की आवाज को ताकत मिलेगी। अफ्रीकन यूनियन को जी-20 परिवार में शामिल किए जाने पर इसके अध्यक्ष अजाली असौमानी बहुत भावुक होते हुए भारत की प्रशंसा की। भारत का अफ्रीका महाद्वीप के साथ लंबे समय से राजनीतिक संबंध है।
अफ्रीका के अनेक गुलाम देशों पर भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन का प्रभाव पड़ा था और वे भारतीय प्रेरणा से औपनिवेशिक दासता से मुक्त हो पाए थे। भारत अपनी विदेश नीति में अफ्रीका को प्राथमिकता देता है। जी-20 शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री मोदी ने इस बात पर जोर दिया। भारत का अफ्रीकी देशों के साथ व्यापारिक और आर्थिक संबंध तेजी से बढ़ रहे हैं। कई भारतीय कंपनियां अफ्रीकी देशों में व्यापार और उद्यम कर रही हैं। अफ्रीकी देशों में भारत के लिए चीन भी एक फैक्टर है।
नई दिल्ली और बीजिंग के बीच प्रतिद्वंद्विता है। जाहिर है अफ्रीकन यूनियन को जी-20 परिवार का सदस्य बनाने में भारत ने जो पहल की है, उसे बहुत बड़ी कूटनीतिक जीत के रूप में देखा जाना चाहिए। इससे निश्चित रूप से विश्व नेताओं के बीच मोदी का और भारत का कद बढ़ा है।
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