मोटे अनाज से मोटी कमाई
जी20 सम्मेलन के दौरान भारतीय पारंपरिक कला, संस्कृति व धरोहरों से मेहमानों का भव्य स्वागत किया गया। इसमें शामिल होने वाले विश्व के बड़े नेताओं व उनके परिवारों के खाने-पीने का भी विशेष आयोजन हुआ।
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विशेषकर उनको परोसे गए मोटे अनाज यानी मिलेट्स से बने व्यंजनों की खूब चर्चा हुई। राष्ट्राध्यक्षों के साथ फस्र्ट लेडीज के लिए कृषि मंत्रालय की तरफ से पूसा में खास प्रदर्शनी आयोजित की गई थी। मध्य प्रदेश की प्रसिद्ध किसानिन लहरी बाई डिंडोरी, जिन्होंने 150 से अधिक बीजों का संग्रह किया है। इसमें पचास मोटे अनाज में आते हैं; अतिथियों के जिज्ञासा का केंद्र बनी। इसे सुपर फूड कहा जाने लगा है। इसमें ज्वार, बाजरा, रागी, सांवा, कंगनी, चीना, कोदो, कुटकी और कुट्टू शामिल हैं।
देश की आठ फसलों में तैयार होने वाला यह अनाज पोषक तत्वों से भरपूर है, जिसे कुपोषण के खिलाफ लाभकारी माना जाता है, जबकि दुनिया का हर चौथा शख्स रक्तअल्पता का शिकार है। मधुमेह, कैंसर, दिल की बीमारियां तेजी से लोगों को चपेट में लेती जा रही हैं। इस तरह के पौष्टिक खाने का महत्त्व और भी बढ़ जाता है। विशेषज्ञ कहते हैं, ये विभिन्न बीमारियों से बचाव करने का काम भी करते हैं।
वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने इस वित्त वर्ष में मोटे अनाज के निर्यात में वृद्धि की घोषणा की थी। भारत इसका सबसे बड़ा उत्पादक है इसलिए दुनिया में इसको बढ़ावा देने का ऐलान किया था। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी मोटे अनाज के पक्ष में कई दफा बोल चुके हैं। इसलिए विदेशी मेहमानों को इनसे बने जायकेदार व्यंजनों को परोसकर इसका व्यापक प्रसार किया गया। दुनिया के कुल उत्पादन का 41 फीसद मोटा अनाज भारत में होता है। संयुक्त अरब अमीरात, सऊदी अरब, लीबिया, ओमान, मिस्र, ब्रिटेन व अमेरिका को यहां से मोटा अनाज निर्यात किया जाता है।
यह अनाज हमेशा से हमारी थाली का बड़ा हिस्सा रहा है। इससे मिलने वालों लाभों को जानने के बाद नई पीढ़ी में मोटे अनाज के प्रति रुझान बढ़ता जा रहा है। बड़ी और नामी कंपनियां आकषर्क पैकिंग में इन्हें बेच रही हैं। देर से सही, मगर हम पारंपरिक भोजन की तरफ लौट तो रहे हैं। साथ ही वैश्विक कुटुंब को उनके लाभ के प्रति जागरूक कर बड़ा बाजार तैयार करने में सफल हो रहे हैं। जो हमारे उत्पादक किसानों के लिए भविष्य में मोटी कमाई का जरिया भी बन सकता है।
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